बरुण सखाजी. राजनीतिक विश्लेषक
साल 2024 का चुनाव भाजपा के लिए अग्निपरीक्षा है। मोदी सरकार के 10 सालों का साल पूरे होंगे। अगर 2024 चुनाव भी भाजपा जीतती है तो यह अपने आपमें बड़ा रिकॉर्ड होगा। देश में सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहने का रिकॉर्ड अभी जवाहरलाल नेहरू के पास है। दूसरे नंबर पर लगातार 10 साल पीएम मनमोहन सिंह रहे हैं। ऐसे में मोदी अगर 2024 जीतते हैं तो वे मनमोहन सिंह का रिकॉर्ड तोड़ देंगे। भाजपा इन चुनावों को लेकर कमर कस रही है। बीते दिनों प्रधानमंत्री ने एक बैठक में साफ कहा, कि शाइनिंग इंडिया की तरह धोखे में नहीं रहना है। विपक्ष में कोई नेता न हो, कोई पार्टी मजबूत न हो, आपने बहुत अधिक काम किया हो तब भी चुनावों को वैसी ही एकजुटता और योजना से लड़ना है जैसे 2014 में लड़े थे। इसके लिए भाजपा ने नेताओं के प्रभाव और टारगेट की रणनीति बनाई है। इसमें ऐसे लोगों को चिन्हित किया जा रहा है जिनका किसी खास तरह की छवि के साथ प्रभाव है। इसे अघोषित तौर पर षटकोणिय प्रभाव रणनीति कहा जा सकता है।
क्या है षटकोणिय प्रभाव रणनीति?
इसके तहत भाजपा चाहती है लोकसभा की सीटों को भाषा, क्षेत्र, मुद्दों और भाजपा के सांगठनिक ढांचों के हिसाब से बांटा जाए। इनके अनुसार क्षेत्रीय दिग्गज तैनात किए जाएं और उनके साथ कुछ सहयोगी दिग्गज लगाए जाएं। सीटों का बंटवारा करके जीतने के तय लक्ष्य दिए जाएं। इसके तहत भाजपा अघोषित रूप से 6 क्षेत्रों में सिंगल स्प्रिट के साथ चुनाव में जाने की योजना पर काम कर रही है। इसमें नॉर्थ, साउथ, ईस्ट, वेस्ट, सुपर नॉर्थ और सेंट्रल जोन बनाए जा सकते हैं।
हिंदूराष्ट्र का ब्लूप्रिंट तैयार, चाहिए राज्य और राज्यसभा में ताकत
इन छह कोणों में भाजपा अपनी तरफ से 6 नेताओं की तलाश में है। जो मिल गए हैं उन्हें ग्रूम कर रही है। उन्हें टीम दे रही है। राजनीतिक ताकत दे रही है। भाजपा ने 2024 में तय किया है कि वह राज्यसभा और राज्यों में अच्छी धमक के साथ मैदान में उतरेगी, क्योंकि 2024 के बाद हिंदूराष्ट्र पर पक्के तौर पर काम का ब्लूप्रिंट तैयार है।
पहला कोण उत्तरी जोन, जहां 31 पर है, चाहिए 35
लोकसभा 2024 के लिए भाजपा षटकोणिय रणनीति के तहत नॉर्थ में यूपी-बिहार छोड़कर हिमाचल, हरियाणा, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, दिल्ली को लेकर योजना बना सकती है। षटकोण के इस उत्तरी कोण में 46 सीटें आती हैं, जिनमें से अभी भाजपा के पास 31 हैं। भाजपा की षटकोणिय रणनीति के इस कोण में अनुराग सिंह ठाकुर लीड कर सकते हैं। उन्होंने सहयोगी के रूप में मनहर लाल खट्टर, पुष्कर धामी, अनिल विज, मनोज तिवारी जैसे लोग दिए जा सकते हैं। भाजपा हर कोण के लिए अलग-अलग टारगेट तय कर रही है। जैसे नॉर्थ जोन की 46 में से 35 सीटें लक्षित कर रही है, जबकि अभी उसके पास 31 हैं। भाजपा मानती है उत्तराखंड की सभी 5, जम्मू कश्मीर में 4, हिमाचल में 3, पंजाब में 2, दिल्ली में 7, लद्दाख, चंडीगढ़ के साथ हरियाणा में 9 सीटों के साथ 32 तक वह पहुंच सकती है। थोड़ी और मेहनत हो जाए तो हिमाचल हरियाणा से भी 2 सीटें और आ सकती हैं। जबकि पंजाब में हालत अच्छी नहीं होने के बावजूद पार्टी अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है। यह क्षेत्र पारंपरिक और पेशेवर हिंदू डोमिनेंट, जहां अनुराग ठाकुर जैसे अर्बन, कल्चरल, धाकड़, फिट नेता की छवि में मुफीद हैं।
सुपर नॉर्थ में योगी संभालेंगे कमान
नॉर्थ कोण के अलावा एक सुपर नॉर्थ भी बनाया जा सकता है। इस कोण में सिर्फ यूपी और बिहार को रखा गया है। इन दोनों राज्यों से 120 सीटें आती हैं। इन पर हिंदू राजनीति और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का रंराीति 120 सीटें िलूप्रिंट तैयार है4 में लड़े ग चढ़ाना आसान होता है। इसे यूपी के सीएम योगी आदित्य नाथ लीड कर सकते हैं। अभी इन 120 सीटों में से 79 भाजपा के पास हैं। भाजपा चाहती है वह यहां 2014 की स्थिति को रिज्यूम करे। उसे इसके लिए बिहार से उम्मीद है। जेडीयू के अलग होने से बिहार में भाजपा अपने 28 फीसद मत में इजाफा कर सकती है। जबकि यूपी में प्रदर्शन दोहराया जा सकता है। इस लिहाज से इस सुपर नॉर्थ कोण के लिए पार्टी ने 90 सीटों का लक्ष्य रखा है। यह सुपर पॉलिटिकल केक है, इसलिए यहां हिंदू ब्रांड छवि के लिए योगी को लाया जा रहा है।
षटकोण में ईस्ट अहम, हेमंत बिस्वसरमा के हाथ पतवार
भाजपा की इस षटकोणिय राजनीति में ईस्ट एक अहम क्षेत्र है। यहां का नेतृत्व हेमंत बिस्वसरमा ने ले रखा है। इस जोन में नॉर्थ-ईस्ट, असम, बंगाल, ओडिशा, झारखंड की मिलाकर 102 सीटें आती हैं। भाजपा के पास अभी 49 हैं, जबकि अनेक सीटें सहयोगियों के पास भी हैं। हेमंत जिस तरह से काम कर रहे हैं उससे भाजपा मानकर चल रही है वह यहां से 55 सीट तक निकाल सकती है। चूंकि बंगाल में उसे विधानसभा में भी अच्छी सीटें मिली हैं। ओडिशा में भी भाजपा का प्रदर्शन और सुधरेगा। हेमंत को सहयोग करने के लिए त्रिपुरा के मानक साहा, किरेन रिजिजू, सुबेंदु अधिकारी, बीरेन सिंह जैसे नेताओं को लगाया जा सकता है। यह एरिया आदिवासी संस्कृति के साथ हिंदू-ईसाई मिक्स डोमिनेंट है। जबकि बंगाल और आसाम मुस्लिम आबादी में बड़े हैं। ओडिशा में पारंपरिक हिंदू ज्यादा हैं। झारखंड में हिंदू आदिवासी अधिक हैं। ऐसे में द्रोपदी मुर्मु के प्रभाव से झारखंड और ओडिशा में पार्टी प्रदर्शन सुधार सकती है। हेमंत बिस्वसरमा जैसी तेजतर्रार प्रशासन वाले सुस्पष्ट छवि के नेता यहां मुफीद हैं।
सेंट्रल एरिया में नेता की तलाश, जो हैं इनकी ग्रूमिंग शुरू
सेंट्रल जोन में छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र-गोवा को रखा गया है। इसमें 90 सीटें आती हैं। भाजपा के पास अभी 60 सीटें हैं। पार्टी यहां स्थानीय नेताओं की तलाश में है। महाराष्ट्र में फडनवीस, एमपी में शिवराज सिंह, नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, कैलाश विजयवर्गीय, सुधीर मुनगंटीवार आदि पर पार्टी काम कर रही है। इनमें से सबसे ज्यादा शक्तिशाली शिवराज सिंह चौहान दिखाई देते हैं। पार्टी चाहती है वह 90 सीटों वाले सेंट्रल कोण की कम से कम 70 सीटें जीते। महाराष्ट्र की 48 सीटों में शिवसेना के न होने से भाजपा शिंदे शिवसेना से गठबंधन में कम से कम 35 सीटें लेने की कोशिश करेगी। उद्धव भी उनकी अलग शिवसेना के रूप में मैदान में होंगे। इसका फायदा भाजपा को सीधा मिलेगा। पार्टी मान रही है कि वह महाराष्ट्र अकेले में ही 35 में से 30 सीटों तक पहुंच सकती है। जबकि एमपी में वह पूरी 29, छत्तीसगढ़ में पूरी 11 और गोवा की सभी 2 जीतने की उम्मीद कर रही है। इस लिहाज से देखें तो पार्टी 90 में 70 से 72 तक पहुंच रही है।
सबसे अहम साउथ, खुद संभालेंगे मोदी
साउथ सबसे अहम है। यूं तो मोदी देशभर में चेहरा रहेंगे, लेकिन उनका पर्सनल फोकस 2019 में जैसे नॉर्थ-ईस्ट था वैसे ही 2024 में साउथ की तरफ रहेगा। साउथ में अभी 131 सीटें आती हैं, लेकिन भाजपा सिर्फ 29 पर विराजमान है। यह भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौति है। पार्टी चाहती है वह तमिलनाडु, आंध्र व केरल में खाता खोले जहां उसका मत प्रतिशत 10 फीसद से अधिक है। आंध्रप्रदेश, तेलंगाना से पार्टी कम से कम 15-20 सीटें अपेक्षा कर रही है। अगर यह रणनीति काम करती है तो कर्नाटक मिलाकर साउथ से पार्टी 50 सीटों तक पहुंचने का सपना देख सकती है। तमिलनाडु में पार्टी को बंगाल की तरह उम्मीद है। ज्यादा सीटें तो स्टालिन ही लाएंगे, लेकिन ढहते, गिरते एआईडीएमके के चलते भाजपा 15 से 20 सीटों तक का गैन सोच रही है। केरल में भी कमजोर होती कांग्रेस के स्थान पर भाजपा 2 से 3 सीटें अपेक्षा कर रही है। इसके लिए मोदी तमिल को सबसे प्राचीन भाषा बता चुके हैं। मोदी तमिल की रामनाथपुरम सीट से चुनाव भी लड़ सकते हैं। मोदी को यहां सहयोगी करने के लिए येदियुरप्पा, के अन्नामलाई, बंदी संजय रह सकते हैं।
पश्चिम पर स्थिति को बरकरार रखने की कवायद
भाजपा ने 2024 के लिए षटकोणिय फॉर्मूले पर जो मंथन शुरू किया है, उसमें एक कोण पश्चिमी कोण है। इसमें गुजरात और राजस्थान के साथ कुछ यूटी दादर नगर, हवेली रखे हैं। यहां की 54 सीटों में से भाजपा अभी 51 पर काबिज है। सहयोगियों को भी गिन लें तो 53 सीटों पर है। पार्टी चाहती है यहां स्थिति को बनाए रखा जाए। इसमें गुजरात के भूपेंद्र पटेल, सीआर पाटिल मिलकर अच्छी भूमिका निभा सकते हैं। लेकिन पार्टी को राजस्थान के अंतर्कलह का खतरा सता रहा है। इसलिए पार्टी ने हाल ही में नेताप्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया को राज्यपाल बनाकर और ओम माथुर को छत्तीसगढ़ का प्रभार देकर राज्य से बाहर करते हुए वसुंधरा राजे सिंधिया को फिर से ताकत देना शुरू किया है। पार्टी नहीं चाहती कि एक किसी व्यक्ति के कारण उसका सबसे मजबूत पश्चिमी किले में कोई सेंधमारी हो।
तो क्या अमित शाह युग खत्म?
नहीं, कतई नहीं। यह फॉर्मूला उन्हीं की उपज है। अमित शाह इस फॉर्मूले को बिना किसी औपचारिक दायरे में लाए अमल में लाना चाहते हैं। वे असल में इस सियासत के केंद्र हैं। शाह अगली बार भी गृहमंत्री ही रहेंगे और हिंदूराष्ट्र की परिकल्पना को पूरा करने के लिए विदेश मंत्री के रूप में जयशंकर के साथ काम करने के मूड में हैं।
नड्डा का कोई इस्तेमाल है या नहीं?
नड्डा वर्तमान में मोदी-शाह के सबसे करीबी और मुफीद नेताओं में शुमार हैं। नड्डा से पार्टी हकवाई जा रही है। उन्हें अच्छा एक्जेक्यूटर माना जा रहा है। इसलिए फिलहाल उनकी भूमिका 2024 तक समान रहने का ऐलान हो ही चुका है, तो नड्डा इसी भूमिका में रहेंगे।
क्या व्यवहारिक है यह रणनीति?
इस समय कांग्रेस नेतृत्व संकट से जूझ रही है। दीगर पार्टियां मोदी का मुकाबला करने की स्थिति में नहीं हैं। जाहिर है भाजपा को इसका फायदा मिलेगा। इसलिए भाजपा अपनी रणनीति में कामयाब भी हो सकती है। षटकोणिय रणनीति से देश पूरा कवर होता है और हाल के सालों में उभरी क्षेत्रीय नेताओं की रिक्ती भी बखूबी भरी जा सकती है। कुल मिलाकर हम षटकोणिय रणनीति को देखें तो पार्टी नॉर्थ की 46 में से 35, सुपर नॉर्थ की 120 में से 90, वेस्ट की 54 में 54, साउथ की 131 में से 50, ईस्ट की 102 में 55 और सेंट्र की 90 में से 70 सीटों का लक्ष्य तय कर रही है। यह सीटें 354 तक पहुंचती हैं। अगर इस रणनीति से भाजपा चलती है तो वह अपने आपमें बड़ा रिकॉर्ड बना सकती है।
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