पटना : Differences visible in NDA regarding population control law : बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के भीतर जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून लाने की केंद्र की योजना को लेकर मतभेद अब सामने आने लगे हैं।
गौरतलब है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा था कि कानून बनाए जाने से जनसंख्या नियंत्रण के उद्देश्य की पूर्ति नहीं होगी बल्कि इसे सिर्फ महिलाओं और लड़कियों को शिक्षित करके हासिल किया जा सकता है।
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Differences visible in NDA regarding population control law : नीतीश केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल की उस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दे रहे थे जिसमें उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार जनसंख्या नियंत्रित करने के लिए कानून बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है। नीतीश की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने स्वीकार किया कि पिछले 15 वर्षों में लड़कियों के बीच शिक्षा को बढ़ावा देने के परिणामस्वरूप प्रदेश में प्रजनन दर 4 से गिरकर 2.98 प्रतिशत रह गई है।
हालांकि सुशील ने यहां जारी एक बयान में कहा कि बिहार में नगर निकाय की तरह पंचायत चुनाव में भी दो या उससे कम बच्चों के माता-पिता को ही चुनाव लड़ने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने आगे सुझाव दिया कि ‘‘भारत सरकार और बिहार सरकार अन्य अनेक योजनाओं में भी ऐसा प्रावधान कर सकती है उनका लाभ अधिकतम दो या तीन बच्चों वाले परिवार को ही मिल सके।’’
Differences visible in NDA regarding population control law : सुशील ने कहा कि आपातकाल के दौरान जबरदस्ती नसबंदी का खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ा था, अतः जनसंख्या स्थिरीकरण के बारे में बहुत सोच समझ कर रणनीति बनाने की आवश्यकता है। हालांकि इस मुद्दे पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल का दृष्टिकोण अपनी पार्टी के नेता सुशील कुमार मोदी से थोड़ा अलग है।
Differences visible in NDA regarding population control law : जायसवाल ने गुरूवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा था कि जागरुकता और महिला शिक्षा, जिसमें बिहार ‘‘फिसड्डी’’ राज्य बना हुआ है, जनसंख्या वृद्धि की समस्या को हल नहीं कर सकते। उन्होंने अपने में पोस्ट में कहा था कि बिहार का जनसंख्या घनत्व 1224 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है जो राष्ट्रीय औसत 464 का लगभग तीन गुना है। राज्य में जनसंख्या नियंत्रण के लिए नई योजनाओं और प्रोत्साहनों की तत्काल आवश्यकता है।
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