वर्ष 2047 तक ‘विकसित भारत’ बनाने के लिए अनुकूल वैश्विक स्थितियों का लाभ उठाना होगाः सीईए

वर्ष 2047 तक 'विकसित भारत' बनाने के लिए अनुकूल वैश्विक स्थितियों का लाभ उठाना होगाः सीईए

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  • Publish Date - January 31, 2025 / 08:03 PM IST,
    Updated On - January 31, 2025 / 08:03 PM IST

(तस्वीर के साथ)

नयी दिल्ली, 31 जनवरी (भाषा) मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने शुक्रवार को कहा कि भारत को वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लिए अनुकूल वैश्विक स्थितियों का लाभ उठाना होगा।

इसके साथ ही नागेश्वरन ने भारत की आर्थिक वृद्धि में आई सुस्ती के लिए वैश्विक कारकों को जिम्मेदार ठहराया।

शुक्रवार को संसद में पेश आर्थिक समीक्षा 2024-25 के मुताबिक, भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लिए दो दशकों तक आठ प्रतिशत की दर से बढ़ने की जरूरत होगी।

नागेश्वरन ने आर्थिक समीक्षा पेश होने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में तुलनात्मक रूप से दिख रही सुस्ती को विशेष संदर्भ में देखा जाना चाहिए और भारत अभी भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की आर्थिक वृद्धि घटकर 6.4 प्रतिशत रह सकती है। वहीं समीक्षा में 2025-26 के लिए 6.3 से 6.8 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है।

नागेश्वरन ने कहा कि जब भी वैश्विक निर्यात वृद्धि में तेजी आती है, तो उस समय जीडीपी वृद्धि आधा से एक प्रतिशत तक बढ़ जाती है। ऐसा होने पर भारत की आर्थिक वृद्धि 7.5-8 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी।

उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि में एक प्रतिशत का अतिरिक्त योगदान दे सकता है।

नागेश्वरन इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या भारत के लिए 2047 तक विकसित राष्ट्र बनना संभव है, क्योंकि आने वाले वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था 6.3-6.8 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना है। यह दर विकसित देश बनने के लिए जरूरी वृद्धि से बहुत कम है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह ऐसी चीज नहीं है, जिसे औसतन हर साल हासिल किया जा सके। कुछ साल हम इससे अधिक वृद्धि हासिल करेंगे और कुछ ऐसे साल भी होंगे, जब हम इससे कम हासिल करेंगे। यह वैश्विक परिदृश्यों पर निर्भर करेगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमें अनुकूल वर्षों में इसका लाभ उठाने के लिए तैयार रहना होगा, जबकि मुश्किल समय में वृद्धि का एक निश्चित स्तर बनाए रखना होगा।’’

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2027-28 तक भारत 5,000 अरब अमेरिकी डॉलर और वित्त वर्ष 2029-30 तक 6300 अरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा।

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में आई गिरावट से निपटने के लिए आरबीआई के कदमों पर नागेश्वरन ने कहा कि रुपया या घरेलू नकदी के संबंध में केंद्रीय बैंक ने सही दिशा में कदम उठाए हैं।

भारत के शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में कमी आने के बारे में पूछे जाने पर सीईए ने कहा, ‘‘हम अब केवल उभरते बाजार वाले देशों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर रहे हैं, बल्कि हम अब औद्योगिक देशों के साथ भी प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।’’

नागेश्वरन ने यह भी कहा कि उन्हें कच्चे तेल की कीमतों में किसी भी तरह के उछाल की उम्मीद नहीं है।

भाषा पाण्डेय प्रेम

प्रेम

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