कम आय वाले देशों को वित्तीय संसाधन मुहैया कराने में मदद करे एआईआईबी : सीतारमण

कम आय वाले देशों को वित्तीय संसाधन मुहैया कराने में मदद करे एआईआईबी : सीतारमण

  •  
  • Publish Date - September 25, 2024 / 05:04 PM IST,
    Updated On - September 25, 2024 / 05:04 PM IST

नयी दिल्ली, 25 सितंबर (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि एआईआईबी को ग्राहक-केंद्रित दृष्टिकोण पर अपना ध्यान जारी रखना चाहिए और सदस्य देशों खासकर कम आय वाले देशों को प्रौद्योगिकी की मदद से वित्तीय संसाधन प्राप्त करने में मदद करनी चाहिए।

उन्होंने समरकंद (उज्बेकिस्तान) में बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की 9वीं वार्षिक बैठक से पहले एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (एआईआईबी) के अध्यक्ष जिन लीकुन के साथ बैठक में यह आग्रह किया।

वित्त मंत्री ने नौ वर्ष की छोटी सी अवधि में ऋण परिचालन में एआईआईबी की तीव्र वृद्धि की सराहना की।

वित्त मंत्रालय ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर अपने आधिकारिक खाते पर लिखा, ‘‘ केंद्रीय वित्त मंत्री ने सुझाव दिया कि एआईआईबी को अपने ग्राहक-केंद्रित दृष्टिकोण को मजबूत करना जारी रखना चाहिए और सदस्य देशों खासकर कम आय वाले देशों को प्रौद्योगिकी सहायता तथा अन्य गैर-वित्तीय सेवाओं के जरिये वित्तीय संसाधन हासिल करने में सुविधा प्रदान करनी चाहिए।’’

इसमें कहा गया, ‘‘ एआईआईबी के अध्यक्ष ने भारत के दूसरा सबसे बड़ा शेयरधारक और सबसे बड़ा ग्राहक होने के नाते बैंक के प्रशासन तथा समग्र वृद्धि में भारत के योगदान की सराहना की…साथ ही भारत के साथ संबंधों को और मजबूत करने के अवसरों को तलाशने की इच्छा व्यक्त की।’’

एक बहुपक्षीय विकास बैंक के रूप में बीजिंग स्थित एआईआईबी एशिया में सतत बुनियादी ढांचे के विकास तथा बुनियादी ढांचे और अन्य उत्पादक क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य सतत आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देना, धन का सृजन करना और बुनियादी ढांचे के संपर्क में सुधार करना है।

भारत के पास एआईआईबी में 8.4 अरब डॉलर की पूंजी के साथ 83,673 शेयर हैं, जबकि चीन के पास 29.8 अरब डॉलर की पूंजी के साथ 2,97,804 शेयर हैं।

इससे पहले दिन में सीतारमण ने कतर के वित्त मंत्री अली बिन अहमद अल कुवारी से भी मुलाकात की और द्विपक्षीय व्यापार, निवेश, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे तथा द्विपक्षीय निवेश संधि (बीआईटी) आदि पर चर्चा की।

भारत और कतर के बीच ऐतिहासिक व गहरे संबंधों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि कतर के साथ संबंधों को और मजबूत करने के लिए भारत लगातार प्रयास कर रहा है।

बैठक के दौरान उन्होंने बताया कि भारत विश्व में सबसे तेजी से बढ़ती हुई बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है। इससे यह ऊर्जा, बुनियादी ढांचे, लॉजिस्टिक्स, आतिथ्य, खाद्य सुरक्षा तथा स्टार्टअप आदि क्षेत्रों में कतर की संस्थाओं के लिए निवेश के अवसरों के लिए एक उत्कृष्ट गंतव्य है।

वित्त मंत्रालय ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, अल कुवारी ने तेजी से बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था की सराहना की और भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की विशाल संभावनाओं का पता लगाने के विचार का भी स्वागत किया।

इसमें कहा गया, प्रतिनिधिमंडल ने सीमा पार भुगतान, डिजिटल लेनदेन को सुविधाजनक बनाने में सहयोग और द्विपक्षीय निवेश संधि (बीआईटी) को जल्द अंतिम रूप देने पर सहमति व्यक्त की।

भाषा निहारिका अजय

अजय