पटना, 23 नवंबर (भाषा) बिहार में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले चार सीट के लिए हुए विधानसभा उपचुनावों में जीत हासिल कर प्रदेश की राजनीति पर अपनी पकड़ और मजबूत कर ली है ।
बिहार की चार विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में जहां राजग ने इमामगंज सीट पर कब्जा बरकरार रखा, वहीं विपक्षी ‘महागठबंधन’ से तरारी, रामगढ़ और बेलागंज सीट छीन ली।
चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर द्वारा बड़े जोर-शोर से हाल ही में शुरू की गई जन सुराज पार्टी के उम्मीदवारों ने इस उपचुनाव में एक सीट को छोड़कर बाकी सभी सीट पर जमानत गंवा दी।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अब विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी का दर्जा खो चुकी है। उसके नेता तेजस्वी यादव ने इस हार को ज्यादा तवज्जो नहीं देते हुए दावा किया कि ‘महागठबंधन’ 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव जीतने के लिए पूरी तरह तैयार है।
राजद को सबसे बड़ा झटका बेलागंज में लगा, जहां उसके उम्मीदवार को जनता दल (यू) के प्रत्याशी से हार का सामना करना पड़ा। राजद यह सीट 1990 के दशक से जीतता आ रहा था।
बेलागंज में जनता दल (यू) की उम्मीदवार और पूर्व एमएलसी मनोरमा देवी ने राजद के विश्वनाथ कुमार सिंह को 21,000 से अधिक मतों से हराया। जीत का अंतर जन सुराज के मोहम्मद अमजद को मिले 17,285 मतों से अधिक था। विश्वनाथ कुमार सिंह ने पहली बार चुनाव लड़ा था। उनके पिता सुरेंद्र प्रसाद यादव के लोकसभा के लिए चुने जाने के कारण यह सीट खाली हुई थी।
बिहार विधानसभा की इन चार सीट का परिणाम घोषित होने के बाद एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए किशोर ने दावा किया, ‘‘बूथ वार विश्लेषण से पता चलता है कि बेलागंज में मुसलमानों ने भाजपा के साथ गठबंधन के बावजूद जद(यू) को वोट दिया।’’
जद(यू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा, ‘‘विपक्ष की नकारात्मकता को खारिज करने और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भरोसा जताने के लिए बिहार की जनता बधाई की पात्र है। उनके नेतृत्व में राजग 2025 में 243 सदस्यीय विधानसभा में 200 से अधिक सीटें जीतेगी।’’
किशोर ने बिहार में विधानसभा उपचुनावों में राजग की जीत को ‘‘चिंता का विषय’’ करार देते कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाला यह गठबंधन दशकों से राज्य के पिछड़ेपन को दूर करने में विफल रहा है।
रामगढ़ में भी राजद को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा जहां उसके प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के छोटे पुत्र अजीत कुमार सिंह न सिर्फ हारे बल्कि तीसरे स्थान पर रहे। इस सीट से भाजपा के अशोक कुमार सिंह जीते जबकि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सतीश कुमार सिंह यादव दूसरे स्थान पर रहे।
इस सीट से जन सुराज उम्मीदवार सुशील कुमार सिंह को चार प्रतिशत से भी कम वोट मिले।
भाजपा ने तरारी विधानसभा सीट पर भी शानदार जीत हासिल की।
इस सीट का प्रतिनिधित्व वर्तमान में भाकपा माले के सुदामा प्रसाद करते थे जिन्होंने लगातार दो बार इस सीट से चुनाव जीता था।
भाकपा माले के उम्मीदवार राजू यादव इस सीट से भाजपा के विशाल प्रशांत से 10,000 से अधिक मतों के अंतर से हार गए। इस सीट से जन सुराज उम्मीदवार किरण सिंह को चार प्रतिशत से भी कम वोट मिले।
भाजपा विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बन गई है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने अपनी पार्टी के प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘परिणामों ने दिखाया है कि राजग ने एक टीम के रूप में लड़ाई लड़ी है, ‘‘बटेंगे तो कटेंगे, एक हैं तो सेफ हैं’’।
जन सुराज का सबसे बेहतर प्रदर्शन इमामगंज आरक्षित सीट पर रहा जहां उसके उम्मीदवार जितेंद्र पासवान 20 प्रतिशत से अधिक वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे।
हालांकि यह सीट केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की बहू दीपा कुमारी के खाते में गई, जिन्होंने राजद के रौशन कुमार को करीब 6,000 वोट के अंतर से हराया।
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख मांझी ने गया से लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद इस साल की शुरुआत में इमामगंज सीट खाली कर दी थी।
नतीजों की घोषणा के कुछ घंटे बाद पत्रकारों से बात करते हुए राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा, ‘‘कुछ सीटें हारना कोई बड़ी बात नहीं है। कुछ महीने पहले हुए लोकसभा चुनावों में, महागठबंधन ने सभी चार विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त हासिल की थी। हम 2025 में बिहार में अगली सरकार बनाएंगे।’’
रामगढ़ के अशोक सिंह को छोड़कर चुनाव जीतने वाले अन्य उम्मीदवार पहली बार विधानसभा पहुंचे हैं।
भाषा अनवर
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