पटना, 19 जनवरी (भाषा) बिहार में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (रागज)ने रविवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर राज्य में नीतीश कुमार सरकार द्वारा कराए गए जाति सर्वेक्षण को ‘फर्जी’ बताने के लिए निशाना साधा।
लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार बिहार के दौरे पर आए राहुल गांधी ने शनिवार को देश भर में जाति जनगणना कराने का संकल्प लिया और कहा कि वह सुनिश्चित करेंगे कि ‘‘यह कवायद बिहार में 2022-23 में की गई जाति सर्वेक्षण की तरह फर्जी न हो… इसका उद्देश्य लोगों को मूर्ख बनाना न हो।’’
राजग में घटक जनता दल यूनाइटेड (जदयू) नेता और राज्य में मंत्री विजय कुमार चौधरी ने राहुल के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘‘हम ऐसे नेता से कुछ बेहतर की उम्मीद नहीं कर सकते जो भारत सरकार और भारतीय राज्य के बीच अंतर करने में असमर्थ हैं।’’
उनका इशारा दिल्ली में राहुल गांधी द्वारा हाल ही में की गई टिप्पणी की ओर था, जिसके कारण भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित असम में कांग्रेस के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
चौधरी ने गांधी को याद दिलाया कि ‘‘उनकी पार्टी शुरू से ही जाति सर्वेक्षण का समर्थन करती रही है। सरकार भी ठोस सबूतों के साथ विसंगतियों को दूर करने के लिए तैयार रही है। ऐसी पृष्ठभूमि में, गांधी की टिप्पणी हास्यास्पद लगने वाली बातें कहने की उनकी प्रवृत्ति का एक और उदाहरण है।’’
भाजपा नेता और पूर्व मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन ने भी इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस नेता पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि ‘‘हाल ही तक राहुल गांधी बिहार के जाति सर्वेक्षण का श्रेय लेते थे। उनका इस सर्वेक्षण को फर्जी कहना हैरान करने वाला है।’’
बिहार सरकार में मंत्री और भाजपा की बिहाई इकाई के अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने राहुल का मखौल उड़ाते हुए कहा, ‘‘जाति आधारित गणना पर बोलने से पहले राहुल गांधी को हमें बताना चाहिए कि वह किस जाति से हैं।’’
उल्लेखनीय है कि बिहार सरकार द्वारा अक्टूबर 2023 में जब सर्वेक्षण के नतीजों को सार्वजनिक किया गया तब कांग्रेस नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार में साझेदार थी। सर्वेक्षण में दलितों और पिछड़े वर्गों की जनसंख्या प्रतिशत में वृद्धि रेखांकित हुई।
राहुल गांधी के बयान पर जारी राजनीतिक विवाद के बीच बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने दावा किया कि पार्टी के शीर्ष नेता का आशय यह रेखांकित करना था कि सर्वेक्षण को ‘‘ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।’’
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने आरोप लगाया, ‘‘सर्वेक्षण रिपोर्ट प्रकाशित होने के तुरंत बाद नीतीश कुमार ने हमें छोड़ दिया और भाजपा से हाथ मिला लिया। तब से वह अपने कदम पीछे खींच रहे हैं, जिससे उनकी मंशा पर सवाल उठता है।’’
राज्यसभा सदस्य ने कहा कि ‘‘सर्वेक्षण के निष्कर्षों के आलोक में दलितों और पिछड़ों के लिए कोटा बढ़ाया गया था। इस कानून को पटना उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था और सरकार ने इस आदेश को उच्चम न्यायालय में चुनौती दी है। नीतीश कुमार अब मामला न्यायालय में का हवाला देकर बच रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यदि मुख्यमंत्री इस बात को लेकर गंभीर हैं कि वंचित वर्गों को लाभ मिले, तो उन्हें याचिका वापस ले लेनी चाहिए, नया कानून लाना चाहिए और फिर केंद्र में अपनी पार्टी के प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए नए कानून को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल कराकर उसे किसी भी न्यायिक हस्तक्षेप से बचाना चाहिए।’’
भाषा धीरज रंजन
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