पटना, 22 अगस्त (भाषा) बिहार के पूर्व मंत्री श्याम रजक ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से इस्तीफा देते हुए पार्टी नेतृत्व पर उन्हें ‘धोखा’ दिये जाने का आरोप लगाया।
रजक ने राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद को संबोधित एक संक्षिप्त पत्र जारी किया, जिसमें उन्होंने घोषणा की कि वह पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के पद के साथ-साथ दल की प्राथमिक सदस्यता से भी त्यागपत्र दे रहे हैं।
रजक ने लालू प्रसाद को संबोधित अपने पत्र में लिखा, ‘मैं शतरंज का शौकीन नहीं था, इसलिए धोखा खा गया। आप मोहरे चल रहे थे, मैं रिश्तेदारी निभा रहा था।’
इस बीच, राजद के प्रवक्ता शक्ति यादव ने नीतीश कुमार मंत्रिमंडल से बर्खास्त होने और जद (यू) से निष्कासित होने के बाद 2020 के विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी में शामिल किए गए रजक पर निशाना साधा।
शक्ति यादव ने कहा, ‘श्याम रजक शतरंज खेलना पसंद करते हैं, जबकि हमारे नेता लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव दिल से बोलते और काम करते हैं। जब वे राजनीतिक वनवास में थे, तब वे राजद में वापस आए। लेकिन, तब से वे पार्टी बदलने वाले के रूप में जाने जाते हैं।’
गौरतलब है कि रजक राजद सुप्रीमो की पत्नी राबड़ी देवी के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं, लेकिन 2009 में वे पार्टी छोड़कर जद (यू) में शामिल हो गए थे।
पत्रकारों द्वारा सवाल पूछे जाने पर, रजक ने दावा किया कि उन्होंने फुलवारी शरीफ विधानसभा क्षेत्र में ‘समर्थकों की सलाह’ के बाद यह निर्णय लिया, जिसका वे कई बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
लेकिन, 2020 में उन्हें यह सीट छोड़नी पड़ी थी, जब यह सीट राजद की सहयोगी भाकपा (माले) के पास चली गई।
पूर्व मंत्री रजक के बारे में यह भी चर्चा है कि बिहार विधान परिषद में स्थान दिये जाने पर राजद द्वारा उनके बारे में विचार न किए जाने से वे नाराज चल रहे थे।
रजक ने कहा कि वे ‘एक सप्ताह में’ अपने आगे की रणनीति के बारे में बताएंगे।
रजक (70) ने कहा, ‘मेरे पास दो विकल्प बचे हैं, या तो किसी दूसरी पार्टी में शामिल हो जाऊं या राजनीति से संन्यास ले लूं।’
उन्होंने कहा, ‘ सभी राजनीतिक विचारधाराओं के नेताओं के साथ मेरे ‘अच्छे संबंध’ हैं। यह मैंने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर से सीखा है, जो ‘मेरे राजनीतिक गुरु’ थे।’
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘मैं अब भी मानता हूं कि नीतीश कुमार दूरदर्शी व्यक्ति हैं, जो स्वयं भी
काम करते हैं और अपने साथियों को स्वतंत्र रूप से काम करने देते हैं। अगर बिहार के लोगों को सम्मान मिल रहा है और उन्हें उपहास का पात्र नहीं माना जाता है, तो इसका श्रेय नीतीश जी को ही जाना चाहिए।’
भाषा
अनवर, रवि कांत रवि कांत