(मुनीश शेखावत)
नयी दिल्ली, 26 दिसंबर (भाषा) कृत्रिम मेधा (एआई), मशीन लर्निंग जैसी प्रौद्योगिकियों से दवा की खोज, विनिर्माण तथा रोगी देखभाल में क्रांति आ रही है। इसके साथ भारतीय दवा उद्योग 2025 में एक बड़े बदलाव को तैयार है, जिसमें नवाचार, व्यापक वैश्विक पहुंच तथा गुणवत्ता में सुधार भविष्य के लिए प्रमुख विषय बन जाएंगे।
दवा उद्योग के 2030 तक लगभग दोगुना बढ़कर 130 अरब अमेरिकी डॉलर का हो जाने की उम्मीद है। यह अनुकूल नीतियों, जनसांख्यिकीय तथा डिजिटल प्रतिभा का लाभ उठाने की कोशिश कर रहा है, ताकि भारत सभी के लिए वैश्विक स्वास्थ्य को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके। वर्तमान में वैश्विक स्तर पर कुल जेनेरिक दवा बिक्री में करीब 20 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाला भारतीय दवा उद्योग देश को उच्च गुणवत्ता वाली, सस्ती दवाओं के लिए वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने के वास्ते अनुसंधान उत्कृष्टता व नवाचार पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
इंडियन फार्मास्युटिकल अलायंस (आईपीए) के महासचिव सुदर्शन जैन ने कहा, ‘‘ भारतीय दवा बाजार का आकार 2030 तक 120-130 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, जो वर्तमान में 58 अरब अमेरिकी डॉलर है। गुणवत्ता, नवाचार तथा व्यापक वैश्विक पहुंच के संदर्भ में पहल से भारतीय दवा क्षेत्र को अपनी क्षमता का एहसास करने में मदद मिलेगी।’’
उन्होंने कहा कि अनुकूल नीतियों और जनसांख्यिकीय व डिजिटल प्रतिभा के लाभ को देखते हुए, भारत आने वाले वर्षों में सभी के लिए वैश्विक स्वास्थ्य को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
आईपीए सन फार्मा, सिप्ला और डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज जैसी 23 प्रमुख शोध-आधारित भारतीय दवा कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता है।
भारतीय औषधि उत्पादकों के संगठन (ओपीपीआई) के महानिदेशक अनिल मताई ने कहा कि उद्योग 2025 में ‘‘व्यापक बदलाव’’ के लिए तैयार है।
उन्होंने कहा कि एआई, मशीन लर्निंग और ‘प्रिसिजन मेडिसिन’ जैसी प्रौद्योगिकियां दवा की खोज, विनिर्माण और रोगी देखभाल में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए तैयार है।
ओपीपीआई भारत में एस्ट्राजेनेका, नोवार्टिस और मर्क सहित अनुसंधान आधारित दवा कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता है।
मताई ने कहा कि इसके अलावा मजबूत नियामक ढांचे से रोगी सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए नवीन उपचारों को तेजी से अपनाने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि ‘यूनिफॉर्म कोड ऑफ फार्मास्युटिकल मार्केटिंग प्रैक्टिसेज’ (यूसीपीएमपी) का पालन करने से नैतिक मानकों को बनाए रखा जा सकेगा। साथ ही स्वास्थ्य सेवा परिवेश में विश्वास तथा पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।
फोर्टिस हेल्थकेयर के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी आशुतोष रघुवंशी ने स्वास्थ्य खंड पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अस्पताल बाजार के 2023 में करीब 99 अरब अमरीकी डॉलर से बढ़कर 2032 तक अनुमानित 194 अरब अमरीकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
उन्होंने कहा, ‘‘ हमारा क्षेत्र न केवल विस्तार कर रहा है, बल्कि हमारी आबादी की विविध जरूरतों को पूरा करने के लिए खुद में बदलाव भी ला रहा है। यह वर्ष विशेष रूप से महत्वपूर्ण रहा है, क्योंकि अस्पताल स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के अग्रणी प्राप्तकर्ता के रूप में उभरे हैं।’’
रघुवंशी ने कहा कि भविष्य को देखते हुए उद्योग को कई प्रमुख प्रवृत्तियों पर ध्यान केंद्रित करना होगा जो भारत में स्वास्थ्य सेवा के भविष्य को आकार देंगे।
भाषा निहारिका मनीषा
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