पटना, सात जनवरी (भाषा) बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रदेश में शनिवार से शुरू हुई जाति आधारित जनगणना के बारे में कहा कि केन्द्र सरकार के इसके लिए तैयार नहीं होने पर राज्य सरकार अपने स्तर पर यह कवायद करा रही है।
अपनी ‘समाधान यात्रा’ के क्रम में मुख्यमंत्री वैशाली जिले के गोरौल प्रखंड अंतर्गत हरसेर गांव में मनोज पासवान के घर पहुंचे। पासवान के घर से वैशाली जिले में आज जाति आधारित जनगणना की शुरुआत की गई।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने मनोज पासवान और जाति आधारित गणना करने वाले कर्मचारियों से बातचीत की।
बाद में पत्रकारों से बातचीत में नीतीश ने कहा, जाति आधारित गणना का काम अच्छे से शुरू हो गया है। हमने जाकर खुद देखा है और गणनाकर्मियों को कहा है कि ठीक से सभी चीजों को नोट कीजिए। किसी व्यक्ति का अगर घर यहां है और वह राज्य के बाहर रहता है तो उसकी जानकारी भी लेकर नोट कीजिए सभी पार्टियों की सहमति से जाति आधारित गणना का काम शुरू हुआ है।’’
उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार से भी हमने कहा था कि जाति आधारित गणना कराइए लेकिन वे लोग तैयार नहीं हुए, इसलिए हम अपने स्तर से इसे करवा रहे हैं। हमलोग जाति की गणना के साथ-साथ उनकी आर्थिक स्थिति का अध्ययन भी करवा रहे हैं ताकि यह पता चल सके कि समाज में कितने लोग गरीब हैं और उनको कैसे आगे बढ़ाना है।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि गणना पूरी होने पर इसकर रिपोर्ट प्रकाशित की जाएगी और उसमें जो भी आंकड़े सामने आएंगे उनके आधार पर आगे काम होगा। उन्होंने कहा कि गणना रिपोर्ट की एक प्रति केन्द्र को भी भेजी जाएगी।
उन्होंने कहा, ‘‘केन्द्र सरकार की जिम्मेदारी पूरे देश को विकसित करने की है। अगर कोई राज्य पीछे है तो उसको आगे बढ़ाना भी केंद्र सरकार का काम है।’
इस यात्रा में मुख्यमंत्री के साथ शामिल उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव सुबह पटना में पत्रकारों से कहा था, ‘यह बिहार में महागठबंधन सरकार द्वारा उठाया गया एक ऐतिहासिक कदम है। एक बार अभ्यास पूरा हो जाने के बाद, यह वंचितों सहित समाज के विभिन्न वर्गों के लाभ के लिए कार्य करने के लिए राज्य सरकार को वैज्ञानिक डेटा प्रदान करेगा।’
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के छोटे पुत्र तेजस्वी यादव ने कहा, “भाजपा को छोड़कर, महागठबंधन सरकार के सभी गठबंधन सहयोगी इस कवायद के पक्ष में थे। भाजपा, जो एक गरीब विरोधी पार्टी है, हमेशा इस कवायद के बारे में आलोचनात्मक थी और यही कारण है कि वे शुरू से ही जाति-आधारित गणना का विरोध करती रही है।’’
बिहार की राजनीति में जाति-आधारित जनगणना एक प्रमुख मुद्दा रहा है, नीतीश कुमार की पार्टी जद (यू) और महागठबंधन के सभी घटक लंबे समय से मांग कर रहे थे कि यह जल्द से जल्द किया जाए।
केन्द्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने 2010 में राष्ट्रीय स्तर पर अभ्यास करने पर सहमति व्यक्त की थी, लेकिन जनगणना के दौरान एकत्र किए गए डेटा को कभी संकलित कर रिपोर्ट का रूप नहीं दिया गया।
वर्तमान केन्द्र सरकार द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य जाति आधारित गणना करने में असमर्थता व्यक्त करने के मद्देनजर बिहार सरकार ने यह कवायद शुरू की है।
इस बीच, राज्य में शनिवार से शुरू हुई जाति आधारित गणना के तहत पटना में भी आज से यह कवायद शुरू हो गई है।
पूरा अभ्यास दो चरणों में होगा। 21 जनवरी को समाप्त होने वाले प्रथम चरण में जिले के सभी घरों की संख्या की गणना की जाएगी। दूसरे चरण में मार्च से सभी जातियों, उप-जातियों और धर्मों के लोगों से संबंधित डेटा एकत्र किया जाएगा।
पटना के जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने शनिवार को पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘जनगणना करने वाले सभी कर्मी लोगों की वित्तीय स्थिति के बारे में भी जानकारी दर्ज करेंगे। मैंने आज सुबह पटना में बिस्कोमान भवन के पास बैंक रोड क्षेत्र में राज्य सरकार के कर्मचारियों द्वारा चलाए जा रहे अभ्यास का भी निरीक्षण किया।’’
उन्होंने कहा कि अभ्यास बहुत सुचारू रूप से आयोजित किया जा रहा है। पटना जिले के सभी 12,696 प्रखंडों में यह अभ्यास किया जा रहा है। यह अभ्यास मई, 2023 तक पूरा हो जाएगा। पहले, अभ्यास फरवरी 2023 तक पूरा किया जाना था।
राज्य सरकार इस अभ्यास के लिए अपने आकस्मिक कोष से 500 करोड़ रुपये खर्च करेगी। सर्वेक्षण के लिए सामान्य प्रशासन विभाग नोडल प्राधिकारी है।
भाषा अनवर अर्पणा
अर्पणा
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