नयी दिल्ली, 28 जनवरी (भाषा) परिधान निर्यातकों के संगठन एईपीसी ने मंगलवार को सरकार से श्रम कानूनों, कार्यबल के लिए कौशल विकास की योजनाओं में सुधार तथा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कपड़ा आयात नीति को लचीला बनाने का सुझाव दिया।
परिधान निर्यात संवर्द्धन परिषद (एईपीसी) के चेयरमैन सुधीर सेखरी ने कहा कि वर्ष 2030 तक तैयार परिधान (रेडिमेड गारमेंट्स) के लिए 40 अरब डॉलर का निर्यात लक्ष्य, एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य है। हालांकि उद्योग इसे हासिल करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार को ‘‘भारतीय श्रम कानूनों में सुधार लाने चाहिए, कार्यबल के लिए कौशल विकास की योजनाओं में सुधार करना चाहिए और कपड़ा आयात नीति को लचीला और उद्योग के अनुकूल बनाना चाहिए।’’
निर्यात बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए परिषद ने यहां प्रमुख परिधान ब्रांड के साथ गोलमेज चर्चा की।
परिषद ने कहा कि भारत की सबसे बड़ी ताकत इसकी डिजाइन क्षमता और कच्चे माल का आधार है और इसका लाभ उठाया जाना चाहिए।
इसने कहा, ‘‘ब्रांड की प्रमुख मांगों में क्षमता निर्माण और विनिर्माण में तेजी लाना शामिल है। साथ ही कुशल श्रमिकों की कमी जो भारत की विकास गाथा में बाधा बन रही है, उसे दूर करने की जरूरत है। ब्रांड ने यह भी सुझाव दिया कि एफटीए (मुक्त व्यापार समझौते) हमारे पक्ष में काम कर रहे हैं और ऑर्डर की मात्रा में वृद्धि हुई है।’’
कई ब्रांड ने सुझाव दिया कि हाल के दिनों में मेड-इन-इंडिया स्वेटर की मांग सबसे ज्यादा रही है और उद्योग को इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-नवंबर के दौरान भारत का स्वेटर निर्यात एक करोड़ 14.5 लाख डॉलर का हुआ है।
भाषा राजेश राजेश अजय
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