Medical insurance will be expensive: नई दिल्ली। बढ़ती महंगाई के बीच बीमारियों के चलते इलाज कराना भी अब मुश्किल होते जा रहा है। खासकर मिडिल और गरीब वर्ग वालों के लिए इलाज कराना कोई छोटी बात नहीं रह जाती है। इस बढ़ती मंहगाई के कारण लोगों को इलाज कराने के लिए दर दर भटकना पड़ता है। बता दें कि अभी हाल ही में पॉलिसी बाजार ने एक डेटा जारी किया था, जिसमें बताया गया कि पिछले पांच साल में मामूली से मामूली बीमारी का इलाज कराने का खर्च दोगुना हो चुका है। वहीं इसके अलावा मेडिकल इंश्योरेंस भी महंगा हो गया है।
लोगों को महंगाई के चलते मेडिक्लेम पर लोगों को ज्यादा प्रीमियम भरना पड़ रहा है। अब ऐसे में लोगों को उम्मीद है कि इस आगामी बजट में इलाज उनका सस्ता हो सकता हैं। क्या बजट में मेडिक्लेम पर टैक्स बेनिफिट की लिमिट बढ़ सकती है? आपको बता दें कि वहीं मंहगाई के बीच कोरोना महामारी के दस्तक देने के बाद से देश में लोगों के लिए अस्पतालों में इलाज कराना और भी महंगा हो गया है। यहीं नहीं यह इलाज की महंगाई बढ़ते ही जा रही है। जानकारी के मुताबिक सिर्फ इलाज ही मंहगा नहीं हुआ है बल्कि मेडिकल इंश्योरेंस भी महंगा हो गया है। मेडिक्लेम लेने पर लोगों को अब भारी भरकम प्रीमियम का भुगतान करना पड़ रहा है।
अब अगर कोई व्यक्ति अपने स्पाउज और दो बच्चों के लिए 5 लाख रुपए तक का मेडिक्लेम लेता है तो उसे सालाना 36,365 रुपऐ तक प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है। और 10 साल के लिए मेडिक्लेम लेता है तो उसे 40,227 रुपऐ सालाना प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है और अगर 20 लाख का मेडिकल इश्योरेंस लेता है तो उसे 47,000 रुपए सालाना प्रीमियम का भुगतान करना होता है। ऐसे में 80डी के तहत 25,000 रुपये के प्रीमियम भुगतान पर टैक्स डिडक्शन बेनेफिट नाकाफी साबित हो रहा है।
Medical insurance will be expensive: जानकारी के मुताबिक ऐसे में वित्त मंत्री से 80डी के तहत डिडक्शन लिमिट को बढ़ाए जाने की मांग की जा रही है। वहीं मेडिकल इंश्योरेंस का फायदा केवल उन्हीं टैक्सपेयर्स को मिलता है जो पुरानी इनकम टैक्स रिजीम के तहत रिटर्न फाइल करते हैं। नए इनकम टैक्स रिजीम में इस डिडक्शन का लाभ नहीं मिलता है। ऐसे में ये भी मांग की जा रही है मेडिकल इंश्योरेंस के प्रीमियम पर टैक्स डिडक्शन का बेनेफिट नए इनकम टैक्स रिजीम में भी टैक्सपेयर्स को दिया जाए। अब सवाल उठता है कि लगातार छठी बार बजट पेश कर रहीं निर्मला सीतारमण टैक्सपेयर्स को ये सौगात देती हैं या नहीं?