प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के वेतन पर शिक्षा विभाग ने लगाई रोक, जानें क्या है मामला

Ban On Salaries Of Vice Chancellors : शिक्षा विभाग ने एक बड़ा फैसला लेते प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के वेतन पर रोक लगा दी है

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  • Publish Date - March 1, 2024 / 01:06 PM IST,
    Updated On - March 1, 2024 / 01:06 PM IST

पटना : Ban On Salaries Of Vice Chancellors : बिहार के शिक्षा विभाग ने एक बड़ा फैसला लेते हुए राज्य के सभी कुलपतियों और एक को छोड़ सभी कुलसचिवों तथा दो विश्वविद्यालयों को छोड़ सभी के परीक्षा नियंत्रक का वेतन बंद कर दिया है। शिक्षा विभाग ने 28 फरवरी को शिक्षा विभाग द्वारा बुलाई गई बैठक शामिल नहीं होने के बाद ये बड़ी कार्रवाई करने का फैसला लिया है।

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शिक्षा विभाग ने उठाया कड़ा कदम

बताया जा रहा है कि, राजभवन के मना करने पर सभी विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव व परीक्षा नियंत्रक शिक्षा विभाग द्वारा बुलाई गई बैठक में नहीं पहुंचे थे। इसके बाद शिक्षा विभाग ने कड़ा कदम उठाते हुए सभी विश्वविद्यालयों के बैंक खातों के संचालन पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही शिक्षा विभाग ने सभी पदाधिकारियों से दो दिन के अंदर स्पष्टीकरण मांगा गया है कि, उनके खिलाफ प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज की जाये?

बता दें कि, विभाग द्वारा विश्वविद्यालयों में लंबित परीक्षाओं की समीक्षा के लिए 28 फरवरी को अपर मुख्य सचिव केके पाठक की अध्यक्षता में बैठक बुलायी गयी थी। इसमें सिर्फ मगध विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक और केएसडीएस दरभंगा विश्वविद्यालय के कुलसचिव व परीक्षा नियंत्रक पहुंचे थे। इन तीनों पदाधिकारियों को छोड़ अन्य सभी विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव व परीक्षा नियंत्रकों का वेतन रोक दिया गया है।

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शिक्षा विभाग के सचिव ने पदाधिकारियों के लिए जारी किया पत्र

Ban On Salaries Of Vice Chancellors :  विभाग के सचिव बैद्यनाथ यादव ने गुरुवार को कुलपतियों, कुलसचिवों और परीक्षा नियंत्रकों पात्र जारी करते हुए कहा है कि, महत्वपूर्ण बैठक में अनुपस्थित नहीं रहना गंभीर विषय है। जुलाई 2023 में हुई समीक्षा में पाया गया कि अधिकांश विश्वविद्यालयों में तीन-चार साल तक अकादमिक सत्र पीछे चल रहा है। इसके बाद विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 30 के तहत परीक्षाओं के संचालन के लिए अधिसूचना जारी की गयी। समीक्षा में पता चला कि अधिसूचना का पालन अधिकतर विश्वविद्यालयों द्वारा नहीं किया जा रहा है। पीछे चल रहे अकादमिक सत्रों को अद्यतन करना तो दूर कुछ विश्वविद्यालय अद्यतन सत्र भी पिछड़ रहे हैं। इसी की समीक्षा के लिए 28 फरवरी को बैठक बुलायी गयी थी।

पत्र में यह भी कहा गया है कि विश्वविद्यालय अधिनयिम की धारा 30 के तहत परीक्षा का समय पर संचालन का पूरा जिम्मा राज्य सरकार का है। इसके लिए परीक्षा कैलेंडर तय करने में राज्य सरकार पूरी तरह सक्षम है। परीक्षा संचालन में लगे कॉलेज, विश्वविद्यालय के कर्मी और पदाधिकारी भारतीय दंड विधान 1860 के तहत लोक सेवक माने जाते हैं। इतना महत्वपूर्ण दायित्व समय पर पूरा नहीं कर पा रहे हैं तो क्यों धारा 48 के तहत आपको आगे से कोई भी बजट नहीं प्रदान किया जाए। परीक्षा से संबंधित कोई भी कार्य करने से इनकार करने पर दंड का प्रावधान है। परीक्षा कार्यों में लापरवाही अथवा इसके निर्वहन में विफल रहने पर आईपीसी की धारा 166 और 166 ए के तहत कार्रवाई के भागी होंगे। जानबूझ कर लंबित परीक्षा से संबंधित जानकारी देने से बचने और इंकार करने पर क्यों नहीं आपलोगों के खिलाफ धारा 174, 175, 176, 179, 186 और 187 के तहत कानूनी कार्रवाई प्रारंभ की जाये।

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ये है पूरा मामला

 Ban On Salaries Of Vice Chancellors : मगध और पूर्णिया विश्वविद्यालय की ओर से राजभवन से विभाग की बैठक में भाग लेने के लिए अनुमति मांगी गयी थी। राजभवन ने 21 फरवरी को जारी पत्र में कहा कि विभाग की बैठक में भाग लेने के लिए कुलाधपति ने अनुमति नहीं दी है, जिसकी प्रति सभी विश्वविद्यालयों को भेजी गयी। इस पर विभाग ने 24 फरवरी को सभी विश्वविद्यालयों को पत्र लिखा कि 28 की बैठक में नहीं आने वाले पदाधिकारियों पर कार्रवाई होगी।

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