Manish Tiwari ने Congress पर फोड़ा किताबी बम | The Sanjay Show
आज हम बात करने वाले हैं Congress के किताबी बम की…एक पार्टी के दो नेताओं की दो किताबें एक दूसरे से बिलकुल अलग दिशा लेती हुई दिख रही हैं…इन किताबों से कांग्रेस की बची खुची साख को नुकसान हो सकता है….जी हां अब ताजा मामला Congress नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री Manish Tiwari की किताब का है… Manish Tiwari ने अपनी किताब में मुम्बई आतंकी हमले के दौरान अपनी ही पार्टी की Manmohan सरकार के रवैए की आलोचना की है और अपने ही नेताओं को कटघरे में खड़ा कर दिया है…इस किताब के आने के समय को लेकर सियासी अटकलबाजी भी शुरू हो गई है…कुछ इसे असंतुष्ट नेता का हमला कह रहे हैं तो कुछ इसे Salman Khurshid की किताब का जवाब मान रहे हैं….
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देश में अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए जूझ रही कांग्रेस को उसके ही नेता अक्सर मुसीबत में डाल देते हैं। खासकर चुनावों के समय उनके बयान पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी करते हैं…अब इस बार नेताओं की किताबें भी बयानों के साथ साथ आ चुकी हैं… माना जा रहा है कि इनसे कांग्रेस को फायदा कम और नुकसान ज्यादा हो सकता है…
आपको याद होगा हाल में वरिष्ठ कांग्रेस नेता और मनमोहन सरकार में रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने भी अपनी एक किताब ‘Sunrise over Ayodhya’ निकाली है जिसमें उन्होंने हिन्दुत्व की तुलना आतंकी संगठन ‘आईएसआईएस’ और ‘बोको हरम’ से कर दी है….इसको लेकर पिछले कई दिनों से हंगामा मचा हुआ है….कुछ लोगों का कहना है कि हिन्दुत्व की ऐसी परिभाषा देकर कांग्रेस नेता ने लगातार खिसक रहे मुस्लिम वोट बैंक को पार्टी के जोड़े रखने की कोशिश की है….. खुर्शीद खुद सुप्रीम कोर्ट के वकील हैं और वे धोखे से कुछ लिख गए यह मानना जरा कठिन है….हालांकि कुछ लोग मानते हैं कि यह जानकारी के अभाव का मामला है…
तो क्या खुर्शीद की किताब के जवाब में उनके ही साथी Manish Tiwari की किताब आ गई है ? अब इसको लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं….हकीकत क्या है ? इसका तो समय ही जवाब देगा… पर खर्शीद की किताब पर मचा बवाल अभी थमा ही नहीं है और Manish Tiwari की किताब ’10 फ्लैश पॉइंट; 20 ईयर्स – नेशनल सिक्योरिटी सिचुएशन देट इम्पैक्ट इंडिया’ ने देशभर में नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है…
इसमें मनमोहन सिंह की UPA सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। तिवारी ने मुंबई में हुए 26/11 हमले के बाद पाकिस्तान पर किसी तरह का एक्शन न लेने को कमजोरी बताया है। उन्होंने कहा है संयम ताकत की पहचान नहीं है, बल्कि कमजोरी की निशानी है. 26/11 एक ऐसा मौका था जब बातों से ज्यादा जवाबी कार्रवाई करनी चाहिए थी….
अब यूपी चुनाव को हर हाल में जीतने की जी तोड़ कोशिश में जुटी बीजेपी इसे एक बड़ा मुद्दा बनाने में जुट गई है। बीजेपी इसको लेकर सोनिया और राहुल गांधी पर हमले शुरू कर चुकी है….वैसे इन विवादों से आने वाले कुछ महीनों बाद 5 राज्यों में होने वाले चुनावों में कांग्रेस को बड़ा नुकसान भी हो सकता है….
एक सवाल इस समय पूछा जा रहा है कि क्या सलमान खुर्शीद की किताब से कांग्रेस को मुस्लिम वोटों का फायदा होगा ? या फिर हिन्दू वोट भी खिसक जाएंगे…?
राजनीति के गलियारों में चर्चा रहती है कि कई राज्यों में पिछले कुछ समय से मुस्लिम वोट कांग्रेस से दूर हुए हैं….ऐसे में कांग्रेस अपने इन वोटर्स को वापस लाने के लिए पूरा जोर लगा रही है…लेकिन क्या हिन्दुत्व को किसी कटघरे में खड़ा करके मुस्लिम वोट मिल पाएंगे ….यह एक बड़ा सवाल है…जानकार मानते हैं कि कांग्रेस के कुछ नेता अभी भी ऐसा ही सोचते हैं। मगर ऐसा बिलकुल भी नहीं है….वोटर आज… इस या उस वर्ग को कोस देने से खुश नहीं होता है वह काम देखना चाहता है। सलमान खुर्शीद की किताब से कांग्रेस को कितना फायदा होगा ये तो समय बताएगा पर अब तिवारी जी ने जो किताब छापी है उसे खुर्शीद की किताब का जवाब जरूर माना जा रहा है….
ऐसा सोचने वाले कह रहे हैं कि तिवारी जी कांग्रेस के उन ग्रुप 23 यानी जी- 23 के असंतुष्ट नेताओं में शामिल हैं जो समय समय पर नेतृत्व पर सवाल उठाते रहे हैं…। खुर्शीद ने किसी समय इन असंतुष्ट नेताओं को ओपन लेटर लिखकर पूछा था कि क्या वह पाला बदलने का सोच रहे हैं ? खुर्शीद हाईकमान के करीबी माने जाते हैं… और उनकी किताब को लेकर जो बवाल मचा है उस पर अभी तक हाईकमान ने या पार्टी ने कोई स्पष्ट सफाई नहीं दी है…हालांकि जी- 23 के नेता गुलाब नबी आजाद खुर्शीद की राय से सहमत नहीं हैं….
खुर्शीद की किताब के आने के कुछ ही दिनों बाद तिवारी की किताब आने के क्या मायने हो सकते हैं ? क्या उत्तरप्रदेश चुनाव के संदर्भ में यह खुर्शीद की किताब को काउंटर करने का कोई प्रयास है…? या फिर महज संयोग है…यह कहना मुश्किल है…पर परिस्थितियों को देखकर लगता है कि एक किताब से यदि मुस्लिमों को साधने की कोई कोशिश हुई होगी… तो दूसरी किताब से हिन्दूओं को कांग्रेस से दूरी बनाने का कारण मिल सकता है…
कांग्रेस पार्टी में दो विरोधी धड़े की दो किताबें कम से कम इस तरह का अनुमान लगाने का अवसर तो देती ही हैं….मनमोहन सरकार की आलोचना करने वाले तिवारी खुद मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री रहे हैं….और अभी पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू और वहां की सरकार के कामकाज को लेकर काफी मुखर रहे हैं….मनीष तिवारी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को ‘बड़ा भाई’ कहने पर नवजोत सिंह सिद्धू की आलोचना की थी…। वैसे एक समय पार्टी में मनमोहन सरकार के कामकाज पर सवाल उठ रहे थे तो इसी तिवारी जी ने सबको मिलकर बीजेपी से लड़ने की सलाह दी थी…
वैसे मनीष तिवारी ने मोदी सरकार के कामकाज को लेकर भी अपनी किताब में हमला किया है और कहा है कि चीन के साथ डोकलाम विवाद को टाला जा सकता था यदि मोदी सरकार समय रहते कुछ फैसले कर लेती…माउंटेन स्ट्राइक कार्प्स को रद्द करना इस सरकार की राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर बड़ी भूल थी…
कांग्रेस के भीतर दो बड़े नेताओं की दो किताबें यह बताने के लिए काफी है कि पार्टी में सबकुछ सही नहीं चल रहा है…उसे अपने नेताओं में पनप रहे उस असंतोष को रोकना होगा जो लम्बे समय से दबे रहने के बाद उभर आया है…यदि इसके बिना पार्टी चुनावों में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद लगाए हुए है तो इसे सिर्फ आत्ममुग्धता ही माना जा सकता है….
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