(तस्वीरों के साथ)
पटना, 19 नवंबर (भाषा) लोक आस्था के महापर्व छठ के तीसरे दिन रविवार शाम श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की और अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया। सोमवार सुबह उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देने के साथ यह संपन्न होगा।
इस अवसर पर, राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रदेश की राजधानी पटना के दानापुर के नासरीगंज घाट से गायघाट तक स्टीमर द्वारा गंगा नदी के विभिन्न छठ घाटों का भ्रमण किया तथा व्रतियों एवं राज्यवासियों को छठ की शुभकामनायें दीं।
लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगा नदी के विभिन्न घाटों पर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया।
घाटों पर उपस्थित श्रद्धालुओं ने हाथ उठाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अभिवादन किया। मुख्यमंत्री ने सभी लोगों का अभिवादन स्वीकार किया। छठ व्रतियों की सुविधाओं का जायजा लेने के लिए मुख्यमंत्री छठ घाटों का भ्रमण करते रहे हैं।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर छठ घाटों पर व्रतियों की सुविधा एवं सुरक्षा को लेकर प्रशासन ने व्यापक प्रबंध किए हैं ताकि श्रद्धालुओं को किसी तरह की दिक्कत नहीं हो। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर पूरे प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दीं।
छठ घाटों के भ्रमण से पहले पटना के एक अणे मार्ग स्थित अपने आधिकारिक आवास में मुख्यमंत्री ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया तथा राज्यवासियों की सुख, शांति व समृद्धि के लिये ईश्वर से प्रार्थना की।
पटना जिले में गंगा नदी के 100 घाटों में से किसी से भी कोई अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली है। इन घटों पर महापर्व के मद्देनजर 5,000 सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की गई है।
तेजस्वी के पिता और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद ने कहा, ‘‘मैं लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के हमारे प्रयासों की सफलता के लिए छठी मैया से प्रार्थना करता हूं।’’
पत्रकारों से बातचीत के दौरान राजद सुप्रीमो ने कहा, “ छठ बिहार ही नहीं, बल्कि विदेश में भी लोकप्रिय है। छठ में हम लोग साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखते हैं। एक-दूसरे का ख्याल रखते हैं।”
यह पूछे जाने पर कि छठ पर्व के अवसर पर उन्होंने छठी मैया से बिहार के लिए क्या मांगा है, लालू ने कहा कि बिहार तरक्की करे यही उनकी कामना है।
भगवान भास्कर की आराधना के इस महापर्व की शुरूआत शुक्रवार सुबह हुई, जब व्रती अपने परिवार के सदस्यों के साथ यहां गंगा नदी के विभिन्न घाटों सहित प्रदेश की अन्य नदियों के घाटों व तालाबों किनारे पहुंचे तथा स्नान एवं सूर्य उपासना के साथ ‘नहाय-खाय’ की रस्म पूरी की।
इसके अगले दिन यानि शनिवार को व्रतियों द्वारा निर्जला उपवास रखकर ‘खरना’ किया गया। इसके तहत दूध, अरवा चावल व गुड़ से बनी खीर एवं रोटी का भोग लगाया गया।
‘खरना’ के बाद व्रतियों का 36 घंटों का निर्जला उपावास शुरू हुआ, जो रविवार शाम अस्ताचलगामी सूर्य और 20 नवंबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ‘पारण’ के साथ समाप्त होगा।
भाषा अनवर
नोमान सुभाष
सुभाष