Rama Ekadashi 2023/Shri Hari Yoga : नई दिल्ली। हिंदू धर्म शास्त्रों एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। हर माह दोनों पक्षों की एकादशी तिथि को श्री हरि को समर्पित एकादशी व्रत रखा जाता है। बता दें कि हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रमा एकादशी मनाई जाती है। इस वर्ष गुरुवार को रमा एकादशी है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है। साथ ही भगवान विष्णु के निमित्त एकादशी का व्रत रखा जाता है।
Rama Ekadashi 2023/Shri Hari Yoga : उदयातिथि के अनुसार, रमा एकादशी का व्रत 9 नवंबर यानी आज रखा जा रहा है। एकादशी तिथि की शुरुआत 8 नवंबर यानी कल सुबह 8 बजकर 23 मिनट पर हो चुकी है और समापन 9 नवंबर यानी आज सुबह 10 बजकर 41 मिनट पर होगा। रमा एकादशी का पारण 10 नवंबर को सुबह 6 बजकर 39 मिनट से लेकर 8 बजकर 50 मिनट तक रहेगा।
Rama Ekadashi 2023/Shri Hari Yoga : रमा एकादशी पर पूजा के लिए संध्या काल में दीपदान करने से देवी लक्ष्मी अति प्रसन्न होती हैं और इससे सुख-समृद्धि, धन में वृद्धि होती है और समस्त बिगड़े काम बन जाते हैं। देवी तुलसी लक्ष्मी स्वरूपा है अतः इस दिन तुलसी पूजन बहुत पुण्यदायी है। शास्त्रों के अनुसार जो मनुष्य साल भर आने वाली एकादशी तिथि के व्रत धारण नहीं कर पाता है वो महज इस एकादशी का व्रत रखने से ही जीवन की दुर्बलता और पापों से मुक्ति पाकर सुखमय जीवन जीने लगता हैं।
पद्म पुराण में उल्लेख है कि जो फल कामधेनु और चिन्तामणि से प्राप्त होता है उसके समतुल्य फल रमा एकादशी के व्रत रखने से प्राप्त हो जाता हैं। सभी पापों का नाश करने वाली और कर्मों का फल देने वाली रमा एकादशी का व्रत रखने से धन धान्य की कमी भी दूर हो जाती हैं। रमा एकादशी पर लक्ष्मी-नारायण की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है।
रमा एकादशी का व्रत करने वालों पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष कृपा होती है। इस दिन भगवान विष्णु को भोग लगाएं और पूजा के बाद इस प्रसाद को सभी लोगों में जरूर बांटें। रमा एकादशी के दिन गीता का पाठ करने का खास महत्व बताया गया है। इस दिन शाम के समय भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है। अगले दिन मंदिर में जाकर पूजा-पाठ कर दान-दक्षिणा देना शुभ होता है। इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति मृत्यु के उपरान्त मुक्ति प्राप्त करता है।
ॐ नमोः नारायणाय। ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय।
शांता कारम भुजङ्ग शयनम पद्म नाभं सुरेशम।
विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम।
लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म।
वन्दे विष्णुम भवभयहरं सर्व लोकैकनाथम।।
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नम।
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद,
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्ये नम:।