अभ्यर्थियों को बिहार पीएससी परीक्षा में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का संदेह है: प्रशांत किशोर

अभ्यर्थियों को बिहार पीएससी परीक्षा में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का संदेह है: प्रशांत किशोर

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  • Publish Date - December 30, 2024 / 06:39 PM IST,
    Updated On - December 30, 2024 / 06:39 PM IST

पटना, 30 दिसंबर (भाषा) जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने सोमवार को दावा किया कि उन्हें पता चला है कि बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की परीक्षा के जरिए भरे जाने वाले पदों के लिए ‘हजारों करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ है।”

किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा लगभग दो सप्ताह से चल रहे आंदोलन पर ‘एक भी शब्द नहीं बोलने’ पर भी निराशा व्यक्त की। वह कुमार के कभी करीबी सहयोगी हुआ करते थे।

किशोर ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘पुलिस द्वारा लाठीचार्ज और पानी की बौछारों का इस्तेमाल करने के बावजूद अभ्यर्थी प्रदर्शन कर रहे हैं। मुख्यमंत्री दिल्ली में हैं और जब वहां पत्रकारों ने आंदोलन के बारे में सवाल पूछने के लिए उनसे संपर्क किया तो उन्होंने एक भी शब्द नहीं बोला।”

किशोर ने कहा कि उन्होंने एक दिन पहले प्रदर्शनकारियों को संबोधित किया था और वह शाम करीब चार बजे तक अभ्यर्थियों से कहते रहे कि वे मुख्यमंत्री के बयान का इंतजार करें, जो शायद कोई ऐसा रुख अपनाएं जिससे गतिरोध खत्म हो सके, लेकिन मुख्यमंत्री चुप्पी साधे रहे।

उन्होंने दावा किया “प्रदर्शनकारियों का मानना है कि बीपीएससी फिर से परीक्षा कराने का आदेश इसलिए नहीं दे रहा है, क्योंकि करोड़ों रुपये का पहले ही लेन-देन हो चुका है। 13 दिसंबर को हुई परीक्षा के जरिए जिन पदों को भरना था, उन्हें बिक्री के लिए रखा गया था।”

बीपीएससी द्वारा राज्यभर के 900 से अधिक केंद्रों पर आयोजित संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा में करीब पांच लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे।

पटना के एक परीक्षा केंद्र पर सैकड़ों अभ्यर्थियों ने प्रश्नपत्र ‘लीक’ होने का आरोप लगाते हुए परीक्षा का बहिष्कार किया।

बीपीएससी ने इसका खंडन करते हुए इसे परीक्षा को रद्द करवाने की एक ‘साजिश’ बताया था, लेकिन उसने बाद में पटना के बापू परीक्षा केंद्र में इम्तिहान में शामिल हुए 10,000 से अधिक अभ्यर्थियों के लिए फिर से परीक्षा का आदेश भी दे दिया था।

प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि कुछ अभ्यर्थियों के लिए फिर से परीक्षा कराना समान अवसर के सिद्धांत के खिलाफ होगा और इसलिए पूरी परीक्षा रद्द कर दी जानी चाहिए और नए सिरे से आयोजित की जानी चाहिए।

किशोर ने बीपीएससी में भ्रष्टाचार व्याप्त होने का आरोप लगाया है। उन्होंने हालांकि यह स्पष्ट किया कि उन्हें मुख्य सचिव अमृत लाल मीना द्वारा प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत करने की इच्छा दिखाए जाने बाद ‘सकारात्मक परिणाम’ की उम्मीद है।

उन्होंने कहा, “फिलहाल हमारे युवा छात्रों का भविष्य हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।”

रविवार को जब पुलिस ने प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों पर बल प्रयोग किया, तब उन्हें छोड़कर चले जाने को लेकर किशोर की आलोचना की जा रही है। इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि जिन लोगों पर पुलिस कार्रवाई हुई, वे “गांधी मैदान में ही रुके रहे, क्योंकि हममें से अधिकांश लोग यह जानने के बाद वहां से चले गए कि मुख्य सचिव बात करने के लिए तैयार हैं।’

जन सुराज पार्टी के संस्थापक ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि उनकी पार्टी से जुड़े लोगों का नाम प्रशासन द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी में शामिल किया गया है। उनपर बिना इजाजत प्रदर्शन करने का आरोप है।

किशोर ने कहा, “हमें किस बात का दोषी ठहराया गया है? कोई तोड़फोड़ नहीं हुई। किसी वीआईपी काफिले की आवाजाही में बाधा नहीं डाली गई। न ही हमारे कार्यक्रम से कोई सार्वजनिक कार्यक्रम प्रभावित हुआ।”

उन्होंने कहा, “हमारा मानना है कि कई पुलिस अधिकारियों ने ज्यादाती की और हम उनके खिलाफ़ अदालत में शिकायत दर्ज कराएंगे।”

किशोर ने दावा किया, “बिहार में ऐसी स्थिति इसलिए है क्योंकि राज्य को ऐसे लोग चला रहे हैं जिनकी कोई जवाबदेही नहीं है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सब कुछ सेवानिवृत्त नौकरशाहों की अपनी मंडली को सौंप दिया है, जो राजनीतिक नेताओं की तरह लोगों के प्रति जवाबदेह नहीं हैं और न ही वे सेवारत अधिकारियों की तरह सेवा नियमों से बंधे हैं।”

भाषा अनवर नोमान

नोमान