दरभंगा, 16 दिसंबर (भाषा) संसद की सुरक्षा में चूक की घटना के कई दिन बाद भी पूरे प्रकरण के कथित ‘मास्टरमाइंड’ ललित झा के माता-पिता हतप्रभ हैं।
बिहार के दरभंगा जिला के अलीनगर प्रखंड अंतर्गत रामपुर उदय गांव निवासी ललित झा के पिता देवानंद झा अपने जर्जर पैतृक घर के बाहर लोगों के जमावड़े से असहज दिखे। वह कोलकाता में पुरोहित का काम कर अपनी जीविका चलाते हैं।
देवानंद जो इन दिनों अपने पैतृक घर पर हैं। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मुझे अपने बेटे की गिरफ्तारी के बारे में अन्य लोगों के माध्यम से जानकारी मिली। आप सभी देख सकते हैं, हमारे पास एक टीवी भी नहीं है।’’
पूरे घटनाक्रम से सदमे दिखीं देवानंद की पत्नी मंजुला ने सिसकियों के बीच कहा, ‘‘मेरा बच्चा बदमाश नहीं है। वह गलत कामों में शामिल नहीं हो सकता। वह हमेशा लोगों की मदद करता रहा है। उसने तीन बार अपना रक्त दान किया है।’’
दिल्ली पुलिस ने बृहस्पतिवार को संसद की सुरक्षा में चूक मामले के कथित ‘मास्टरमाइंड’ ललित झा को गिरफ्तार किया था। आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
संसद पर 2001 में हुए आतंकवादी हमले की बरसी पर संसद की सुरक्षा में सेंध लगाकर दो व्यक्ति सागर शर्मा और मनोरंजन बुधवार को लोकसभा में शून्यकाल के दौरान दर्शक दीर्घा से सदन में कूद गए और पीले रंग की गैस फैलाई। सांसदों द्वारा पकड़े जाने से पहले उन्होंने कैन फेंके और नारे लगाए।
इस घटना को लेकर जारी राजनीतिक बयान के बीच केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आरोप लगाया है कि उन्हें ऐसा करने के लिए विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन ने उकसाया होगा।
ललित झा के माता-पिता 10 दिसंबर को दरभंगा के लिए ट्रेन में सवार हुए थे और वह कोलकाता में ही रुक गया था। उस पर पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस, के साथ घनिष्ठ संबंध होने का आरोप लगाया गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने आरोप का खंडन किया है। तृणमूल कांग्रेस विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन का हिस्सा है।
ललित के माता-पिता को जब उनके बेटे के बारे में चल रही अटकलों के बारे में बताया गया है तो उन्होंने इसपर हैरानी जताई। उसके पिता ने कहा, ‘‘मेरा बेटा एक मेधावी छात्र था जिसने ट्यूशन पढ़ाकर मेरी आर्थिक मदद करना शुरू कर दिया था। हमें छठ के दौरान एक साथ दरभंगा आना था। हम हर साल ऐसा करते थे। इस बार, बहुत अधिक भीड़ के कारण, हमें टिकट नहीं मिला, इसलिए हमें अपनी वार्षिक यात्रा स्थगित करनी पड़ी।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘ललित हमें रेलवे स्टेशन तक छोड़ने आया था और बाद में यहां आने का वादा किया था। उसने कहा था कि वह किसी काम से दिल्ली जा रहा है। वह कभी भी राजनीति में नहीं आया। हालांकि, उसकी रुचि सामाजिक कार्यों में है और वह एक गैर सरकार संगठन (एनजीओ)से जुड़ा है।’’
ललित के माता-पिता रुआंसे हो गए जब उन्हें यह बताया गया कि उनके बेटे पर कड़े यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है और अदालत से जमानत मिलने में लंबा समय लग सकता है।
उन्होंने सिसकते हुए कहा, ‘‘हम अदालत से हमारे बेटे पर दया करने की गुहार लगाएंगे। जरूर कुछ गड़बड़ हुई है। वह किसी भी ऐसी गलत घटना का हिस्सा नहीं हो सकता।’’
भाषा अनवर धीरज
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