निकट भविष्य में अर्थव्यवस्था में पशुपालन के साथ कृषि क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका होगी : चौहान |

निकट भविष्य में अर्थव्यवस्था में पशुपालन के साथ कृषि क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका होगी : चौहान

निकट भविष्य में अर्थव्यवस्था में पशुपालन के साथ कृषि क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका होगी : चौहान

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Modified Date: December 11, 2024 / 09:57 PM IST
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Published Date: December 11, 2024 9:57 pm IST

चंडीगढ़, 11 दिसंबर (भाषा) केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और निकट भविष्य में देश को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में पशुपालन के साथ-साथ इसकी भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी।

फसल विविधीकरण की वकालत करते हुए चौहान ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए फलों, फूलों, औषधीय पौधों, कृषि वानिकी, पशुपालन, मधुमक्खी पालन और मत्स्य पालन को बढ़ावा देने की जरूरत है।

कुरुक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में भाग लेने के बाद चौहान ने हरियाणा में करनाल स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान में वैज्ञानिकों, गन्ना किसानों और ‘लखपति दीदियों’ के साथ संवाद कार्यक्रम में भाग लिया।

चौहान ने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। निकट भविष्य में देश दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है। इसमें पशुपालन के साथ कृषि क्षेत्र का भी महत्वपूर्ण योगदान रहेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री का संकल्प किसानों की आय दोगुनी करना है। मेरे लिए गरीबों और किसानों की सेवा ही ईश्वर की पूजा है।’’

चौहान ने कहा कि उत्पादन बढ़ाना है और इसके लिए अच्छे बीजों का होना जरूरी है। कृषि में भी विविधता लानी होगी।

उन्होंने कहा, “सिर्फ पारंपरिक खेती ही नहीं बल्कि फल, फूल, औषधीय खेती, कृषि वानिकी, पशुपालन, मधुमक्खी पालन और मत्स्य पालन जैसी कई तरह की खेती करनी होगी। आय बढ़ाने के लिए कई प्रयास करने होंगे। कृषि और डेयरी दोनों जुड़े हुए हैं। मुझे गर्व है कि एनडीआरआई ने इस क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया है और इसके लिए मैं उन्हें बधाई देता हूं।”

चौहान ने कहा, “हमें इस बात पर ध्यान देना होगा कि हम नई प्रौद्योगिकी का उपयोग करके कैसे अधिक दूध उत्पादन कर सकते हैं।”

उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया था, जबकि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने ‘जय विज्ञान’ और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘जय अनुसंधान’ का नारा जोड़ा।

भाषा अनुराग अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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