#LaghuttamVyangya: हम बातें बनाने की फैक्ट्री, गॉसिप के शेयर बाजार में हमारा भारी निवेश

मीडिया तो पहले भी यूं बातें बनाकर पेश करता था। तब अलग ढंग की बातें थी। अब अलग ढंग की बातें हैं। फर्क तो कुछ आया नहीं।

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  • Publish Date - February 11, 2023 / 11:34 AM IST,
    Updated On - February 11, 2023 / 11:34 AM IST

बरुण सखाजी. सह-कार्यकारी संपादक, IBC24

मैं एक आम आदमी हूं। बातें बनाना, गॉसिप करना मेरा शगल है। सुबह से शाम तक मैं कितना ही व्यस्त रहूं मगर बातें कहीं मिल जाएं तो उन्हें बना ही लेता हूं। सिर्फ बनाता ही नहीं हर बात में कुछ अपना जोड़कर उसे आगे भी बढ़ाता हूं। मैं भारत का आम आदमी हूं, जिसने भारी मात्रा में अफवाहों के शेयर बाजार में निवेश कर रखा है।

सुनकर यूं लग रहा होगा जैसे मेरी ही तो बात हो रही है। लगना भी चाहिए। अगर नहीं लग रहा ऐसा तो समझना चाहिए या तो आप वास्तव में बड़े भोले हैं या फिर आप बहुत ही शरीफ हैं। बातें बनाने के इस शौक को नया रूप दिया आज के सोशल मीडिया समाज ने। यूं तो मुझे, आपको यानि आम आदमी को आनंद आता ही है बातें बनाने में, लेकिन अगर बातें बनाने के पैसे और मिलने लग जाएं तो क्या कहने। तमाम सोशल मीडिया मंच से लोगों की रोजीरोटी चलने लगी है। वे बातें बनाते हैं यानि वीडियो बनाते हैं पैसे कमाते हैं। वे ऊंट पे टांग रखकर खबर लिखते हैं और खबर वायरल हो जाती है। फिर वही लोग मीडिया को कोसते हैं। वायरल करने वाले खुद, खबर पसंद करने वाले खुद और ठीकरा मीडिया पर।

मीडिया तो पहले भी यूं बातें बनाकर पेश करता था। तब अलग ढंग की बातें थी। अब अलग ढंग की बातें हैं। फर्क तो कुछ आया नहीं।

हाल ही में मुझे इसी बातें बनाऊ सोशल फैक्ट्री पर एक खबर देखने को मिली। इसमें बाबा बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री और प्रवचनकर्ता जया किशोरी की नजदीकियों का जिक्र था। यूं तो इसमें अनहोनी जैसी कोई बात नहीं, परंतु फिर भी खटका। मित्र ने कहा खटक इसलिए रहा है आपको, क्योंकि पहले रुपहले पर्दे के अभिनय करने वाले कलाकार सुपर स्टार या महासितारा होते थे, लेकिन अब धार्मिक कथा, प्रवचन करने वाले सितारा बनने लगे हैं। लाखों अनुयायी एक झलक के लिए धार्मिक दिलीप कुमारों, शाहरुख खानों, अमीर खानों मरे जा रहे हैं। फिल्मी नायकों के दीवाने होने की परंपरा अब पीछे छूट गई, नई परंपरा में धार्मिक नायक उभर रहे हैं। इसलिए मुझे बुरा लग रहा है। यह मेरे मित्र ने कहा।

क्या पता उन्होंने कितना सही कहा, लेकिन एक बात तो साफ है कि पंडित धीरेंद्र शास्त्री और जयाकिशोरी के अपने फॉलोअर्स तो लाखों में हैं ही। और बातें बनाने वालों को मजा भी आता है बातें बनाने में। तो बातें बन ही रही हैं। हमें इन बातों को सुनने में भी उतना ही आनंद आता है, जितना बनाने में। कुछ अपना जोड़कर आगे बढ़ाने का आनंद भी कुछ और है। मगर मैं यहां ऐसा नहीं करूंगा सिर्फ यही कहूंगा कि यह बात सच भी हो तो भी कोई अपराध नहीं। झूठ तो लग ही रही है।

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