नीतीश की सियासी करवट ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य का राजनीतिक परिदृश्य बदला

नीतीश की सियासी करवट ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य का राजनीतिक परिदृश्य बदला

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  • Publish Date - December 24, 2024 / 01:46 PM IST,
    Updated On - December 24, 2024 / 07:52 PM IST

( नचिकेता नारायण )

पटना, 24 दिसंबर (भाषा) वर्ष 2024 की शुरुआत के कुछ ही सप्ताह बाद बिहार में राजनीतिक उथल-पुथल का दौर देखने को मिला, जब राज्य के लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे नीतीश कुमार के अपनी पुराने सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ फिर से गठबंधन कर लेने से नए साल में प्रदेश का राजनीतिक परिदृश्य पूरी तरह बदल गया।

अपनी इच्छानुसार राजनीति करने की अपनी विलक्षण क्षमता के कारण हमेशा चर्चा में रहने वाले नीतीश कुमार (73) बिहार में सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए हुए हैं। विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (‘इंडिया’) में खासे सक्रिय रहे कुमार राजनीति में ‘‘राष्ट्रीय भूमिका’’ हासिल करने की अपनी उम्मीदों को त्यागते हुए गठबंधन छोड़ कर फिर से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल हो गए।

हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में जनता दल (यूनाइटेड) (जद-यू) प्रमुख ने राजग को बिहार में भारी सफलता दिलाई और अपने बलबूते बहुमत से पीछे रह गयी भाजपा को अपना समर्थन देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को केंद्र में सरकार बनाने में सारथी की भूमिका निभायी।

केंद्र में सत्ता में बने रहने के लिए कुमार पर निर्भर भाजपा के अब 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव उनके (कुमार के) ही नेतृत्व में लड़ने की अटकलों से ऐसी संभावना जताई जा रही है कि जदयू प्रमुख पांच साल और बिहार में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बने रह सकते हैं।

वर्ष 2024 में राजनीतिक रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर के चुनावी राजनीति में कदम रखने की काफी चर्चा रही। यह देखना दिलचस्प होगा कि उनकी नयी पार्टी ‘जन सुराज पार्टी’ मतदाताओं को कैसे प्रभावित कर पाती है। हाल में संपन्न बिहार विधानसभा की चार सीट के उपचुनावों में जन सुराज पार्टी का निराशाजनक प्रदर्शन रहा।

किशोर (47) को यह भरोसा है कि उनकी पार्टी सत्तारूढ़ राजग की मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभरेगी।

नीतीश कुमार के साथ रहने तक सरकार में भागीदार रहे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस वर्ष 2024 में अपने गुट को एकजुट रखने में विफल रहे, क्योंकि राज्य में नयी सरकार के गठन के कुछ ही दिनों के भीतर दोनों दलों के कई विधायक राजग में शामिल हो गए।

वर्ष 2024 में संपन्न लोकसभा चुनाव में बिहार में ‘इंडिया’ गठबंधन का प्रदर्शन औसत से कम रहा। राज्य में ‘इंडिया’ गठबंधन का स्थानीय स्वरूप ‘‘महागठबंधन’’ हाल में संपन्न बिहार विधानसभा के चार सीट के उपचुनाव में भी लड़खड़ाता दिखा और अपनी मौजूदा विधानसभा सीट भी नहीं बचा पाया। ‘‘महागठबंधन’’ में राजद, कांग्रेस और कई अन्य वाम दल शामिल हैं।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को ‘इंडिया’ गठबंधन का नेतृत्व करने दिया जाए या नहीं, इसे लेकर भी हाल में राजद-कांग्रेस के बीच विवाद ने गठबंधन की कमियों को उजागर किया है।

बिहार में विपक्षी ‘‘महागठबंधन’’ ने प्रीपेड बिजली मीटर, भूमि सर्वेक्षण और प्रदेश में जहरीली शराब से मौत की घटनाओं, जिसने बहुचर्चित शराबबंदी कानून पर सवालिया निशान लगा दिया था और खस्ताहाल बुनियादी ढांचे की वजह से राज्य भर में दर्जनों पुल और पुलिया ढहने को लेकर नीतीश सरकार को घेरने की कोशिश की थी।

‘‘महागठबंधन’’ में आपसी खींचतान ने राजग खेमे को राहत दी है। पटना उच्च न्यायालय द्वारा वंचित जातियों के लिए बढ़ाए गए कोटे को रद्द करने जैसे झटकों के बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार निश्चिंत दिख रहे हैं और इन दिनों अपने प्रदेश की ‘‘प्रगति यात्रा’’ पर निकले हुए हैं, जिसे अगले साल होने वाले प्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है।

पूर्व में नीतीश कुमार के विरोधी रहे और वर्तमान में उनके सहयोगी बन चुके चिराग पासवान अब केंद्र में सत्ता में अपनी हिस्सेदारी का आनंद लेते हुए नीतीश कुमार के इशारे पर उनकी सरकार द्वारा उन्हें वही सरकारी बंगला आवंटित किए जाने से काफी संतुष्ट दिख रहे हैं, जिसमें कभी उनके पिता रामविलास पासवान रहते थे।

केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान बनाने के साथ-साथ पार्टी से अलग हुए अपने चाचा पशुपति कुमार पारस को राजनीतिक तौर पर किनारे लगाने में सफल रहे चिराग पासवान कुछ साल पहले तक तो नीतीश कुमार को सत्ता से बेदखल करने की कसम खा रहे थे, लेकिन अब वह जदयू प्रमुख का समर्थन करते हुए राजग के अगला बिहार विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के ही नेतृत्व में लड़ने की वकालत कर रहे हैं।

इस साल बिहार लोकसभा आयोग (बीपीएससी) भी अपनी प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्नपत्र लीक होने को लेकर चर्चा में रहा। विवाद उठे, हालांकि अधिकारियों ने दावा किया कि एक षड्यंत्र के तहत परीक्षाओं की निष्पक्षता के बारे में अफवाहें फैलाई जा रही हैं।

इस साल कथित भ्रष्टाचार के लिए राजनीतिक दिग्गजों के खिलाफ कोई उल्लेखनीय कार्रवाई नहीं हुई, लेकिन प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा प्रधान सचिव स्तर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी संजीव हंस के खिलाफ धन शोधन मामले में कार्रवाई की गयी और वे वर्तमान में जेल में बंद हैं।

संयोग से यह मामला एक महिला द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के दौरान प्रकाश में आया।

वर्ष 2024 में बिहार ने एशियाई महिला हॉकी टूर्नामेंट की सफलतापूर्वक मेजबानी की, जो बिहार में होने वाला पहला बहुराष्ट्रीय खेल आयोजन था।

आर्थिक उदारीकरण के बाद 1990 के दशक में आए आर्थिक उछाल से लाभ उठाने में विफल माने जाने वाले बिहार ने अब प्रगति के संकेत दिए हैं और पिछले कई वर्षों से इसकी विकास दर अच्छी बनी हुई है। ऐसा लगता है कि इससे निजी निवेशकों में विश्वास पैदा हुआ है।

हाल में हुए ‘वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन बिहार बिजनेस कनेक्ट-2024’ में 1.80 लाख करोड़ रुपये से अधिक के समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए जो एक वर्ष पहले प्राप्त प्रस्तावों से तीन गुना अधिक है।

बिहार में भूमि की उपलब्धता एक बड़ी समस्या रही है। नीतीश कुमार सरकार ने राज्य में बढ़ते निवेश को देखते हुए घनी आबादी वाले इस प्रदेश में चालू वित्त वर्ष में व्यवसाय स्थापित करने के लिए 8,000 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया है और घोषणा की है कि अगले वित्त वर्ष में 10,000 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा।

भाषा अनवर मनीषा सुरभि

मनीषा