नई दिल्ली। सरकारी नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में आरक्षण के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को सालाना 8 लाख रुपये की सीमा पर केंद्र सरकार फिर से समीक्षा करेगी। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वह EWS कोटे की सीमा पर दोबारा विचार करेगा। कोर्ट से इसके लिए चार हफ्ते का समय मांगा गया है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच को सरकार के सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने इसकी जानकारी दी।
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सुप्रीम कोर्ट में सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले मेहता ने जस्टिस सूर्यकांत और विक्रम नाथ वाली बेंच को बताया, “मेरे पास यह कहने का निर्देश है कि सरकार ने ईडब्ल्यूएस के मानदंडों पर फिर से विचार करने का फैसला किया है। हम एक समिति बनाएंगे और चार सप्ताह के भीतर फैसला करेंगे। हम आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के लिए आरक्षण के मानदंड पर फिर से विचार करेंगे।”
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देश भर में समान रूप से ईडब्ल्यूएस के लिए आय मानदंड तय करने को लेकर केंद्र द्वारा अपनाई गई कार्यप्रणाली के संबंध में पिछले दो महीनों में सुप्रीम कोर्ट में कई प्रस्तुतियां आईं। कोर्ट ने ऐसी कई याचिकाओं की जांच की जिनमें वर्तमान शैक्षणिक साल 2021-22 से मेडिकल एंट्री में अखिल भारतीय कोटा सीटों के भीतर EWS के 10 प्रतिशत आरक्षण को चुनौती दी है। 21 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र पर कई सवाल उठाए थे।
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गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने मेहता के बयान को रिकॉर्ड में लिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि EWS मानदंड की समीक्षा करने के लिए चार हफ्ते की जरूरत होगी। तब तक नीट ऑल इंडिया की काउंसिंग नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को चार हफ्ते का समय देते हुए अगली सुनवाई 6 जनवरी 2022 को तय की है।
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