nidakniyre-Rahul Gandhi membership suspension matter pushed to OBC matter by BJP

#Nidakniyre: भाजपा ने राहुल के मसले को ओबीसी के विरुद्ध बताया, यह वही रणनीति है जो मोदी ने छत्तीसगढ़ के साहू समाज को मोदी बताकर अपनाई थी

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Modified Date: March 24, 2023 / 10:30 PM IST
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Published Date: March 24, 2023 10:30 pm IST

बरुण सखाजी. सह-कार्यकारी संपादक

राहुल गांधी की सदस्यता जाने के बाद से ही यह मसला बड़ा बन गया है। समूची कांग्रेस इस पर आक्रामक मुद्रा अपना रही है। भाजपा ने इसमें अपनी प्रतिक्रिया देते हए ओबीसी पर चर्चा खड़ी कर दी है। इसका मतलब बहुत साफ है, भाजपा जिस पर चाहती है उसी पर चर्चा चल निकलती है। तमाम दलों की बुनियाद ओबीसी है। मंडल कमिशन के बाद ओबीसी देश का वह समुदाय हो गया जो देश में सत्ता की चाबी है। छत्तीसगढ़ की कुर्मी, साहू, देवांगन, यादव जातियों से लेकर अनेक छोटी-बड़ी जातियां ओबीसी में हैं। एमपी में किरार, लोधी से लेकर अनेक प्रभावशाली जातियां ओबीसी में हैं। ऐसे में ओबीसी एक बड़ा फैक्टर है। भाजपा चाहती है चर्चा लोकतंत्र पर हमले, अडानी आदि की बजाए अब ओबीसी पर आ जाए। इससे पहले कि भाजपा यह साबित करने में सफल हो जाए कि राहुल की 2019 की टिप्पणी ओबीसी के विरुद्ध थी कांग्रेस को काउंटर करना होगा। इस काउंटर को बिना देर किए करना होगा। ऐसे में भाजपा जिस मसले पर चर्चा चाहती थी उस पर चर्चा शुरू हो गई। कांग्रेस जिस मसले पर बात करना चाहती थी वह पीछे चला गया। ओबीसी को कोई इग्नोर नहीं कर सकता। कर्नाटक में भी ओबीसी जातियां बहुतायत हैं।

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साहू भी मोदी होते हैं…

ओबीसी जातियों की ताकत को इससे समझा जा सकता है कि मोदी भी अपने आपको ओबीसी बताते रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान कोरबा में अपनी सभा के दौरान नरेंद्र मोदी ने कहा था अगर साहू गुजरात में होते तो वे मोदी लिख रहे होते। इसके बाद से अनेक साहू युवाओं ने मोदी लिखना शुरू कर दिया था। इस लिहाज से देखें तो भाजपा की फेंकी यह ओबीसी मिसाइल छत्तीसगढ़ की ओर तेजी से बढ़ रही है।

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जातियों का दबदबा राजनीति का पहला उसूल है। गुजरात का पटेल आंदोलन, राजस्थान का गुर्जर आंदोलन, हरियाणा का जाट आंदोलन सबको याद है। इन आंदोलनों ने किसे क्या दिया अलग बात है, लेकिन सियासय इनकी उपेक्षा नहीं कर पाई। देखेंगे, छत्तीसगढ़ में ओबीसी स्प्रिट सियासी आग पकड़ पाती है या नहीं।

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