छत्तीसगढ़ में वर्तमान में मुख्यमंत्री समेत 11 लोगों की टीम है। इनमें 2 पद खाली हैैं। एक पद तो 2023 विधानसभा चुनाव के बाद से ही खाली रखा गया था। दूसरा पद वर्तमान रायपुर लोकसभा से सांसद बनने के बाद मंत्री रहे बृजमोहन अग्रवाल के रूप में खाली हुआ है। ऐसे में 2 पदों के लिए रसाकशी जारी है। फिलहाल मोदी की भाजपा में कयास असंभव होते हैं, किंतु सभी समीकरणों के देखेंगे तो कुछ बातें साफ सी नजर आती हैं।
पहली बात ये है कि सरगुजा संभाग की 14 की 14 सीटें भाजपा ने जीती हैं। स्वाभाविक है पार्टी यहां सबसे ज्यादा प्रतिनिधित्व रखन चाहेगी। रखा भी गया। मुख्यमंत्री मिलाकर 4 लोग टीम में हैं। इनमें दो एसटी से और अनुभवी हैं। दो ओबीसी से गैरअनुभवी हैं। मुख्यमंत्री रायगढ़ लोकसभा से आते हैं और रामविचार नेताम एसटी के दूसरे मंत्री सरगुजा लोकसभा से। दो ओबीसी में एक मंत्री सरगुजा से दूसरे मंत्री कोरबा लोकसभा से आते हैं। ऐसे देखें तो सरगुजा का प्रतिनिधित्व बहुत अधिक है। कह सकते हैं यहां से तो मंत्री न तो भूगोल की सियासत के समीकरण से बन सकता है न जातियों के समीकरण से और न ही अनुभव और गैरअनुभव के मापदंडों से। लोकसभा के प्रदर्शन को भी देखें तो सरगुजा से भाजपा को बहुत अधिक उम्मीद थी, लेकिन यहां वैसा नहीं हो सका। जीते, लेकिन सुपर विक्ट्री नहीं आई। बहुत साफ है साय कैबिनेट में सरगुजा संभाग से कोई मंत्री नहीं बनेगा। अगर अनुभव की बात करें तो भैयालाल राजवाड़े और रेणुका सिंह इकलौते हैं जो अनुभव वाले क्राइटेरिया पर फिट हैं। बाकी भूलन सिंह, शकुंतला पोर्ते, रायमुनि भगत, गोमती साय, राजेश अग्रवाल, अध्वेश्वरी पैकरा और प्रबोध मिंज रामकुमार टोप्पो पहली बार वाले हैं।
अब बिलासपुर संभाग आइए। यहां से उपमुख्यमंत्री अरुण साव, अहम मंत्रालय के साथ ओपी चौधरी, लखनलाल देवांगन हैं। जबिक पार्टी ने यहां 14 सीटें जीती हैं। अभी हाल ही में तोखन साहू को केंद्र में मंत्री बनाकर पार्टी क्लीयर कर दिया कि अब यहां से प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा। भूगोल के हिसाब से बिलासपुर संभाग के कुछ 4 हिस्से हैं। रायगढ़ वाले हिस्से में ओपी चौधरी हैं ही। कोरबा वाले हिस्से में लखनलाल हैं ही। जांजगीर वाले हिस्से में कोई विधायक ही नहीं है। चौथे बिलासपुर वाले हिस्से में अरुण साव और तोखन साहू हैं। ऐसे में यहां से लेना संभव नहीं। वरिष्ठों में अमर अग्रवाल हैं। 15 साल मंत्री रहे। धरमलाल कौशिक हैं, स्पीकर रहे। धरमजीत सिंह हैं, कांग्रेस में वरिष्ठ नेता रहे। पुन्नूलाल मोहले हैं, अनेक बार मंत्री रहे। बिलासपुर संभाग से तीन गैरअनुभवियों को ही लिया गया है। चौथे तोखन भी केंद्र के मामले में गैरअनुभवियों में शामिल हैं। अब यहां से अनुभवी इकलौता क्राइटेरिया है, जिस पर मंत्री बनाया जा सकता है। किंतु यह इसलिए नहीं चलेगा, क्योंकि रायपुर, बस्तर जैसे संभाग प्रतिनिधित्व के महासंकट में हैं। 2 ही मंत्री और बनाए जा सकते हैं। इसिलए बिलासपुर से नहीं बनेंगे।
दुर्ग संभाग से एक स्पीकर सामान्य से, एक उपमुख्यमंत्री सामान्य से और एक मंत्री एससी से हैं। यानि पर्याप्त प्रतिनिधित्व है। दुर्ग की 20 सीटों में से 10 पर कांग्रेस है। बाकी 10 पर भाजपा है। फिफ्टी-फिफ्टी की स्थिति में यहां से संभव है कोई मंत्री न बने। किंतु एक जातिय गणित ऐसा है जिसमें एक बहुत आंशिक संभावना ओबीसी की बनती है। ओबीसी में दावेदारों में गजेंद्र यादव, रिकेश सेन, ललित चंद्राकर हैं। किंतु ललित कुर्मी हैं, जो टंकराम वर्मा पहले से ही हैं। तो ललित का नंबर कट। रिकेश सेन बहुत चर्चित नाम हैं, किंतु पिछले 6 महीनों में वे विवाद में भी आए हैं। अब बचते हैं गजेंद्र। इन्हें लेकर कुछ कहना जल्दबाजी होगी। दुर्ग से भी कोई मंत्री नहीं बनेगा।
रायपुर संभाग में 19 सीटें आती हैं। भाजपा ने जबरदस्त जीत हासिल की है। धमतरी की एक, महासमुंद की दो, बलौदा बाजार की एक और रायपुर की सभी 11 सीटें भाजपा ने जीती हैं। यानि कांग्रेस के पास सिर्फ 8 सीटें हैं। यहां से अभी सिर्फ एक ही मंत्री हैं टंकराम वर्मा। रायपुर संभाग मूलतः ओबीसी संभाग है। दूसरे नंबर पर एससी और तीसरे नंबर पर सामान्य हैं। बृजमोहन अग्रवाल सामान्य से आते थे। इसलिए सबसे ज्यादा संभावना सामान्य से मंत्री बनाने की है। ऐसे में राजेश मूणत, अनुज शर्मा, पुरंदर मिश्रा, संपत अग्रवाल सिर्फ बचते हैं। टंकराम वर्मा गैरअनुभवियों मेंं हैं। तो रायपुर संभाग से अनुभवियों को लिया जा सकता है। अनुभव और सामन्य के मामले में राजेश मूणत प्रबल दावेदार हैं। किंतु भाजपा को रायपुर दक्षिण का उपचुनाव भी जीतना है। ऐसे में पार्टी बृजमोहन अग्रवाल की इतनी उपेक्षा नहीं कर सकती। राजनीतिक समीकरणों के मुताबिक राजेश मूणत और बृजमोहन अग्रवाल में सौजन्यता नहीं है। ऐसे में बृजमोहन अजय चंद्राकर के लिए अड़ सकते हैं। लेकिन टंकराम के रहते दो कुर्मी मंत्री बनाना पार्टी तर्कसंगत नहीं मानेगी। न यह तर्कसंगत है। ऐसे में बीएम पुरंदर पर सहमत हो सकते हैं। अनुज को लेकर भी उनकी सहमति कल ही संभव है। तो एक बात साफ है कि रायपुर संभाग से मंत्री बनेंगे। यह भी साफ है कि आमतौर पर सामान्य बनेंगे। क्योंकि सामान्य अब सिर्फ विजय शर्मा ही हैं। पुरंदर या अनुज चूंकि दो ब्राह्मण चेहरे हैं, ऐसे में संपत अग्रवाल या राजेश मूणत आगे निकल जाते हैं। कैबिनेट में दो ब्राह्मण नहीं रखे जाएंगे। अगर रायपुर संभाग में ओबीसी पर दांव चला तो योगेश्वर सिन्हा भी मंत्री बनाए जा सकते हैं।
दो पद जो खाली हैं उनमें से एक बस्तर संभाग को मिलेगा। फिलहाल यहां से केदार कश्यप अनुभवी मंत्रियों में शामिल हैं। जबकि किरण सिंह देव प्रदेश अध्यक्ष के रूप में हैं। कैबिनेट में सीएम समेत कुल 3 एसटी चेहरे हैं। इनकी संख्या 4 की जा सकती है। चूंकि छत्तीसगढ़ में ओबीसी सबसे ज्यादा हैं, दूसरे नंबर पर सर्वाधिक एसटी हैं। इस लिहाज से ओबीसी और एसटी से मंत्रियों के संख्या क्रमशः 6 और 4 हो सकती है। तब बस्तर से एसटी मंत्री की दौड़ में लता उसेंडी क्योंकि ओडिशा जिताया है। और विक्रम उसेंडी क्योंकि कांकेर लोकसभा जिताई है। चूंकि बस्तर में अभी केदार कश्यप मंत्री हैं और वे अनुभवी हैं। इसलिए बस्तर से अनुभवी को वरीयता नहीं मिलेगी। इस मापदंड पर लता और विक्रम पिछड़ जाते हैं। बस्तर लोकसभा से एक मात्र मंत्री हैं और दूसरे प्रदेश अध्यक्ष हैं। अब हालात ये है कि जांजगीर में भाजपा के पास विधायक नहीं है तो कोई प्रतिनिधित्व नहीं हो पा रहा। कांकेर में 3 विधायक हैं तो प्रतिनिधित्व की संभावना है। विक्रम उसेंडी लता उसेंडी की अपेक्षा इसलिए आगे निकल जाते हैैं, क्योंंकि वे जाति, भूगोल, लोकसभा क्षेत्र, अनुभव और लोकसभा में प्रदर्शन जैसे सभी मापदंडों पर खरे उतरते हैं।
निष्कर्ष यह है कि सरगुजा, बिलासपुर संभाग से अब कोई मंत्री नहीं बनेगा। दुर्ग संभाग से भी कोई मंत्री नहीं बनाया जाएगा। रायपुर संभाग और बस्तर संभाग से ही मंत्री बनेंगे। रायपुर से सामान्य और बस्तर से एसटी की ज्यादा संभावना। यानि दूसरी बात यह साफ है कि ओबीसी से मंत्री नहीं बनाया जाएगा। बलौदाबाजार हिंसा को लेकर एक वर्ग में दूसरे एससी मंत्री की मांग उठी है। किंतु ऐसा नहीं होगा, क्योंकि इस हिंसा को सरकार सामाजिक नाराजगी के रूप में नहीं देख रही।
– प्रदेश में पांच संभाग में सरगुजा का सबसे ज्यादा प्रतिनिधित्व
– बिलासपुर का दूसरे नंबर पर सर्वाधिक प्रतिनिधित्व
– दुर्ग से भी अच्छी संख्या
– रायपुर-बस्तर से सरकार में सबसे कम प्रतिनिधित्व
– सरगुजा से मुख्यमंत्री समेत 4 लोगों को मिला प्रतिनिधित्व
– सरगुजा से 2 वरिष्ठ 2 कनिष्ठ विधायकों को प्रतिनिधित्व
– वर्तमान सरकार में सबसे वरिष्ठ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय हैं
– रामविचार नेताम, लक्ष्मी राजवारे, श्याम विहारी आते हैं सरगुजा संभाग से
– सरगुजा संभाव में 14 में से 14 सीटें जीती हैं भाजपा ने
– सरगुजा संभाग से कोई मंत्री नहीं बनेगा
– बिलासपुर संभाग से 3 मंत्री हैं राज्य सरकार में
– बिलासपुर संभाग से एक मंत्री केंद्र सरकार में भी
– बिलासपुर संभाग के साय कैबिनेट के सभी 3 मंत्री ओबीसी से आते हैं
– केंद्र सरकार में मंत्री बने तोखन साहू भी ओबीसी से आते हैं
– बिलासपुर संभाग की 25 में से 14 सीटें जीती हैं भाजपा ने
– बिलासपुर संभाग से कोई भी मंत्री साय सरकार में अब नहीं बनेगा
– दुर्ग संभाग से एक उपमुख्यमंत्री, स्पीकर समेत 3 का प्रतिनिधित्व है
– डॉ. रमन सिंह स्पीकर हैं, सीनीयर मोस्ट लीडर हैं
– उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा भी दुर्ग संभाग से आते हैं
– अनुभवी दयालदास बघेल और पहली बार वाले विजय शर्मा हैं मंत्री
– सुपर सीनीयर डॉ रमन सिंह भी स्पीकर हैं
– दुर्ग संभाग से मंत्री बनाने की संभावना कम है
– दुर्ग से मंत्रिपद रायपुर और बस्तर के समीकरणों पर आधारित है
– अगर बस्तर से सामान्य को मंत्री बनाया तो दुर्ग की संभावना बढ़ेंगी
– रायपुर संभाग से अभी एक ही मंत्री हैं सरकार में
– सरगुजा के बाद रायपुर से सर्वाधिक भाजपा को मिली सफलता
– बृजमोहन अग्रवाल ने दिया है इस्तीफा
– सामान्य के बदले सामान्य मंत्री बनाने की स्थिति में 4 लोग दौड़ में
– राजेश मूणत, पुरंदर मिश्रा, अनुज शर्मा, संपत अग्रवाल दौड़ में
– इन चार में अनुभव में राजेश मूणत सबसे ज्यादा वरिष्ठ हैं
– वर्तमान सरकार में बघेल, नेताम, कश्यप, स्वयं CM साय सबसे वरिष्ठ हैं
– ओपी, लक्ष्मी, साव, जायसवाल, विजय शर्मा, लखनलाल पहली बार के मंत्री
– अनुभवी और पहली बार के बीच संतुलन है साय सरकार में
– नए दो मंत्रियों में एक अनुभवी एक गैरअनुभवी को लिया जा सकता है
– रायपुर संभाग में अनुभवियों में अजय चंद्राकर, राजेश मूणत ही हैं
– रायपुर संभाग से गैर अनुभवियों में टंकराम वर्मा मंत्री हैं
– ऐसे में रायपुर संभाग से अनुभवी को लिया जा सकता है
– बृजमोहन अग्रवाल के बदले अग्रवाल की स्थिति में संपत अग्रवाल का नाम
– सामान्य के बदले सामान्य और अनुभव चला तो राजेश मूणत बनेंगे मंत्र
– सामान्य के बदले गैरअनुभवी सामान्य चला तो पुरंदर, अनुज, संपत आगे
– रायपुर संभाग से राजेश मूणत सबसे आगे
– अजय चंद्राकर रायपुर संभाग से पहले से एक कुर्मी मंत्री होने के चलते पिछड़े
– राजेश मूणत भी लोकसभा क्षेत्र से एक मंत्री के फॉर्मूले में पिछड़ सकते हैं
– सरगुजा संभाग में लोकसभा क्षेत्र का फॉर्मूल नहीं लगा
– सरगुजा लोकसभा क्षेत्र से 2 मंत्री हैं, लक्ष्मी और नेताम
– रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र से भी 2 मंत्री हैं मुख्यमंत्री साय और ओपी
– बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र से एक ही मंत्री हैं
– कोरबा लोकसभा क्षेत्र से 2 मंत्री लखन और श्याम
– रायपुर लोकसभा क्षेत्र से एक मंत्री हैं, पहले दो थे
– दुर्ग लोकसभा क्षेत्र से 1 मंत्री हैं, राजनांदगांव लोकसभा से एक मंत्री हैं
– राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र को सबसे ज्यादा तवज्जो
– राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र से एक उपमुख्यमंत्री, दूसरे स्पीकर हैं
– बस्तर लोकसभा क्षेत्र से एक ही मंत्री हैं
– कांकेर लोकसभा क्षेत्र से कोई मंत्री नहीं हैं
– महसमुंद लोकसभा क्षेत्र से कोई मंत्री नहीं हैं
– कोरबा लोकसभा क्षेत्र से 2 मंत्री हैं, जबकि यह सीट भाजपा हार गई
– कांकेर लोकसभा क्षेत्र में भाजपा के पास सिर्फ 3 सीटें
– विक्रम उसेंडी लोकसभा फॉर्मूले पर बनाए जा सकते हैं मंत्री
– लता उसेंडी ओडिशा विजय की सूत्रधार के रूप में पा सकती हैं अवार्ड
– चैतराम अटामी, विनायक गोयल, किरण देव गैर अनुभवियों में शामिल
– रायपुर से अनुभवी मंत्री बने तो बस्तर से गैरअनुभवी बनेंगे
– बस्तर से केदार कश्यप एक अनुभवी मंत्री पहले हैं
– रायपुर से एक गैरअनुभवी मंत्री पहले से हैं
– थियोरी के मुताबिक बस्तर और रायपुर संभाग से बनेंगे मंत्री
– रायपुर से अनुभवी होने के नाते राजेश मूणत प्रबल दावेदार
– राजेश मूणत को अनुभवी के बदले अनुभवी के रूप में ले सकते हैं
– मंत्रिमंडल विस्तार कभी भी हो सकता है
– मोदी की भाजपा में अब काम पर फोकस है
– इसलिए देरी किए बिना मंत्रिमंडल का हो सकता है विस्तार
– आप देख रहे थे बरुण सखाजी का विश्लेषण