नई दिल्ली। NEET परीक्षा से पहले सलेम के रहने वाले मेडिकल छात्र की आत्महत्या का मामला सोमवार को तमिलनाडु विधानसभा में खूब गूंजा, इस घटना के बाद राज्य सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए विधानसभा में NEET Exam को रद्द करने के लिए एक विधेयक पारित कर दिया, इस विधेयक में कहा गया कि एमबीबीएस/बीडीएस की प्रवेश परीक्षा के लिए 12 वीं कक्षा के अंकों को आधार बनाया जाता है।
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विधानसभा में सरकार के इस विधेयक का अन्नाद्रमुक ने समर्थन किया तो वहीं भाजपा ने इस विधेयक का विरोध करते हुए सदन से वाकआउट किया, इस विधेयक में सरकार ने राष्ट्रपति से प्रदेश के मेडिकल स्टूडेंट को नीट एग्जॉम में स्थायी तौर पर छूट देने की मांग की गई है।
प्रमुख विपक्षी दल अन्नाद्रमुक ने सरकार को निशाना बनाया जबकि मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने राज्य में नीट परीक्षा आयोजित नहीं करवाने और मेडिकल पाठ्यक्रमों में कक्षा 12 में प्राप्त अंकों के आधार पर प्रवेश देने के लिए एक विधेयक पेश किया।
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सदन की कार्यवाही शुरू होते ही, विपक्षी दल के नेता के. पलानीस्वामी ने अपने गृह जिले सलेम में रविवार को आत्महत्या करने वाले 19 वर्षीय छात्र धनुष का मुद्दा उठाया और सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि द्रमुक ने नीट को “रद्द” करने का वादा किया था लेकिन यह नहीं किया गया और बहुत से छात्र इसके लिए तैयार नहीं थे।
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सलेम के पास एक गांव में रहने वाले धनुष ने रविवार को नीट परीक्षा में उपस्थित होने से कुछ घंटे पहले आत्महत्या कर ली थी क्योंकि उसे परीक्षा में असफल होने का डर था, इस घटना के बाद से अखिल भारतीय अन्ना द्रमुक और द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के बीच आरोप प्रत्यारोप शुरू हो गया है, राज्य सरकार का आरोप है कि इसके लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है।
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