भोपाल: 56 is Lucky Number for BJP 56 का अंक बीजेपी के लिए अक्सर शुभ ही साबित होता है और शायद यहीं वजह है कि बीजेपी के नेता भी इस अंक को पूरी ईमानदारी से मानते हैं। अब देखिए 3 दिन के दौरे पर मध्यप्रदेश आए बीजेपी के सबसे बड़े ट्रबलशूटर अमित शाह ने भी 56 घंटे ही बिताए। 28 अक्टूबर को दोपहर 1 बजे उतरने के बाद अमित शाह 31 अक्टूबर को रात 9 बजे तक ही मध्यप्रदेश में रहे। 28 अक्टूबर को जबलपुर में राजा शंकर शाह रघुनाथ शाह की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण करने के बाद उसी बीजेपी दफ्तर में एक घंटे क पदाधिकारियों की बैठक ली, जिसमें कुछ दिन पहले केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव के सामने कार्यकर्ताओं ने पार्टी को शर्मिंदा करने वाला प्रदर्शन किया था। बीजेपी के चाणक्य ने पदाधिकारियो को नसीहत दी कि जितने कम बागी होंगे जीतने की उतनी ज्यादा संभावना लिहाजा बागियों को रोकना बेहद जरुरी है।
56 is Lucky Number for BJP मैदान में कांग्रेस को शिकस्त देने लिए उन्होंने विरोधी उम्मीदवार की जाति या क्षेत्र से ज्यादा से ज्यादा निर्दलीय खड़े करने को भी कहा । यहां से शाह कांग्रेस के सबसे मजबूत किले छिंदवाड़ा के जुन्नारदेव गए और आम सभा फिर हिंदुत्व के मुद्दे को हवा दे दी। वैसे तो तय कार्यक्रम के मुताबिक छिंदवाड़ा से शाह को भोपाल आना था लेकिन उनके दिमाग में कुछ और ही चल रहा था, शाम 5.30 बजे वो वापस जबलपुर लौटे और मजबूत बागियों से वन टू वन चर्चा की । इसका असर भी दिखा धीरज पटेरिया के सुर बदले तो बीजेपी के नगर अध्यक्ष प्रभात साहू ने इस्तीफा देकर खुद को प्रचार से अलग कर लिया। महाकोशल के सबसे बड़े शहर से शाह रात करीब 8.30 बजे भोपाल के लिए रवाना हुए जहां भोपाल और नर्मदापुरम के पदाधिकारी शाम 6 बजे से उनका इंतजार कर रहे थे। रात 10.15 बजे अमित शाह ने पहले प्रवासी प्रभारियों से मिले और सभी सीटों का फीडबैक लेने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा से अकेल में चर्चा की। इसके बाद जब शाह पूरी तैयारी के साथ पदाधिकारियों के बीच पहुंचे और अब बारी थी उनके सवाल पूछने की। शाह ने पूछा कि
किस सीट पर जीत की कितनी संभावना हैं,कहां गड़बड़ी हो सकती है,कौन बागी या निर्दलीय बीजेपी को नुकसान पहुंचा रहा है,नाराज़ नेताओं को कैसे समझाया जा सकता है। यहीं पर सबके सामने शाह ने अधिकारियों और कर्मचारियों को चेतावनी भी दे डाली की जो बीजेपी के चुनाव चिन्ह कमल का ख्याल नहीं रखेगा उसे कोई नहीं बचा पाएगा। जाहिर है पहले दिन के आखिरी सेशन तक अमित शाह के तेवर तीखे हो चुके थे। 29 अक्टूबर को शाह ने भोपाल की फाइव स्टार होटल में सीएम और प्रदेश अध्यक्ष के साथ चर्चा की और राजा भोज की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद खजुराहो निकल गए। दोपहर 12 बजे खजुराहो की एक होटल में उन्होंने 260 पदाधिकारियों के साथ बैठक करके बहुत ही जमीनी निर्देश दिए।
अमित शाह ने कार्यकर्ताओ से कहा कि हर घर तक पहुंचना पहला लक्ष्य है और चुनाव के पहले हर हर मतदाता से 5 बार मिलना ही होगा। खजुराहो में बुंदेलखंड की बैठक के बाद अमित शाह दोपहर 3.30 बजे रीवा पहुंचे,थोड़ी देर सर्किट हाउस में स्थानीय नेताओं से मुलाकात के बाद वो वृंदावन होटल पहुंचे जहां उन्हें विंध्य के बीजेपी पदाधिकारियो,प्रभारियों और उम्मीदवारों से चर्चा में नाराज नेताओं को मनाने के निर्देश दिए। श्यामलाल द्विवेदी,तिवारीलाल तिवारी,पंछूलाल प्रजापति जैसे बड़े नेताओं से खुद शाह ने बात करके उन्हें पार्टी के पक्ष में काम करने के लिए तैयार किए। रीवा में दो घंटे गुजारने के बाद शाह ने शाम 5 बजे इंदौर का रुख किया,शाह जानते थे कि उनकी अगली दो बैठके जो मालवा और चंबल में होनी थी वो विधानसभा चुनाव के हिसाब से सबसे अहम है क्योंकि जिस भी पार्टी को यहां ज्यादा सीटें मिलेगी उसकी सरकार बनना तय है। शाम 6.30 बजे इंदौर एयरपोर्ट पहुंच कर अमित शाह सीधे उज्जैन के लिए रवाना हो गए।
यहां पर बाबा महाकाल के दर्शन करने के बाद शाह ने आमसभा में शाह ने फिर शिवराज सिंह चौहान के चेहरे को पीछे रखने के संकेत दे दिए उन्होंने कहा कि यदि तुलना करना है तो दस साल के कांग्रेस के कार्यकाल और मोदी के 9 साल के कार्यकाल की तुलना करें,बीजेपी के 20 साल के कार्यकाल की नहीं,राहुल गांधी को जनेऊधारी साबित करने के बाद अब शाह ने प्रियंका गांधी चुनावी हिंदू तक कह डाला। इसके बाद रात 8.30 बजे शाह ने राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा,प्रदेश चुनाव प्रभारी भूपेन्द्र यादव के साथ उज्जैन संभाग की बैठक शुरु हुई, जिसमें शाह ने नाम घोषित होने के बाद प्रत्याशी ने अपने क्षेत्र में कितना प्रचार किया ये जाना साथ ही महाकाल लोक और राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर लोगों पर बीजेपी का क्या फीडबैक है।
अमित शाह ने बड़े नेताओं से न सिर्फ उनकी जिम्मेदारी वाली सीटों का फीडबैक लिया बल्कि उन सीटों पर काम करने को कहा जहां सबसे ज्यादा डैमेज होने का डर है। उज्जैन से अमित शाह इंदौर के ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर पहुंचें और रात 1 बजे अमित शाह ने कैलाश विजयवर्गीय समेते इदौर के पदाधिकारियों से हर सीट का फीडबैक लिया। 30 अक्टूबर को सुबह 11 बजे शुरु हुई मालवा निमाड़ की बैठक चूंकि ये नामांकन का आखिरी दिन था लिहाजा ज्यादा उम्मीदवार तो नही पहुंचे और ऐसे में शाह ने चुनिंदा उम्मीदवारो और इलाके के बड़े नेताओं के साथ मुलाकात की । नाराज रंजना बघेल से शाह खुद मिले और हर्ष चौहान से फोन पर बात भी की।
इस इलाके को लेकर शाह का सबसे ज्यादा जोर आदिवासी सीटों को लेकर रहा , यहां शाह ने सिर्फ एक मंत्र दिया मालवा जीते तो एमपी जीतेंगे। इंदौर से अमित शाह बीजेपी के सबसे कठिन टॉस्क ग्वालियर की तरफ कूच किया। जिलाध्यक्षों की बैठक में अमित शाह ने जनसंपर्क अभियान का ब्यौरा मांगा ब्यौरा,साथ ही 5 नवम्बर को घर घर बीजेपी का झंडा लहराने के भी निर्देश दिए,ग्वालियर चंबल की 34 सीटों में से 20 पर बीजेपी को भितरघात का खतरा है ऐसे में बैठक से पहले नाराज नेताओं को कॉल करके बुलाया गया,दूसरे नाराज नेताओं को मनाने के लिए शाह ने थोड़ी सख्ती भी दिखाई उन्होंने कहा कि एक बार जाओ,दो बार जाओ और न माने तो 10 नवंबर के बाद एक बार फिर जाना और फिर भी न माने तो उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
340 नेताओं के बीच शाह के इन तेवरों ने बता दिया मध्यप्रदेश में जीत के रास्ते में किसी तरह की अड़चन को वो बर्दाश्त नहीं करेंगे । बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले शाह ने दौरा उस वक्त किया जब 20 दिन का वक्त बचा है और वो जानते हैं कि टी-20 के इस दौर में 500 घंटे की मेहनत पार्टी को फिर से सत्ता पर काबिज कर सकती है।