बतंगड़ः बम के सियासी बम से भाजपा हुई बम-बम, कांग्रेस बेचारी बेदम | #Batangad

बतंगड़ः बम के सियासी बम से भाजपा हुई बम-बम, कांग्रेस बेचारी बेदम

#Batangad: बतंगड़ः बम के सियासी बम से भाजपा हुई बम-बम, कांग्रेस बेचारी बेदम poor Congress became breathless

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Modified Date: April 29, 2024 / 06:06 PM IST
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Published Date: April 29, 2024 6:06 pm IST

– सौरभ तिवारी

60 के दशक में ससुराल फिल्म का एक गाना बड़ा मशहूर हुआ था। ये गाना था – तेरी प्यारी-प्यारी सूरत को किसी की नजर ना लगे, चश्मेबद्दूर…। लेकिन इंदौर में कांग्रेस उम्मीदवार की सूरत को बीजेपी की नजर लग गई, और ‘सूरत कांड’ को इंदौर में भी अंजाम दे दिया गया। सूरत के अलावा खजुराहो में भी राहों का कांटा निकाला जा चुका है। सूरत और खजुराहो में तो विपक्षी उम्मीदवारों का नामांकन तकनीकी आधार पर रद्द हुआ, लेकिन इंदौर में कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम ने खुद ही नामांकन वापस ले लिया। भाजपा ने इतनी चतुराई से ये सियासी बम फोड़ा कि किसी को कानों कान खबर नहीं लगी। जब तक अक्षय के पर्चा वापस लेने की चर्चा जोर पकड़ती उससे पहले उसने पार्टी भी बदल ली। बम ने वाकई इस कहावत को चरितार्थ कर दिया कि जिधर दम-उधर हम। बम के इस कदम से भाजपा जहां बम-बम है वहीं बेचारी कांग्रेस बेदम है।

देश के सबसे साफ शहर से साफ होने के बाद कांग्रेसी खेमे में खलबली मच गई है। कांग्रेस में रुदाली रुदन चालू आहे। कोई अपने उम्मीदवार अक्षय बम को कोस रहा है तो कोई भाजपा को। अपने उम्मीदवार के रणछोड़दास बन जाने से नाराजगी का होना तो फिर भी समझ में आता है लेकिन इसके लिए भाजपा को कोसना सिवाए अपनी नाकामी को दूसरे पर मढ़ने से ज्यादा कुछ नहीं है। बड़े बुजुर्ग कह गए हैं कि जब अपना ही सिक्का खोटा हो तो दूसरों पर तोहमत नहीं मढ़ी जाती। अब कांग्रेसियों को कौन समझाए कि इतने ‘सस्ते’ लोगों को टिकट देते ही क्यों हो कि वे चिल्लर के भाव ‘रस्ते’ में बिक जाते हैं। कांग्रेस को समझना चाहिए कि जब विरोधियों को अपने पाले में लाने के लिए ज्वाइनिंग टोली बनाकर बकायदा ‘सेल’ लगा रखी गई हो तो फिर रस्ते का माल सस्ते में तो खरीदा ही जाएगा।

अक्षय बम ने तो सबसे ज्यादा फजीहत बेचारे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी की कराई है। पटवारी के अध्यक्ष बनने के बाद से लेकर अब तक कई कांग्रेसी पालीबदली कर चुके हैं। पटवारी से कामकाज से नाराज होकर कुछ कांग्रेसियों के दल बदलने की बात तो फिर भी समझ में आती है लेकिन अक्षय बम तो उनके अपने थे। पटवारी से उनकी पटती भी थी, लेकिन लोग हैरान हैं कि पलटी मारकर अक्षय ने पटवारी के साथ ये कैसी यारी निभाई। अब ऐसे में कुछ कांग्रेसियों को पटवारी पर ताना मारने का मौका मिल गया है कि जब रकम वसूल कर टिकट बांटने का करम किया जाएगा तो अंजाम तो यही होगा ही। एक कांग्रेसी की पटवारी पर की गई टिप्पणी गौरतलब है कि,’ प्रदेश भर में घूम-घूम कर जागते रहो का संदेश दे रहे थे लेकिन उनके अपने शहर में ही सेंध लग गई।”

अपनी फजीहत होती देखकर कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने वही ‘राग दबाव’ गाना शुरू कर दिया है। पटवारी की माने तो अक्षय बम के खिलाफ थाने में दर्ज पुराने मामले में धारा बढ़ाकर उन्हें डरा धमका कर नामांकन वापस लेने के लिए मजबूर किया गया है। अगर ऐसा है तब तो ये वाकई कांग्रेस के संदेश ‘डरो मत’ की मंशा पर सवाल खड़े करता है। इतना डर कांग्रेस के ‘बब्बर शेरों’ के लिए अच्छा नहीं है। इधर कांग्रेस नेता के के मिश्रा दावा कर रहे हैं कि उन्हें तो 15 दिन पहले से ही इस पालाबदली का आभास हो गया था। सवाल उठता है कि जब पहले से ही पता था तो बम की ओर से इस सियासी बम के फूटने का इंतजार क्यों किया जाता रहा? जरूरत है दूसरे पर तोहमत लगाने की बजाए अपना घर दुरुस्त करने की। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने तो कह भी दिया है कि, ‘अगर कांग्रेस घुटने टेके तो इसमें हम क्या कर सकते हैं।’

बहरहाल अक्षय बम ने अपना नामांकन पत्र क्यों वापस लिया ये तो वहीं जाने, लेकिन ऐन मौके पर पार्टी के साथ ‘विश्वासघात’ करके उन्होंने खुद को इतिहास में गद्दार के रूप में ही दर्ज कराया है। अक्षय बम अपने नामांकन पत्र के वापस लेने को किसी भी सूरत में जस्टिफाय नहीं कर सकते हैं। सवाल तो पूछा ही जाएगा कि उनकी अंतरआत्मा ने जगने के लिए नामांकन वापसी के आखिरी दिन का ही इंतजार क्यों किया ? वे कुछ भी दलील दें लेकिन हकीकत यही है कि गद्दारों की लिस्ट में एक और नाम जुड़ गया है।

 

– लेखक IBC24 में डिप्टी एडिटर हैं।