अंग्रेजी में कर्म को लेकर एक कोटेशन है- Karma has no menu, you get served what you deserve. और कॉमेडियन कामरा के करमा ने भी उनको वही सर्व किया गया जिसको वो डिजर्व करते हैं।
कॉमेडियन कुणाल कामरा ने दिल तो पागल है फिल्म के गाने-‘भोली सी सूरत, आखों में मस्ती, दूर खड़ी शरमाए’ की बेहद सस्ती और सड़कछाप पैरोडी पेश की थी। कामरा ने जिस शातिर सी सूरत और आंखों में मस्ती के साथ दूर खड़े शिवसैनकों को छेड़ा था, उससे वे शरमाने की बजाए भड़क गए। बाला साहेब ठाकरे के असली उत्तराधिकारी होने का दावा करने वाले शिवसैनिकों ने पुराने शिवसैनिकों के अंदाज में कामरा का कमरा तोड़ कर तेवरात्मक तरीके से भी साबित कर दिया कि वे ही असली शिवसेना के अपडेटेड वर्जन हैं। अदालत और जनता की अदालत में तो शिंदे गुट की शिवसेना पहले ही ‘तीर कमान’ पर अपना कब्जा जमा चुकी थी। इधर कामरा ने उड़ता तीर लेकर शिंद गुट को एक बार फिर ‘तीर-कमान’ का असली हकदार साबित कर दिया है।
कुणाल कामरा शायद भूल गए थे कि न्यूटन का तीसरा नियम केवल ‘विज्ञान’ में ही नहीं बल्कि ‘कला’ में भी लागू होता है। अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर अपनी कलात्मक क्रिया देने वाले कुणाल को शिवसैनिकीय प्रतिक्रिया मिली है तो फ्री स्पीच के पैरोकारों ने न्यूटन के सिद्धांत पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है। अगर एक अभिनेत्री की अभिव्यक्ति का जवाब ‘उखाड़’ कर दिए जाने को जायज ठहराया जा सकता है तो फिर स्टूडियो को ‘उजाड़’ देने को भला कैसे नाजायज ठहराया जा सकता है?
कुणाल कामरा ने ‘आए-हाए’ गाने की पैरोडी की तो थी एक गुट विशेष से ‘वाह-वाह’ सुनने के लिए लेकिन दूसरे गुट ने उसे ‘हाय-हाय’ में तब्दील कर दिया। क्या कीजिएगा, वक्त-वक्त की बात है। मोहतरमा ने तो बकायदा अपने दुश्मनों को ‘आज मेरा घर टूटा है, कल तेरा घमंड टूटेगा’ की बददुआ देकर अंजाम के प्रति आगाह किया था। अब देखना है कि कुणाल कामरा अपने स्टूडियो के उजड़ने पर किस अंदाज में ‘आह’ भरकर विरोधियों को अंजाम के लिए आगाह करते हैं। चचा गालिब तो कह ही गए हैं- आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक….।
-लेखक IBC24 में डिप्टी एडिटर हैं।
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