सुकमा । सुकमा ज़िले में सलवा जूडूम के दौर में बंद किए स्कूलों को पुनः प्रारंभ कर छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने एक बात स्पष्ट कर दिया है की अति पिछड़े आदिवासियों तक सरकार हर वह योजनाएँ पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध है जो अब तक आदिवासियों तक नहीं पहुँच है इसी कड़ी में सुकमा ज़िले में तक़रीबन 97 स्कूल जिसे वर्ष 2006 में बंद कर दिया गया था उसे फिरसे प्रारंभ कर दिया गया है जहां अब बच्चे नक्सलियों की पाठशाला छोड़ सरकार की स्कूलों में अपने भविष्य को गढ़ने लगे हैं।
वर्ष 2006 का वह दौर जब सुकमा ज़िले में एक के बाद एक 1 सौ 23 स्कूलों को बंद कर दिया गया था एकाएक अंदरूनी इलाक़ों तक शासन की तक़रीबन सभी योजनाएँ अंदरूनी इलाक़ों में बंद कर दी गई यहाँ के आदीवासी बच्चों का भविष्य अंधकार की ओर बढ़ने लगा तक़रीबन 12 वर्षों बाद छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार ने सलवा जूडूम के समय बंद किए गए सभी स्कूलों को पुनः प्रारंभ कराने पहल की तो देखते ही देखते सुकमा ज़िले प्रशासन ने बंद पड़े 1 सौ 23 स्कूलों में से 97 स्कूलों को पुनः प्रारंभ करवा देश दुनिया से दुर नक्सलवाद के अंधकार में डूबे आदिवासियों के बच्चों के भविष्य को सुनहरे कल में बदल दिया हैं जहां अब बच्चे क ख ग के साथ ही ABCD भी पढ़ रहे हैं।
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पुनः प्रारंभ हुई स्कूलों में से एक स्कूल है कोन्टा ब्लॉक के घोर नक्सल प्रभावित मोरपल्ली गाँव की जहां 2006 में स्कूलों को बंद कर दिया गया था मोरपल्ली गाँव को हमेशा से सलवा जूडूम के नेता और सुरक्षाबल द्वारा नक्सलियों की गढ़ माना जाता रहा है वहीं वर्ष 2011 में मोरपल्ली गाँव तब चर्चे में आया जब सुरक्षाबलों पर गाँवों के घरों को जला दिया गया गाँव के ग्रामीण जंगलों पहाड़ों में झोपड़ी बना अपने बच्चे और परिवार का पालन पोषण करने लगे इसी दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी इस गाँव में हुई आगज़नी मामले में विपक्ष द्वारा बनाए गए जाँच टीम का हिस्सा थे ।
सलवा जूडूम के लोगों ने कांग्रेस के जाँच दल को रास्ते पर ही रोक दिया था छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार के गठन के साथ ही सुकमा ज़िले में बंद पड़े स्कूलों को पुनः खोलने की क़वायद शुरू हुई तो मोरपल्ली गाँव के तीन पारे में स्थानीय शिक्षित युवकों शिक्षादूत बना स्कूलों पुनः संचालित कर दिया गया जहां अब बच्चे स्कूलों में बेहतर शिक्षा लेकर अपने भविष्य गढ़ने की तैयारी कर रहे हैं वही पुनः प्रारंभ किए गए स्कूलों को तत्कालिक रूप से झोपड़ी बना संचालित की जा रही है थी वर्तमान में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर सुकमा कलेक्टर हरिस एस. द्वारा पक्के भवन का निर्माण करवाया जा रहा है ताकी स्कूलों में बच्चों के बैठने व पढ़ने में किसी तरह की दिक़्क़तों का सामना ना करना पड़े।
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गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के सुकमा ज़िले के अंचल में वर्ष 2006 के दौरान नक्सल प्रभाव बढ़ने के साथ लगातार नक्सल हिंसा भी बढ़ती रही। इस बीच सलवा-जुडूम के दौरान नक्सलियों ने स्कूलों को सुरक्षा बलों का ठिकाना मानते हुए अपना शिकार बनाया और लगातार पूरे सुकमा के अंदरूनी इलाके के स्कूलों में ब्लास्ट कर उन्हें ध्वस्त कर दिया गया अब बीते चार सालों में राज्य सरकार के प्रयासों से और सुरक्षा बलों के नक्सल उन्मूलन अभियान के बाद सुकमा में नक्सल हिंसा में काफी हद तक नियंत्रण कर लिया गया है। वहीं विकास, विश्वास और सुरक्षा के ध्येय से काम करते हुए विकास की नई इबारत लिखी जा रही है। इसी कड़ी में जहां पूरे सुकमा जिले में ध्वस्त किए गए 123 में से 97 स्कूलों का संचालन प्रारंभ हो चुका है। इन 97 स्कूलों में वर्तमान में 3973 विद्यार्थियों का दाखिला हुआ है जो अपने बेहतर भविष्य को गढ़ने स्कूलों में शिक्षा ले रहे हैं।