नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कहना है कि अगर हिंसाग्रस्त बांग्लादेश के लोग दरवाजा खटखटाने आएंगे तो वह उन्हें शरण देंगी। उन्होंने कहा कि अगर लोग मजबूर होकर बंगाल आएंगे तो उन्हें जगह दी जाएगी और रहने दिया जाएगा। सीएम ने इसके लिए यूनाइटेड नेशन की नीतियों का भी हवाला दिया, जिसमें कहा जाता है कि कोई भी पड़ोसी मुल्क शरणार्थियों की रिस्पेक्ट करेगा।
ममता बनर्जी ने कहा, “मैं बाग्लादेश के बारे में ज्यादा कुछ नहीं बोलूंगी, क्योंकि वो एक दूसरा देश है। केंद्र सरकार इसपर अपनी बात रखेगी। लेकिन अगर मजबूर लोग (बांग्लादेश से) बंगाल का दरवाजा खटखटाने आएंगे, तो हम उन्हें शरण देंगे। यूएन का एक प्रस्ताव भी है। पड़ोसी शरणार्थियों की रिस्पेक्ट करेंगे।” ममता बनर्जी कोलकाता में “शहीद दिवस” के मौके पर एक रैली में यह बात कही।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “मैं बंगाल के उन निवासियों को पूरा सहयोग देने का आश्वासन देती हूं जिनके रिश्तेदार हिंसा प्रभावित बांग्लादेश में फंसे हुए हैं।” बांग्लादेश सरकार ने कोटा विरोध-प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के बाद देशभर में कर्फ्यू लगा दिया है। ढाका में मिलिट्री की पेट्रोलिंग चल रही है। अलग-अलग हिंसक घटनाओं में कम से कम 114 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है।
फंसे लोगो की हुई वापसी
हिंसा प्रभावित बांग्लादेश में फंसे कुल 186 और लोग मेघालय के ‘पश्चिमी जयंतिया हिल्स’ जिले की डाउकी एकीकृत जांच चौकी के जरिये शनिवार को भारत लौट आए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत लौटने वालों में 98 लोग नेपाल के हैं, जबकि मेघालय के आठ छात्रों समेत 88 भारतीय हैं। गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘पिछले तीन दिन में भारत, नेपाल और भूटान के कुल 856 लोग, जिनमें ज्यादातर छात्र हैं, बांग्लादेश में आंदोलन के कारण वहां से देश में लौट आए हैं।’’
मेघालय सरकार ने उन लोगों के लिए एक हेल्पलाइन नंबर चालू किया है, जो हिंसा प्रभावित बांग्लादेश में हैं और पूर्वोत्तर राज्य के अधिकारियों से सहायता मांग रहे हैं। सरकारी नौकरियों के लिए कोटा प्रणाली में सुधार की मांग को लेकर छात्रों के विरोध प्रदर्शन को लेकर बांग्लादेश की राजधानी ढाका और अन्य जगहों पर हिंसा बढ़ गई है। प्रदर्शनकारी उस कोटा प्रणाली को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं, जो 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में हिस्सा लेने वाले लोगों के परिजनों के लिए 30 प्रतिशत सरकारी नौकरियां आरक्षित करती है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि राज्य सरकार बांग्लादेश की स्थिति के मद्देनजर नागरिकों की स्वदेश वापसी में मदद के लिए विदेश मंत्रालय के साथ लगातार संपर्क में है और लौटने के इच्छुक लोग हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क कर सकते हैं।