(फाइल फोटो के साथ)
नयी दिल्ली, पांच दिसंबर (भाषा) मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी. अनंत नागेश्वरन ने बृहस्पतिवार को कहा कि अक्टूबर-नवंबर में कुछ क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आयी है और चालू वित्त वर्ष में 6.5-7 प्रतिशत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि संभव है।
उन्होंने कहा कि दूसरी तिमाही के 5.4 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि अनुमान को भविष्य में संशोधित किया जा सकता है, क्योंकि वर्तमान अनुमान मौसमी रूप से समायोजित नहीं हैं।
नागेश्वरन ने कहा, ‘‘ मुझे नहीं लगता कि इन आंकड़ों पर प्रतिक्रिया देते हुए हमें मूल्यवान तथ्यों को दरकिनार करना चाहिए क्योंकि अंतर्निहित वृद्धि की कहानी अब भी काफी हद तक बरकरार है।’’
भारत की आर्थिक वृद्धि दर जुलाई-सितंबर तिमाही में घटकर सात तिमाहियों के निम्नतम स्तर 5.4 प्रतिशत पर आ गयी, जबकि अप्रैल-जून तिमाही में यह 6.7 प्रतिशत थी।
नागेश्वरन ने कहा कि दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि में मंदी का कारण सितंबर में कुछ ‘‘धार्मिक अनुष्ठान’’ और अत्यधिक मानसूनी वर्षा हो सकती है। यह अन्य दीर्घकालिक मुद्दों के कारण भी हो सकता है..।
उन्होंने कहा कि इसलिए स्पष्टीकरण सामान्य से लेकर अधिक गंभीर तक हो सकते हैं। यह दूसरी तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि का पहला अनुमान है।
नागेश्वरन ने कहा, ‘‘ इसे संशोधित कर बढ़ाया जा सकता है।’’
उन्होंने कहा कि आर्थिक समीक्षा में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सकल घरेलू उत्पाद की 6.5-7 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा, ‘‘ समूचे वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत की वृद्धि हासिल करने में सक्षम होने के लिए, हमें अगली दो तिमाहियों में सात प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि की आवश्यकता है, जिनमें से तीसरी तिमाही के दो महीने पहले ही समाप्त हो चुके हैं और हम तीसरे महीने में हैं।’’
उन्होंने एसोचैम के कार्यक्रम में कहा, ‘‘ मुझे लगता है कि यह संभव है यदि आप विशिष्ट क्षेत्रों में हुई कुछ प्रगति को देखें। इसलिए मेरा मानना है कि इस वर्ष 6.5-7 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करना संभव है।’’
वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था 8.2 प्रतिशत बढ़ी।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है जो वित्त मंत्रालय के आर्थिक समीक्षा में लगाए 6.5-7 प्रतिशत के अनुमान से अधिक है।
भाषा निहारिका मनीषा
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