एआई को लेकर कई आशंकाएं, लेकिन संभावनाएं और अवसर प्रबल: सूचना प्रौद्योगिकी सचिव

एआई को लेकर कई आशंकाएं, लेकिन संभावनाएं और अवसर प्रबल: सूचना प्रौद्योगिकी सचिव

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  • Publish Date - July 3, 2024 / 10:26 PM IST,
    Updated On - July 3, 2024 / 10:26 PM IST

नयी दिल्ली, तीन जुलाई (भाषा) इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव एस कृष्णन ने बुधवार को कहा कि कृत्रिम मेधा (एआई) के बढ़ते प्रभाव और इसके दुष्प्रभावों को लेकर भय तो है, लेकिन भारत में इस अवसर को भुनाने की क्षमता इस पर भारी पड़ती है।

ग्लोबल इंडिया एआई शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन में कृष्णन ने कहा कि दुनिया के पश्चिमी हिस्से में कृत्रिम मेधा (एआई) के खतरे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है।

कृष्णन ने कहा कि भारत में आशा, अपेक्षा और संभावनाएं हैं। भारत में एआई कार्य और अनुप्रयोग कार्य अन्य स्थानों की तुलना में कहीं अधिक किफायती ढंग से किया जा सकता है।

कृष्णन ने कहा, “यह संभवतः भारतीय युवाओं के लिए एक अवसर है और कुछ हद तक भारतीय नौकरियों को आज की तुलना में अधिक वेतन वाली और बेहतर नौकरियों से प्रतिस्थापित करता है।”

उन्होंने कहा कि भारत के लिए यह एक समझौता हो सकता है, हालांकि दुनिया के अन्य हिस्सों के लिए यह वास्तविक चिंता का विषय हो सकता है।

एआएई के सामाजिक और व्यक्तिगत नुकसानों, जैसे डीपफेक वीडियो, गलत सूचना, भ्रामक सूचना, निजता का हनन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ये वास्तविक भय हैं जिनके साथ दुनिया को जीना होगा।

कृष्णन ने कहा, “ये भय अन्य देशों की तुलना में लोकतंत्रों में कहीं अधिक वास्तविक हैं… यहीं पर सुरक्षा-व्यवस्था, किसी न किसी रूप में विनियमन, घोषणाएं महत्वपूर्ण हो जाती हैं।”

उन्होंने कहा कि जब आपके पास बहुत सारी गलत सूचना या फर्जी जानकारी होती है, तो सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आपके पास एक ऐसा तंत्र होना चाहिए जिसके द्वारा आप वास्तव में सही जानकारी की पहचान कर सकें।

सचिव ने कहा कि इससे लोकतांत्रिक अधिकार भी प्रभावित हो सकते हैं।

भाषा अनुराग रमण

रमण