आरसीपी ने नीतीश कुमार पर साधा निशाना, जद(यू) ने किया पलटवार

आरसीपी ने नीतीश कुमार पर साधा निशाना, जद(यू) ने किया पलटवार

आरसीपी ने नीतीश कुमार पर साधा निशाना, जद(यू) ने किया पलटवार
Modified Date: November 29, 2022 / 02:23 am IST
Published Date: September 6, 2022 7:05 pm IST

पटना, छह सितंबर (भाषा) पूर्व केंद्रीय मंत्री आर सी पी सिंह ने मंगलवार को आरोप लगाया कि जिस कांग्रेस के विरूद्ध जयप्रकाश नारायण ने जी जान से लड़ाई लड़ी, उसी कांग्रेस के साथ हाथ मिलाकर नीतीश कुमार अपनी समाजवादी जड़ों के साथ ‘विश्वासघात’ कर रहे हैं।

जनता दल यूनाइटेड (जदयू) से राज्यसभा का दूसरा कार्यकाल नहीं मिलने पर केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के लिए बाध्य हुए सिंह ने यहां संवाददाताओं के साथ बातचीत में यह भी आरोप लगाया कि बिहार के मुख्यमंत्री को ‘‘दरबारी संस्कृति’’ पसंद है, इसलिए उनके जनसंवाद को ‘जनता दरबार’ नाम दिया गया है।

उन्होंने इस साप्ताहिक जनसंवाद कार्यक्रम पर एक श्वेतपत्र जारी करने की मांग करते हुए कहा कि इस पर खूब धन खर्च किया गया, लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ।

 ⁠

जद(यू) के वरिष्ठ नेता और बिहार के मंत्री विजय कुमार चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक बयान का जिक्र करते हुए सिंह पर पलटवार किया। चौधरी ने कहा, ‘‘ उन्हें (सिंह को) याद करना चाहिए कि नीतीश कुमार को जेपी, लोहिया और जॉर्ज फर्नांडीस के बाद एकमात्र सच्चा समाजवादी बताकर उनकी तारीफ किसी और ने नहीं, बल्कि उन्होंने की जिनके चरणों में वह (सिंह) लेटे हुए हैं।’’

उल्लेखनीय है कि कुछ महीने पहले एक साक्षात्कार में प्रधानमंत्री ने वंशवादी राजनीति से विमुख रहने के लिए कुमार की तारीफ की थी।

चौधरी ने नौकरशाह से नेता बने सिंह को यह भी याद दिलाया, ‘‘ जेपी कभी आरएसएस के लोगों के उनके आंदोलन से जुड़ने के पक्ष में नहीं थे। दोहरी सदस्यता के मुद्दे पर ही जनता पार्टी सरकार गिरी थी। स्पष्ट तौर पर आरसीपी को समाजवादी आंदोलन के इतिहास का कम ज्ञान है।’’

सिंह के ‘‘दरबारी संस्कृति’’ संबंधी बयान का भी चौधरी ने उपहास उड़ाया। सिंह, नीतीश कुमार के निजी सचिव एवं प्रधान सचिव रहे और बाद में इस्तीफा देकर वह 2010 में जद(यू) में शामिल हो गये थे।

चौधरी ने कहा, ‘‘ यह वह (आरसीपी) ही थे, जिन्हें दरबार लगाना पसंद था। जब सिंह जद(यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, तब पार्टी के कार्यकर्ता उनके विरूद्ध ऐसी शिकायत करते थे।’’

भाषा

राजकुमार दिलीप

दिलीप


लेखक के बारे में