बीपीएससी परीक्षा विवाद: जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर गिरफ्तार, जमानत लेने से किया इनकार

बीपीएससी परीक्षा विवाद: जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर गिरफ्तार, जमानत लेने से किया इनकार

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  • Publish Date - January 6, 2025 / 07:45 PM IST,
    Updated On - January 6, 2025 / 07:45 PM IST

(तस्वीरों सहित)

पटना, छह जनवरी (भाषा) बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर पटना के गांधी मैदान में ‘‘गैर-कानूनी तरीके’’ से आमरण अनशन पर बैठे जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर को सोमवार सुबह गिरफ्तार कर लिया गया। जमानत लेने से इनकार करने के बाद अदालत ने उन्हें जेल भेज दिया।

किशोर ने जमानत शर्तों को अनुचित करार दिया। सैंतालीस वर्षीय किशोर ने कहा कि वह जेल में अपना आंदोलन जारी रखेंगे।

उनके खिलाफ पिछले सप्ताह गांधी मैदान में आमरण अनशन शुरू करने के लिए मामला दर्ज किया गया था, जो पटना उच्च न्यायालय के उस आदेश का उल्लंघन है, जिसके तहत शहर के गर्दनी बाग इलाके के अलावा किसी अन्य स्थान पर इस तरह के किसी भी प्रदर्शन पर रोक है।

किशोर की पार्टी से सक्रिय रूप से जुड़े वरिष्ठ वकील वाई वी गिरि ने कहा कि जमानत इस ‘‘अनुचित’’ शर्त के साथ दी गई कि किशोर को एक लिखित हलफनामा देना होगा। उन्होंने कहा कि ऐसा करना ‘‘अपराध स्वीकार करने’’ के समान होगा।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पुलिसकर्मियों ने किशोर और उनके समर्थकों को प्रदर्शन स्थल से हटा दिया। उन्होंने बताया कि प्रदर्शन प्रतिबंधित क्षेत्र के पास किया जा रहा था और इस तरह से उनका प्रदर्शन ‘‘गैरकानूनी’’था।

बीपीएसपी द्वारा 13 दिसंबर को आयोजित की गई परीक्षा का प्रश्नपत्र कथित तौर पर लीक होने के विरोध में किशोर ने दो जनवरी को आमरण अनशन शुरू किया था और अनशन के पांचवें दिन उन्हें गिरफ्तार किया गया।

शहर के बाहरी इलाके में स्थित बेउर केंद्रीय जेल में ले जाए जाने से पहले पत्रकारों से बात करते हुए किशोर ने आरोप लगाया, ‘‘सुबह चार बजे हिरासत में लिए जाने के बाद, मुझे मेडिकल जांच के लिए पटना के एम्स ले जाया गया, लेकिन चिकित्सकों ने जरूरी जांच करने से इनकार कर दिया, जिसकी वजह उन्हें ही पता होगी।’’

किशोर ने दावा किया, ‘‘सुबह 5 बजे से 11 बजे के बीच, पुलिस मुझे अपनी एम्बुलेंस में घुमाती रही, लेकिन उन्होंने स्थान बताने की जहमत नहीं उठाई। जब मैंने पूछताछ की, तो उन्होंने कहा कि वे मुझे पीएमसीएच या एनएमसीएच (शहर के दोनों सरकारी अस्पताल) में जांच के लिए ले जा सकते हैं।’’

जन सुराज पार्टी के संस्थापक ने यह भी दावा किया कि उन्हें आखिरकार शहर के बाहरी इलाके में फतुहा के एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ले जाया गया, जहां उन्होंने मेडिकल जांच के लिए सहमति देने से इनकार कर दिया।

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘डॉक्टरों ने पुलिस के फर्जी प्रमाण पत्र जारी करने के अनुरोध को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।’’

किशोर ने कहा, ‘‘जो भी हो, मैं आप सभी से आग्रह करता हूं कि आप उन पुलिसकर्मियों से झगड़ा न करें, जो उच्च अधिकारियों के आदेश पर काम कर रहे हैं। सरकार मानती है कि वह जायज मांग करने वालों पर लाठी चला सकती है। अगर ऐसी व्यवस्था का विरोध करना अपराध है, तो मैं ऐसा अपराध करने के लिए तैयार हूं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं न्यायाधीश को मुझे जमानत देने के लिए धन्यवाद देता हूं। लेकिन मैं इसे स्वीकार नहीं कर सका, क्योंकि मुझे एक हलफनामा देने के लिए कहा गया था कि मैं फिर कभी किसी अवैध विरोध प्रदर्शन का हिस्सा नहीं बनूंगा। गांधी मैदान में आमरण अनशन करने में कुछ भी अवैध नहीं है, जो एक सार्वजनिक स्थान है। मैं जेल जाऊंगा, लेकिन पहले की तरह केवल पानी पीकर अपना अनशन जारी रखूंगा। जब तक सरकार हमारी मांगों को स्वीकार नहीं करती, मैं पीछे नहीं हटूंगा।’’

किशोर ने इस बात से भी इनकार किया कि गांधी मैदान में एक पुलिसकर्मी ने उन्हें ‘‘थप्पड़ मारा’’ था। उन्होंने कहा, ‘‘उस समय उन्होंने अच्छा व्यवहार किया था। जब मुझे ले जाया जा रहा था, तो मेरे समर्थकों में से एक भावुक हो गया और उसने मेरा हाथ पकड़ लिया। इसलिए, पुलिसकर्मियों में से एक ने उसके हाथ पर मारा।’’

इससे पहले दिन में, जन सुराज पार्टी के समर्थकों ने आरोप लगाया था कि किशोर को हिरासत में लेते समय सुरक्षाकर्मियों ने उनके साथ हाथापाई और धक्का-मुक्की की।

किशोर ने मांग की है कि नीतीश कुमार नीत सरकार एक ‘‘अधिवास नीति’’ लाए, जिसमें बिहार के लोगों के लिए दो-तिहाई पद आरक्षित किए जाएं।

इस बीच, अधिवक्ता गिरि ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम मजिस्ट्रेट द्वारा जमानत के लिए रखी गई ‘अनुचित’ शर्त के खिलाफ ऊपरी अदालत में जाएंगे। यह किशोर को इस बात को स्वीकार करवाने के समान था कि वह दोषी हैं।’’

एक सवाल का जवाब देते हुए गिरि ने कहा कि अदालत ने किशोर को न्यायिक हिरासत में भेजने की अवधि निर्दिष्ट नहीं की है।

उन्होंने कहा, ‘‘आम तौर पर, रिमांड 14 दिनों के लिए होती है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए कि जमानत अस्वीकार करने पर उन्हें 14 दिन जेल में बिताने होंगे। अगर कोई ऊपरी अदालत जमानत की शर्त को खारिज कर देती है, तो उन्हें पहले भी रिहा किया जा सकता है।’’

अभ्यर्थी, बीपीएसपी द्वारा पिछले साल 13 दिसंबर को आयोजित की गई परीक्षा को रद्द करने की मांग कर रहे हैं, जिसमें करीब पांच लाख उम्मीदवार शामिल हुए थे। सैकड़ों परीक्षार्थियों ने यहां बापू परीक्षा परिसर में प्रश्नपत्र लीक होने का आरोप लगाते हुए परीक्षा का बहिष्कार किया था।

बीपीएससी ने आरोप से इनकार करते हुए दावा किया कि परीक्षा रद्द करवाने के लिए एक ‘‘षड्यंत्र’’ रचा गया था, हालांकि उसने बापू परीक्षा परिसर केंद्र वाले करीब 12,000 उम्मीदवारों के लिए नए सिरे से परीक्षा का आदेश भी दिया। नए सिरे से परीक्षाएं चार जनवरी को आयोजित की गईं। इसके बावजूद कुछ अभ्यर्थी गर्दनी बाग में चौबीसों घंटे आंदोलन कर रहे हैं, उनका आरोप है कि कई अन्य केंद्रों पर भी गड़बड़ी हुई है और चुनिंदा समूह के लिए दोबारा परीक्षा कराने से अन्य लोगों को ‘‘समान अवसर’’ नहीं मिल पाया है।

भाषा शफीक दिलीप

दिलीप