Bjp Freebies Strike भाजपा ने हिमाचल के नतीजे और गुजरात में आम आदमी पार्टी के 12 फीसद वोट का मतलब निकाला है। पार्टी इस बात की चिंता कर रही है कि यह 12 फीसद वोट गुजरात में आम आदमी पार्टी के मुफ्त के वायदों से आए हैं। साथ ही पार्टी मानती है हिमाचल में सब कुछ अच्छा होने के बावजूद लोगों ने कांग्रेस को मुफ्त के वायदों के बूते चुना है। भाजपा यह मान रही है कि भले ही वह गुजरात जीत गई हो, लेकिन चुनावों पर मुफ्त देने की नई—नई घोषणाएं किसी भी समय भाजपा पर भारी पड़ सकती हैं। ऐसे में इससे निपटने के लिए पार्टी को और मजबूत रणनीति पर काम करना होगा।
Bjp Freebies Strike भाजपा चुनावी मुफ्तवाद से निपटने के लिए तीन परतों पर काम कर रही है। इसमें पहली परत सुप्रीम कोर्ट की शरण है, दूसरी परत में लोगों के बीच फ्रीबीज के नुकसान को बताना और तीसरी अपने विकास के काम बताना है। फ्रीबीज के मसले पर सुप्रीम कोर्ट में मसला लगा हुआ है। सुनवाइ चल रही है। सरकार चाहती है या तो कोर्ट कुछ मुकम्मल सुझाव दे या फिर वह चुनाव आयोग या सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दे दे। कोर्ट फ्रीबीज पर कोई फैसला नहीं ले सकता, क्योंकि उसके पास इस संबंध में बहुत ज्यादा तथ्य नहीं। ऐसे में वह सरकार या चुनाव आयोग को निर्देश देगा। बस सरकार यही चाहती है। इसके बाद सरकार इस मसले को लपक लेगी। वह संसद के माध्यम से तीन कदम उठा सकती है। पहला घोषणा पत्र में किए वायदों पर अगर कोई दल काम नहीं करता तो उसका निर्वाचन रद्द हो जाए। दूसरा घोषणा पत्र में यह बताना कानूनी रूप से जरूरी कर दिया जाए कि किए गए वादे कैसे पूरे करें। तीसरा घोषणा पत्र में किए गए वादों को पूरा करने से राज्य की आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा। या फिर कोई ऐसा सिस्टम बना सकती है जिसमें देशभर के विषय विशेषज्ञों की राय के बिना कोई राजनीतिक दल वायदा नहीं कर पाएगा। यह तो हुआ संसद से उठाया जा सकने वाला कदम। अब राजनीतिक रूप से इससे निपटने की रणनीति। हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी 26 मिनट की नागपुर की स्पीच में लगभग 13 मिनट इसी पर बोला है।
इससे यह साफ है कि मोदी लोगों को इसके नुकसान बताना चाहते हैं। भाजपा किसी तरह के भी अव्यवहारिक वायदे को लेकर चुनाव में नहीं जाना चाहती। मोदी ने साफ कहा कि कुछ राजनीतिक दल यह शॉर्टकट अपनाने लगे हैं। देश में चौथी औद्योगिक क्रांति आ चुकी है। ऐसे में मुफ्तवाद भारत को पीछे करेगा। भारत से बहुत छोटे देशों का उदाहरण दिया। यानि समझाने की कोशिश की गई कि इस तरह के गच्चों में न पड़ें। बहरहाल फ्रीबीज क्या हैं यह आप भी सोचिए और तय कीजिए कि क्या वास्तव में मुफ्तवाद चुनावों को प्रभावित कर रहा है या कि लोग समझदार हो चुके हैं।
Read More : #NindakNiyre: हिमाचल के पहाड़ों से नए राजनीतिक रास्ते पर भूपेश बघेल