नयी दिल्ली, 20 नवंबर (भाषा) केंद्र ने दक्षिणी राज्यों से केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) को लागू करने में तेजी लाने को कहा है। केंद्र ने कहा है कि ऐसी योजनाओ के लिए समय पर धन आवंटन और एकल नोडल खातों के उचित प्रबंधन की जरूरत है।
आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में 19 नवंबर को संपन्न हुए दो दिन के क्षेत्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने एसएनए-स्पर्श के संचालन, अप्रयुक्त शेष राशि और ब्याज की वापसी और उपयोग प्रमाण पत्र (यूसी) को तुरंत जमा करने पर जोर दिया।
क्षेत्र-विशिष्ट कृषि चुनौतियों से निपटने के लिए राज्यस्तरीय सम्मेलनों के महत्व पर जोर देते हुए सचिव ने कहा, ‘‘केंद्र, राज्यों का बहुत बड़ा भागीदार है और किसानों की स्थिति को सुधारने में उनकी मदद करेगा।’’
विभिन्न योजनाओं की प्रगति का मूल्यांकन करने के लिए आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक और पुडुचेरी के वरिष्ठ अधिकारियों ने सम्मेलन में भाग लिया।
राज्यों को दिसंबर तक वित्त वर्ष 2025-26 के लिए वार्षिक कार्ययोजना को अंतिम रूप देने की सलाह दी गई है, ताकि अप्रैल, 2025 तक पहली किस्त समय पर जारी की जा सके।
सम्मेलन के दौरान, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (पीएम-आरकेवीवाई), कृषोन्ति योजना (केवाई) और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) सहित प्रमुख पहल पर व्यापक चर्चा हुई।
सचिव ने राज्यों से किसानों की रजिस्ट्री के विकास के लिए ‘आक्रामक रूप से काम’ करने को कहा। उन्होंने इसे ‘एक बार का काम’ बताया, जिससे केंद्रीय क्षेत्र और केंद्र प्रायोजित योजनाओं दोनों के लिए महत्वपूर्ण लाभ होगा।
जिन अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई उनमें राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन, कार्बन क्रेडिट, नमो ड्रोन दीदी, ई-राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-एनएएम) और कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) शामिल है।
सम्मेलन का समापन एक खुले सत्र के साथ हुआ, जिसमें काश्तकारी खेती, बेहतर नमूनाकरण प्रणाली, अंतर-फसल और जैविक खेती सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई।
राज्य के अधिकारियों ने 19 नवंबर को प्राकृतिक खेती के खेतों का दौरा किया और विभिन्न टिकाऊ कृषि पद्धतियों और ड्रोन छिड़काव तकनीक का अवलोकन किया।
भाषा राजेश राजेश अजय
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