बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 458 परियोजनाओं की लागत 5.71 लाख करोड़ रुपये बढ़ी

बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 458 परियोजनाओं की लागत 5.71 लाख करोड़ रुपये बढ़ी

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  • Publish Date - June 23, 2024 / 11:19 AM IST,
    Updated On - June 23, 2024 / 11:19 AM IST

नयी दिल्ली, 23 जून (भाषा) बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक के खर्च वाली 458 परियोजनाओं की लागत इस साल मई तक तय अनुमान से 5.71 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा बढ़ गई है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देरी और अन्य कारणों से इन परियोजनाओं की लागत बढ़ी है।

सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक की लागत वाली बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की निगरानी करता है।

मंत्रालय की मई, 2024 की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की 1,817 परियोजनाओं में से 458 की लागत बढ़ गई है, जबकि 831 अन्य परियोजनाएं देरी से चल रही हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘इन 1,817 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 27,58,567.23 करोड़ रुपये थी लेकिन अब इसके बढ़कर 33,29,647.99 करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है। इससे पता चलता है कि इन परियोजनाओं की लागत 20.70 प्रतिशत यानी 5,71,080.76 करोड़ रुपये बढ़ गई है।’’

रिपोर्ट के अनुसार, मई, 2024 तक इन परियोजनाओं पर 17,07,190.15 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, जो कुल अनुमानित लागत का 51.3 प्रतिशत है।

हालांकि, मंत्रालय ने कहा है कि यदि परियोजनाओं के पूरा होने की हालिया समयसीमा के हिसाब से देखें तो देरी से चल रही परियोजनाओं की संख्या कम होकर 554 पर आ जाएगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि देरी से चल रही 831 परियोजनाओं में से 245 परियोजनाएं एक महीने से 12 महीने, 188 परियोजनाएं 13 से 24 महीने की, 271 परियोजनाएं 25 से 60 महीने और 127 परियोजनाएं 60 महीने से अधिक की देरी से चल रही हैं। इन 831 परियोजनाओं में विलंब का औसत 35.1 महीने है।

इन परियोजनाओं में देरी के कारणों में भूमि अधिग्रहण में विलंब, पर्यावरण और वन विभाग की मंजूरियां मिलने में देरी और बुनियादी संरचना की कमी प्रमुख है। इसके अलावा परियोजना का वित्तपोषण, विस्तृत अभियांत्रिकी को मूर्त रूप दिए जाने में विलंब, परियोजना की संभावनाओं में बदलाव, निविदा प्रक्रिया में देरी, ठेके देने व उपकरण मंगाने में देरी, कानूनी व अन्य दिक्कतें, अप्रत्याशित भू-परिवर्तन आदि की वजह से भी इन परियोजनाओं में विलंब हुआ है।

भाषा अजय अजय

अजय