भाजपा ने क्यों किया मुख्तार अब्बास नकवी को ड्रॉप ? अब क्या मिल ​सकती है जिम्मेदारी..जानिए

BJP drop Mukhtar Abbas Naqvi: असल में सीधे-सीधे देखें तो ऐसा ही लग रहा है, लेकिन सियासत को सीधे-सीधे नहीं देखना चाहिए। क्योंकि सियासत सीधे-सीधे होती नहीं है। भाजपा भले ही नकबी को राज्यसभा न भेजने का तर्क पार्टी संविधान का दे रही हो, लेकिन यह सिर्फ कारण नहीं है।

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  • Publish Date - June 7, 2022 / 01:08 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 05:14 PM IST

बरुण सखाजी. नईदिल्ली

BJP drop Mukhtar Abbas Naqvi: इन दिनों चर्चाओं में हैं केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकबी। नकबी को राज्यसभा में नहीं भेजा गया है और न ही उन्हें रामपुर लोकसभा के लिए होने जा रहे उपचुनावों में भाजपा ने प्रत्याशी ही बनाया है। नकबी भाजपा के एक वरिष्ठ नेता हैं। अटल विहारी वाजपेयी सरकार में वे केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। इस लिहाज से देखें तो वे मोदी, शाह से भी अधिक सीनियर हैं। यानी जब अमित शाह गुजरात में मोदी की सरकार में गृह विभाग के राज्यमंत्री थे तब नकबी केंद्र में अटल सरकार में अहम ओहदे पर थे। हालांकि मोदी-शाह की भाजपा में ऐसे कइयों वरिष्ठतमों के फेहरिश्त है जिन्हें राजनीतिक दीवार में बने ताक पर रखा जा चुका है। तब क्या अब नकबी भी ताक पर रखे जा रहे हैं?

असल में सीधे-सीधे देखें तो ऐसा ही लग रहा है, लेकिन सियासत को सीधे-सीधे नहीं देखना चाहिए। क्योंकि सियासत सीधे-सीधे होती नहीं है। भाजपा भले ही नकबी को राज्यसभा न भेजने का तर्क पार्टी संविधान का दे रही हो, लेकिन यह सिर्फ कारण नहीं है।

नकबी का ड्रॉप होने के बाद राजनीतिक पंडित कयास लगा रहे हैं कि वे किसी राज्य में राज्यपाल बनाए जा सकते हैं। जबकि कुछ लोग उनके संगठन में सक्रिय होने की बात भी कह रहे हैं। इन लोगों में कुछ ऐसे भी हैं जो उन्हें देश के अगले उपराष्ट्रपित या राष्ट्रपति के रूप में भी देख रहे हैं। तो क्या नकबी को लेकर ये कयास सही हैं।

आसान सियासी विश्लेषण में ये बातें सही हो सकती हैं, लेकिन मोदी-शाह की चौकाने वाली राजनीति में  वह कभी नहीं होता जिसका हम अंदाजा लगा रहे होते हैं। बतौर विश्लेषक मैं यह कह सकता हूं कि नकबी के पार्टी 4 में से कोई  एक इस्तेमाल करने जा रहे हैं।

भेज सकती है जम्मू-कश्मीर

नकबी को जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य के स्टेटस के साथ ही राज्यपाल बनाकर वहां भेज दिया जाए। नकबी वहां उग्र हो रही मुस्लिम आबादी और टारगेट किलिंग के मामलों पर मैदानी स्तर पर काम कर सकें। इसकी संभावनाएं भी कम नहीं हैं, क्योंकि जम्मू-कश्मीर का परिसीमन हो चुका है। वहां गुपकार के जरिए बाकी सभी दल एक हो चुके हैं। ऐसे में भाजपा ध्रुवीकरण की नाव पर सवार होकर परिसीमन के बाद उभरी सीटों की स्थिति में कश्मीर में चुनावी लोकतांत्रिक रास्ते से सरकार बनाने की स्थिति में आ सकती है।

उपराष्ट्रपति बनाने की खबर

BJP drop Mukhtar Abbas Naqvi: नकबी को भाजपा उपराष्ट्रपति बना सकती है। हाल के संघ प्रमुख के बयान को देखना चाहिए। साथ ही अंतरराष्ट्रीय मुस्लिम राजनीति में नूपुर शर्मा पर भाजपा की कार्रवाई को भी इससे जोड़कर देखना चाहिए। देश के अंदर बन रहे दो धुरों में भाजपा हिंदी समर्थकों को बेकाबू नहीं होने देना चाहती। इसीलिए मोहन भागवत ने यह साफ कर दिया है कि अब संघ न तो कोई आंदोलन चलाएगा न ही हर मस्जिद में शिवलिंग खोजने की कोशिशों को समर्थन ही करेगा। इसका मतलब यह है कि भाजपा कट्टरवाद का आगम में हिंदू और भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को खराब नहीं होने देना चाहती। नूपुर शर्मा मामले में भी यह हुआ है। इस्लाम देशों ने भारत को अनेक मसलों पर कूटनीतिक स्तर पर साथ दिया है। ऐसे में भारत का भी दायित्व है कि वह ऐसे किसी विचारों को न पोषित करे जिसका असर इस सहयोग और सहकार पर पड़े। इसे और प्रमाणित करने के लिए नकवी के रूप में मुस्लिम उपराष्ट्रपति भी पार्टी दे सकती है।

केरल-तमिल की मिल जाएगी जिम्मेदारी

नकवी को संगठन में सक्रिय करके कुछ राज्यों को मजबूत करने के लिए भेजा जा सकता है। पार्टी की प्रायोरिटी में केरल है। कांग्रेस ने वायनाड में शरण ली है। भाजपा चाहती है केरल में ऐसे किसी रणनीतिकार को लगाया जाए जो वहां की मुस्लिम आबादी को भी एड्रेस कर पाए। चूंकि पड़ोसी राज्य तमिल में भी मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र पर्याप्त हैं। इन दो दक्षिणी राज्यों को लेकर नकवी को भेजा जा सकता है।

पश्चिम बंगाल भी क्लीयर

नकवी पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाकर ममता का घेराबंदी की जा सकती है। मुस्लिम राज्यपाल होने से हर मसले को इस तरह का रंग दिया जा सकता है। ममता बैनर्जी और धनखड़ के बीच चल रही तनातनी से अच्छा राजनीतिक संदेश भी नहीं जा रहा।

यह तो बात हुई नकवी के एडजस्टमेंट की। लेकिन उस विभाग का क्या जो नकवी देख रहे हैं। इसके पीछे की सबसे ज्यादा मायने यह निकल रहे हैं कि भाजपा यूनिफॉर्म सिविल कोड की तरफ बढ़ रही है। इसकी शुरुआत अल्प संख्यक कल्याण मंत्रालय को खत्म करने से की जाएगी। आर्टिकल-29-30 को भी जल्द ही छुआ जा सकता है। मोदी सरकार इन्हें हटाने की बजाए रिप्लेस कर सकती है। अब यह बात साफ समझी जा सकती है कि भाजपा या तो मॉनसून सत्र में ही या शीतकालीन सत्र में यूसीसी पर बड़ा कुछ कर सकती है। नकवी को ड्रॉप करना कुछ इस नजरिए से भी देखना चाहिए।

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