मुजफ्फरपुर केंद्रीय कारागार में खुदीराम बोस को श्रद्धांजलि दी गई

मुजफ्फरपुर केंद्रीय कारागार में खुदीराम बोस को श्रद्धांजलि दी गई

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  • Publish Date - August 11, 2024 / 05:11 PM IST,
    Updated On - August 11, 2024 / 05:11 PM IST

मुजफ्फरपुर/पटना, 11 अगस्त (भाषा) स्वतंत्रता सेनानी खुदीराम बोस को श्रद्धांजलि देने के लिए रविवार को मुजफ्फरपुर केंद्रीय कारागार के बाहर बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए। बोस को 11 अगस्त 1908 को इसी जेल में फांसी दी गई थी।

ब्रिटिश शासन के दौरान जितने स्वतंत्र सेनानियों को फांसी दी गई थी, उनमें बोस सबसे कम उम्र के थे।

बोस को मुजफ्फरपुर के न्यायाधीश डगलस किंग्सफोर्ड की हत्या के प्रयास से जुड़े मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी। बोस ने अपने सहयोगी प्रफुल्ल चाकी के साथ मिलकर किंग्सफोर्ड की गाड़ी पर बम फेंका था। इस घटना में दो ब्रिटिश महिलाओं की मौत हो गई थी।

तिरहुत प्रमंडल के आयुक्त मिहिर कुमार सिंह, पुलिस महानिरीक्षक शिवदीप वामनराव लांडे, मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी सुब्रत सेन और पश्चिम बंगाल के पश्चिम मेदिनीपुर जिले के हबीबपुर में बोस के पैतृक गांव के कई लोगों और सैकड़ों अन्य लोगों ने स्वतंत्रता सेनानी को श्रद्धांजलि अर्पित की।

अधिकारियों ने मुजफ्फरपुर शहर के कंपनी बाग में खुदीराम बोस स्मारक पर स्वतंत्रता सेनानी की प्रतिमा पर माल्यार्पण भी किया। इसी स्थान पर बोस ने प्रफुल्ल चाकी के साथ मिलकर यह साहसिक कार्य किया था।

गिरफ्तारी से पहले प्रफुल्ल चाकी ने खुद को गोली मार ली थी।

खुदीराम बोस को गिरफ्तार कर लिया गया और दो महिलाओं की हत्या के लिए मुकदमा चलाया गया और उन्हें मौत की सजा सुनाई गई।

बोस भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में सबसे कम उम्र के शहीद बन गए।

इस बीच, बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और कई अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान इस दिन पटना सचिवालय के पास तिरंगा फहराने का प्रयास करते समय मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी।

भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान 11 अगस्त 1942 को पटना सचिवालय के समीप झंडा फहराते समय ब्रिटिश सेना ने गोलीबारी कर दी थी जिसमें सात लोगों की मौत हो गई थी।

भाषा सं अनवर नोमान

नोमान