काबुल। Taliban decree for filmmakers : अफगानिस्तान में रहने वाले गायक, फिल्मकार, अभिनेता आदि कलाकारों के लिए तालिबानी आतंकियों ने खुले तौर पर कहा है कि इस्लामी शरिया के अनुसार वे अपने पेशे का मूल्यांकन करें। इस मूल्यांकन के बाद उन्हें अपना पेशा खुद ही बदलना पड़ जाएगा। तालिबानी प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद से सवाल किया गया था कि क्या तालिबान देश में कलाकारों को अपना काम जारी रखने देगा? इस पर मुजाहिद ने कहा कि अफगानिस्तान में कलाकारों का भाग्य इस्लामी कानून के अनुसार तय होगा।
अगर गायक, फिल्म अभिनेता या फिल्मकार आदि अपने पेशे का इस्लामी शरिया कानूनों के अनुसार मूल्यांकन करेंगे तो उन्हें खुद ही यह पेशा बदलना पड़ जाएगा। बता दें कि तालिबान के कब्जे के बाद से बड़ी संख्या में कलाकारों ने अफगानिस्तान छोड़ दिया है।
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Taliban decree for filmmakers : तालिबान ने पिछले महीने हास्य कलाकार फजल मोहम्मद की हत्या कर दी थी। घर से अपहरण कर ले जाते आतंकियों का वीडियो वायरल हुआ था। तालिबान ने जाने-माने इतिहासकार व कवि अब्दुल्लाह अतिफी की भी हत्या कर दी थी।
तालिबानियों ने पहले ही कहा था, शरिया के तहत ही महिलाओं का अधिकार व सम्मान मिलेगा। लोकप्रिय अफगान पॉपस्टार आर्याना सईद ने कहा कि वहां महिलाओं का भी कोई भविष्य नहीं है। आशंका भी जताई कि अब महिलाएं अपने घरों में कैद होकर रह जाएंगी, उन्हें मूल अधिकार तक नहीं मिलेंगे।
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15 अगस्त को ही अफगानिस्तान की सबसे लोकप्रिय फिल्मकार सहरा करीमी का एक वीडियो सामने आया था, जिसमें वे काबुल की सड़कों पर अफरा-तफरी के बीच भागती नजर आई थीं। उन्होंने भी कहा था कि अफगानिस्तान में महिलाओं और कलाकारों के लिए अब कोई जगह नहीं बची है, क्योंकि तालिबानी आतंकी उनका सम्मान नहीं करते। करीमी अफगानिस्तान सरकार के फिल्म संगठन की पहली महिला अध्यक्ष रही हैं।
अफगानिस्तान छोड़कर निकलने में कामयाब रहीं एक पत्रकार ने बताया है कि तालिबानी घर-घर जाकर शादी के लिए 15 साल से बड़ी लड़कियों की तलाश कर रहे हैं। द डलास मॉर्निंग न्यूज में होली मैके ने कहा है, अफगानी महिलाओं ने अपनी आजादी के लिए कड़ी मेहनत की थी पर तालिबान की वापसी से सब बदल गया है।