पटना। भारतीय जनता पार्टी के एक विधायक ने सोमवार को आरोप लगाया कि बिहार में ‘अग्निपथ’ योजना के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा और आगजनी के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध करने वाले ‘जिहादी’ थे तथा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के ‘बड़े नेताओं’ के बयानों से इन लोगों को बल मिला।>>*IBC24 News Channel के WhatsApp ग्रुप से जुड़ने के लिए Click करें*<<
बिसफी के विधायक हरीशभूषण ठाकुर बछौल ने मुख्यमंत्री की पार्टी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ‘जदयू का जनता के साथ कोई जुड़ाव नहीं है’ और ‘नीतीश कुमार के नही रहने पर पार्टी का वजूद खत्म होने की आशंका है।’
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बछौल जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ लल्लन और संसदीय बोर्ड के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा जैसे नेताओं के बारे में पूछे गए सवालों पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिन्होंने विरोध को ‘स्वाभाविक’ करार दिया था और सशस्त्र बलों में भर्ती की नयी योजना ‘अग्निपथ’ को वापस लेने का सुझाव दिया था।
उन्होंने आरोप लगाया, “पिछले दो दिनों में कोई घटना क्यों नहीं हुई? पहले हुई हिंसा के लिए निश्चित रूप से बड़े नेताओं के बयानों को दोषी ठहराया जा सकता है, जो नीतीश कुमार की कृपा की बदौलत वहां खड़े हैं। मोदी का विरोध करने वाले जिहादी तत्व हिंसा में शामिल थे और उन्हें लगा कि उन्हें इन नेताओं का समर्थन हासिल है।”
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बछौल ने जदयू नेताओं के इस सुझाव का मजाक भी उड़ाया कि भाजपा को जनता के बीच जाना चाहिए और अग्निपथ के बारे में गलतफहमियों को दूर करना चाहिए, ताकि इस संकट से निपटा जा सके। भाजपा नेता ने सवाल किया, “क्या वे लोगों के बीच हमसे ज्यादा सक्रिय हैं? हम 1951 से जनता की सेवा में जुटे हुए हैं और 2051 में भी मजबूत स्थिति में रहेंगे। ईश्वर नीतीश कुमार को लंबी उम्र दे, लेकिन उनका निधन हो गया तो जदयू का क्या होगा?”
गौरतलब है कि भाजपा 1980 के दशक में अस्तित्व में आई थी। जबकि, उसके पिछले अवतार भारतीय जनसंघ, जिसका विलय आपातकाल के बाद जनता पार्टी में हुआ था, की स्थापना 1950 के दशक में की गई थी। बिहार में शासन के लिए अभी तक नीतीश के साथ गठबंधन पर निर्भर रही भाजपा में बछौली का कद उतना ऊंचा नहीं है, लेकिन वह अपनी आक्रामक टिप्पणियों के लिए अक्सर सुर्खियों में रहते हैं।
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राज्य विधानसभा के बजट सत्र के दौरान उन्होंने सदन में वंदे मातरम का नारा लगाने से इनकार करने पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की थी। इससे पहले, उन्होंने मुख्यमंत्री के जन्मस्थान बख्तियारपुर का नाम बदलकर ‘नीतीश नगर’ रखने का सुझाव दिया था। इस सुझाव पर मुख्यमंत्री ने नाराजगी जताई थी और भाजपा नेता के इस तर्क पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी कि शहर का नाम ‘इस्लामी आक्रांता’ बख्तियार खिलजी के नाम पर रखा गया है।