नयी दिल्ली, 19 जनवरी (भाषा) उद्योग मंडल एसोचैम ने सरकार से बजट में कोयला उपकर हटाने का अनुरोध किया है।
उद्योग मंडल का कहना है कि इस कदम से एल्युमीनियम जैसे बिजली-गहन उद्योगों को समर्थन मिलेगा और घरेलू उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता बनी रहेगी।
एसोचैम ने अपने बजट पूर्व ज्ञापन में कहा, ‘‘मुख्य रूप से बिजली पर आधारित उद्योगों को समर्थन देने के लिए कोयले पर उच्च उपकर (400 रुपये प्रति टन)… को समाप्त किया जाना चाहिए।’’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को आम बजट 2025-26 पेश करेंगी।
इस उपकर को 2010 में स्वच्छ ऊर्जा उपकर के रूप में लागू किया गया था। इसके तहत कोयले पर 50 रुपये प्रति टन का शुल्क लगाया गया था।
समय के साथ इसमें बढ़ोतरी होती गई। वित्त वर्ष 2014-15 में इसे बढ़ाकर 100 रुपये प्रति टन, 2015-16 में 200 रुपये प्रति टन और आम बजट 2016-17 में 400 रुपये प्रति टन कर दिया गया। एसोचैम ने कहा कि कोयला उपकर में बढ़ोतरी से एल्युमीनियम की उत्पादन लागत कई गुना बढ़ गई है।
इसने आगे कहा कि कोयला उपकर में भारी बढ़ोतरी ने एल्युमीनियम उद्योग की स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है, क्योंकि यह बिजली पर बहुत ज्यादा निर्भर उद्योग है। इस उद्योग की उत्पादन लागत में कोयले का हिस्सा 32 प्रतिशत बैठता है।
उल्लेखनीय है कि भारत में दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा कोयला भंडार है। इसके बावजूद औद्योगिक बिजली की लागत काफी ऊंची है।
वैश्विक स्तर पर दुनिया के प्रमुख एल्युमीनियम उत्पादक देश अपने उद्योग को समर्थन के लिए बिजली और उत्पादन लागत को कम कर रहे हैं।
नीति आयोग की एक हालिया रिपोर्ट ‘भारत में एल्युमीनियम नीति की जरूरत’ में कहा गया है कि घरेलू एल्युमीनियम उत्पादकों को बिजली की ऊंची लागत की वजह से चुनौतियों का सामना पड़ रहा है। इससे वैश्विक कारोबारियों की तुलना में घरेलू उद्योग की प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता प्रभावित हो रही है।
भाषा अजय अजय अनुराग
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