पटना, 26 सितंबर (भाषा) बिहार राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने दाखिल खारिज एवं परिमार्जन अभिलेखों से संबंधित ऑनलाइन याचिकाओं को ‘जानबूझकर’ खारिज करने को लेकर अंचल के अधिकारियों को कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी और इसे ‘आपराधिक कृत्य’ बताया है।
बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दिलीप जायसवाल ने बुधवार को यहां देर शाम तक आयोजित विभागीय बैठक के दौरान कहा ‘‘निहित हितों के चलते ऑनलाइन याचिकाओं को खारिज कर देना आम लोगों के प्रति निष्ठुरता और अन्याय है।
बैठक में अपर मुख्य सचिव (एसीएस) दीपक कुमार सिंह अधिकारी भी शामिल हुए थे। मंत्री ने जानबूझकर आवेदनों को अस्वीकृत करने वाले अंचल अधिकारियों (सीओ) की पहचान करके उनके खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा कई प्रकार की ऑनलाइन सेवाएं दी जा रही हैं। इनमें से कई सेवाओं में अस्वीकृति की दर काफी अधिक है।
मंत्री ने कहा कि कई बार डीसीएलआर, एडीएम या डीएम के स्तर पर सुनवाई में पता चलता है कि सीओ का निर्णय गलत था लेकिन तबतक लोगों का नुकसान हो चुका होता है। उन्होंने कहा कि कई मामलों में वरीय पदाधिकारियों का आदेश लेकर आम नागरिक भटकता रहता है और अंचल अधिकारी ध्यान नहीं देते हैं। ‘‘लोग सालों तक परेशान होते रहते हैं। ये आपराधिक कृत्य हैं, जिनको नजर अंदाज नहीं किया जा सकता।’’
बयान में कहा गया है कि विभागीय विश्लेषण के दौरान दाखिल-खारिज के सर्वाधिक, 47.93 फीसदी अस्वीकृति के मामले सीतामढ़ी के सुप्पी अंचल में पाए गए। 44 फीसदी अस्वीकृति के साथ पटना का पंडारक दूसरे स्थान पर जबकि 39.9 फीसदी अस्वीकृति के साथ बेगूसराय का साम्हो अखा कुरहा तीसरे स्थान पर था।
निर्धारित समय सीमा के बाद सर्वाधिक 7018 लंबित आवेदन रोहतास के सदर अंचल में थे जबकि 6748 लंबित आवेदनों के साथ पटना सदर अंचल दूसरे स्थान पर और 6428 लंबित आवेदनों के साथ पटना का संपतचक अंचल तीसरे स्थान पर रहा।
अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने सभी अंचल अधिकारियों को अक्टूबर तक अपने प्रदर्शन में सुधार करने की चेतावनी दी।
अपर मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि जिन अंचल अधिकारियों की मासिक रैंकिंग लगातार खराब रहेगी, वह उनके खिलाफ कार्रवाई का सबसे मजबूत आधार बनेगी।
भाषा अनवर
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