Saraipali News: खेती किसानी के साथ ग्रामीण करते हैं संबलपुरी साड़ी बनाने का कार्य, साड़ी बनाने की कला से समाज में बनाई अलग पहचान

Saraipali News: खेती किसानी के साथ ग्रामीण करते हैं संबलपुरी साड़ी बनाने का कार्य, साड़ी बनाने की कला से समाज में बनाई अलग पहचान

  • Reported By: Bhushan Sahu

    ,
  •  
  • Publish Date - February 23, 2024 / 11:12 AM IST,
    Updated On - February 23, 2024 / 11:12 AM IST

सरायपाली।Saraipali News: सरायपाली अंचल में बुनकरों द्वारा निर्मित संबलपुरी साड़ी पूरे देश में प्रसिद्ध है साथ ही इनकी मांग दिनों दिन बढ़ती जा रही है। यहां भी कुछ स्थानों पर संबलपुरी साड़ी बनाए जा रहे हैं, जो कि कुछ परिवारों के आय का प्रमुख साधन बन गया है। सरायपाली क्षेत्र के ग्राम झिलमिला, खैरझिटकी, बेलमुण्डी, कसडोल आदि गांवों के कुछ के घरों में पूरा परिवार मिलकर हाथ से बुनाई कर संबलपुरी साड़ी बनाने का काम करते हैं। संबलपुरी साड़ी एक पारंपरिक हाथ से बुनी हुई साड़ी होती है, जिसमें ताना और बाना बुनाई के साथ टाई-डाई होते हैं। इसका उत्पादन ओडिशा के बरगढ़, सोनपुर, संबलपुर, बलांगीर और बौध जिले में अधिक किया जाता है। ग्राम झिलमिला के 5 से 8 परिवार ऐसे हैं, जो खेती किसानी के साथ-साथ संबलपुरी साड़ी बनाकर अपनी आजीविका चलाते हैं।

Read More: डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने किया गोयल TMT एकलव्य शूटिंग प्रतियोगिता का शुभारंभ, 130 प्रतिभागी ले रहे भाग 

झिलमिला निवासी जयलाल मेहेर ने बताया कि अच्छी क्वालिटी की 1 साड़ी बनाने कि लिए 3 से 4 दिन का समय लग जाता है। महीने में लगभग 15 से 20 हजार रूपए की कमाई हो जाती है। खासकर उन्हें राजधानी रायपुर और बरगढ़ से ज्यादा ऑर्डर मिलते हैं। पूरा परिवार मिलकर यह कार्य करते हुए अपना भरण पोषण करते हैं। यह व्यापार उड़ीसा के संबलपुर जिला का मुख्य व्यापार है और संबलपुर क्षेत्र की महिलाएं संबलपुरी साड़ी बडे़ ही शौक से पहनती हैं। यह कला न केवल जीविकोपार्जन का साधन है, बल्कि एक पूरे इलाके की अलग पहचान भी है। ये साड़ियां ओडिशा की शान कही जाती है। संबलपुरी साड़ी तैयार करना मेहेर समुदाय का पुश्तैनी कारोबा है।

Read More: Dipka Coal Mine: कोयला खदान हादसे में बड़ा अपडेट, घटना में कुल 3 लोगों की मौत, 2 की हालत गंभीर 

इस तरह से बनती है संबलपुरी साड़ी

Saraipali News:  इन साड़ियों को बुनने से पहले बाजार से तना लाते हैं, उसे चावल के पानी में भिगोकर अलग-अलग करते हैं। इसके बाद ग्राफ के अनुसार बांधते हैं फिर कलर करते हैं, कलर करने के बाद फनी में जोड़ते हैं फिर उसे लम्बा करके आगे लेना पड़ता है, फिर पीछे से लकड़ी के सहारे लपेटकर मांगा में लगाया जाता है। साड़ी में डिजाईन बनाने के लिए धागा को असारी में लपेटते हैं, उसके पश्चात ग्राफ से लकीर बनाते हैं। कपड़ा में लगाकर ग्राफ से डिजाईनों को बनाया जाता है। ग्राफ के हिसाब से कलर किया जाता है। उफन्ना में लपेटते हैं उसके पश्चात पुनः आसारी में लपेटा जाता है। चरखा में असारी को लगाकर नाड़ा में फिर लपेटा जाता है, मांगा साड़ी बनाने की मशीन है उसके पनिया में सुखाया हुआ लम्बा धागा को एक-एक करके डालते हैं, उसके पश्चात नाड़ा लगाकर बुनाई का कार्य प्रारंभ करते हैं, रेशम और सूती, दोनों ही धागों से यह साड़ियां बनती हैं। वहीं इस मशीन की सहायता से एक बार में दो साड़ी बनता है।

Follow the IBC24 News channel on WhatsApp

IBC24 की अन्य बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करें