नयी दिल्ली, 23 जुलाई (भाषा) केंद्रीय बजट 2024-25 को लेकर कृषि क्षेत्र से मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है। उद्योग विशेषज्ञों ने शोध और आत्मनिर्भरता पर इसके ‘ध्यान बिन्दु’ (फोकस) की प्रशंसा की है, जबकि कुछ किसान नेताओं ने बजट पर निराशा जताई है।
कृषि उद्योग के विशेषज्ञों ने बजट को ‘‘भविष्यदर्शी’’ बताते हुए इसकी सराहना की है, जिसमें कृषि-अनुसंधान और दलहन और तिलहन में आत्मनिर्भरता पर जोर दिया गया है।
हालांकि, भारत किसान यूनियन के किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि बजट ने किसानों को ‘‘खाली हाथ’’ छोड़ दिया क्योंकि यह प्रमुख मांगों को पूरा करने में विफल रहा।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अध्यक्ष अजय झुनझुनवाला ने खाद्य तेलों के लिए राष्ट्रीय मिशन का स्वागत करते हुए कहा, ‘‘हमें विश्वास है कि आने वाले वर्षों में आयात निर्भरता को कम करने में परिवर्तनकारी परिणाम सुनिश्चित करने के लिए इस महत्वपूर्ण मिशन को पर्याप्त रूप से वित्तपोषित किया जाएगा।’’
टिकैत ने ‘‘जलवायु परिवर्तन के नाम पर कृषि अनुसंधान में निजी क्षेत्र को धन मुहैया कराने, विदेशी लॉबी समूहों और बड़ी कंपनियों को अपना एजेंडा आगे बढ़ाने देने’’ पर चिंता व्यक्त की।
गुड फूड इंस्टिट्यूट इंडिया की कार्यवाहक प्रबंध निदेशक स्नेहा सिंह ने कहा, ‘‘हम आयात पर निर्भरता कम करने और प्लांट प्रोटीन जैसे मूल्यवर्धित उत्पादों के लिए अधिक रास्ते बनाने के लिए दालों और तिलहन में आत्मनिर्भरता हासिल करने पर विशेष ध्यान देने की सराहना करते हैं।’’
धानुका समूह के अध्यक्ष आर जी अग्रवाल ने कहा, ‘‘बजट ने अनुसंधान और विकास में कम निवेश और कम फसल पैदावार की दोहरी चिंताओं को दूर करने की कोशिश की है।’’
वेदर रिस्क मैनेजमेंट सर्विसेज (डब्ल्यूआरएमएस) के सह-संस्थापक और सीटीओ, आशीष अग्रवाल ने कहा, ‘‘इस प्रगति का पूरा लाभ उठाने के लिए, आईओटी, एआई और डेटा एनालिटिक्स में निवेश बढ़ाना महत्वपूर्ण है।’’
प्राइमस पार्टनर्स के प्रबंध निदेशक देवरूप धर ने किसान और भूमि रजिस्टर पहल पर टिप्पणी की, ‘‘इसे एक मिशन मोड में शुरू किया जाना चाहिए और फिर पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए।’’
डेलॉयट एशिया प्रशांत के भागीदार और उपभोक्ता उद्योग लीडर राजीव सिंह ने कहा, ‘‘खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को दालों में आत्मनिर्भरता के मिशन, झींगा मछली उत्पादन को प्रोत्साहित करने और सब्जी उत्पादन क्लस्टर पर ध्यान केंद्रित करने से लाभ होगा।’’
बेयर क्रॉपसाइंस के उपाध्यक्ष, प्रबंध निदेशक और सीईओ, साइमन वीबुश ने कहा, ‘‘जलवायु प्रतिरोधी फसलों पर ध्यान केंद्रित करने और नई तकनीक तक पहुंच से खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ तिलहन जैसे प्रमुख क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता आएगी।’’
एफएमसी कॉरपोरेशन के निदेशक (उद्योग और सार्वजनिक मामले) राजू कपूर ने कहा, ‘‘सरकार ने एक ‘आगे की ओर देखने वाला’ और ‘विकासोन्मुखी’ बजट पेश किया है जो भारतीय कृषि के परिवर्तन को सही मायने में प्राथमिकता देता है।’’
श्री रेणुका शुगर्स के कार्यकारी अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘कृषि और आर्थिक विकास पर केंद्रित बजट सराहनीय है। यह भारतीय कृषि को नया आकार देने और उत्पादकता बढ़ाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।’’
पीडब्ल्यूसी इंडिया के भागीदार (कृषि) शशि कांत सिंह ने कहा, ‘‘केंद्रीय बजट ने कृषि क्षेत्र के सतत विकास को सुनिश्चित करने के लिए एक स्पष्ट रास्ता तय किया है। 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक के आवंटन के साथ-साथ उत्पादकता और टिकाऊपन पर स्पष्ट ध्यान देने से इस क्षेत्र को बहुत ज़रूरी बढ़ावा मिला है।’’
क्रॉप केयर फेडरेशन ऑफ इंडिया (सीसीएफआई) के उपाध्यक्ष राजेश अग्रवाल ने कहा, ‘‘उत्पादकता और टिकाऊ खेती पर ध्यान केंद्रित करके यह बजट किसानों के जीवन को बदलने और समग्र अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने का वादा करता है।’’
भाषा राजेश राजेश अजय
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