IBC24 Chunavi Chaupal in Kota साल 2023 राजनीतिक दृष्टिकोण से मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के बेहद खास है। इन दोनों राज्यों में इस साल विधानसभा चुनाव होने है। सभी राजनीतिक दल दोनों राज्यों को जीतने के लिए तैयारियां शुरू कर दी है। एक ओर भाजपा अपने संगठन में फेरबदल करने के बाद फिर सत्ता पर काबिज होना चाह रही है। वहीं कांग्रेस राज्य सरकार की योजनाओं के जरिए दोबारा सरकार पर आना चाहेगी।
IBC24 Chunavi Chaupal in Kota चुनाव के इस साल में IBC24 एक बार फिर आपके पास पहुंच रहा है। हम अपने कार्यक्रम चुनावी चौपाल के जरिए आपसे संवाद कर आपके मुद्दों को जानेंगे। हर दिन हम दोनों राज्यों के एक-एक सीट पर जाकर मतदाताओं और जिम्मेदारों से बात करेंगे और उनका चुनावी मूड जानने की कोशिश करेंगे।
IBC24 आज पहुंची है बिलासपुर जिले की कोटा विधानसभा क्षेत्र में। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले की कोटा विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस का सबसे मजबूत दुर्ग माना जाता था। लेकिन 2018 के चुनाव में कांग्रेस के जीत का सिलसिला यहां से टूट गया और यह सीट कांग्रेस से अलग होकर बनी पार्टी छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस जोगी के कब्जे में चली गई। यहां से अजीत जोगी की पत्नी रेणु जोगी विधायक हैं।
1952 से 1962 तक यहां काशीराम तिवारी विधायक रहे। 1967 से 80 तक मथुरा प्रसाद दुबे और 5 बार राजेंद्र प्रसाद शुक्ल विधायक चुने गए। उन्होंने मध्यप्रदेश सरकार में कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी उठाई थी। काफी कोशिशों के बाद भी बीजेपी को अभी तक सफलता नहीं मिल सकी है।
कांग्रेस के राजेंद्र प्रसाद शुक्ला को 39546 वोट मिले
बीजेपी के भूपेंद्र सिंह को 37866 वोट मिले
कांग्रेस की रेणु जोगी 59465 वोट मिले
बीजेपी के भूपेंद्र सिंह को 35995 वोट मिले
कांग्रेस की रेणु जोगी 55317 वोट मिले
बीजेपी के मूलचंद्र खंडेलवाल को 45506 वोट मिले
कांग्रेस की रेणु जोगी 58390 वोट मिले
बीजेपी के काशीराम साहू 53301 वोट मिले
जेसीसी(जे) की रेणु जोगी 48,800 वोट मिले
बीजेपी के काशीराम साहू 45,774 वोट मिले
कांग्रेस के विभोर सिंह को 30,803 वोट मिले
विधायक के काम को लेकर कोटा विधानसभा के जनता का कहना है कि यहां के विधायक डां रेणू का दर्शन दुलर्भ है। आज तक हमनें ये नहीं सूना कि अमूख काम विधायक के जरिए सेंक्शन हुआ है। पहले की तुलना में यहां 10 प्रतिशत विकास नहीं हुआ है, जो भी काम हुए हैं वे सब पहले के काम है। विकास के काम के सवाल पर स्थानीय लोगों ने एक सूर में कहा कि यहां शिक्षा, स्वास्थ्य का बदतर हालात है। यह सीट लगातार उपेक्षा का शिकार हो रहा है। अस्पतालों दवाई नहीं है। उपकरण तो है लेकिन सब खराब हो गए है। यहां के स्कूलों मे शिक्षक नहीं हैं।