कृषि के पास ‘लंबवत’ रूप से बढ़ने का जबर्दस्त अवसर: आईटीसी के चेयरमैन संजीव पुरी |

कृषि के पास ‘लंबवत’ रूप से बढ़ने का जबर्दस्त अवसर: आईटीसी के चेयरमैन संजीव पुरी

कृषि के पास ‘लंबवत’ रूप से बढ़ने का जबर्दस्त अवसर: आईटीसी के चेयरमैन संजीव पुरी

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Modified Date: December 11, 2024 / 09:12 PM IST
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Published Date: December 11, 2024 9:12 pm IST

नयी दिल्ली, 11 दिसंबर (भाषा) आईटीसी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक संजीव पुरी ने बुधवार को कहा कि दुनियाभर में खाद्य और पोषण सुरक्षा को लेकर ‘गंभीर चिंता’ बनी हुई है और यह खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ने के महत्वपूर्ण कारणों में से एक है।

कृषि क्षेत्र के पास लंबवत रूप से बढ़ने का ‘जबर्दस्त अवसर’ है, लेकिन टिकाऊ खेती के साथ इसे जलवायु अनुकूल बनाने के लिहाज से तमाम समाधान प्रदान करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की आवश्यकता है।

उन्होंने यहां भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के एक समारोह में कहा कि इस क्षेत्र को उत्पादकता और गुणवत्ता बढ़ानी होगी और साथ ही इसे जलवायु परिवर्तन जैसी नई चुनौतियों से भी निपटना होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘इसे नई चुनौती से निपटना होगा, जो इस क्षेत्र के सामने जलवायु परिवर्तन जैसी ही बहुत गंभीर चुनौती है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जो अनिश्चित मौसम के प्रति बेहद संवेदनशील है और ये सभी मुद्दे अब भविष्य की चीजें नहीं हैं। वे आज भी मौजूद हैं और हमारे सामने हैं।’’

इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत में बड़ी संख्या में छोटे और सीमांत किसान हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम उनके साथ कैसे काम कर सकते हैं? हम उन्हें कैसे सक्षम बना सकते हैं और उन्हें उत्पादक बना सकते हैं, उन्हें भविष्य के लिए तैयार कर सकते हैं? ये कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जो मुझे लगता है कि विकास के लिए एक बेहतरीन अवसर प्रदान करते हैं…।’’

पुरी ने यह भी कहा कि उत्पादकता से निपटने के दौरान, स्थिरता के बारे में भी सोचने की ज़रूरत है, क्योंकि खेती के पूरे तौर-तरीके को कैसे बदलना है ताकि यह पर्यावरण के लिए ज़्यादा अनुकूल हो सके।

पुरी ने कहा कि किसानों को अभिनव और व्यापक समाधान प्रदान करने के लिए नए युग की डिजिटल तकनीकों का उपयोग करने की आवश्यकता है, और स्टार्टअप के लिए पिछले कुछ वर्षों में उद्देश्यपूर्ण सरकारी समर्थन ने इस दिशा में जबर्दस्त प्रगति की है।

उन्होंने कहा, ‘‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि प्रगति हुई है, लेकिन हमारे सामने अब भी चुनौतियाँ हैं। और सबसे महत्वपूर्ण बात, मुझे लगता है कि अब उपलब्ध अवसरों की मात्रा को पहचानना महत्वपूर्ण है।’’

वर्ष 2050 तक विश्व खाद्य उत्पादन में कितनी वृद्धि की आवश्यकता है, इस पर विभिन्न अनुमान हैं, और यह ऐसे समय में किया जाना चाहिए जब प्राकृतिक संसाधन कम हो रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘इसमें एक बड़ा अवसर छिपा है और इसकी क्षमता को देखते हुए भारत वैश्विक व्यापार में दो से तीन प्रतिशत की वृद्धि कर सकता है। यह वास्तव में एक बड़ा अवसर है। उत्पादन स्रोत, टिकाऊ खेती आदि की आवश्यकता बढ़ रही है।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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