पटना, सात अक्टूबर (भाषा) केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) ने सोमवार को मैथिली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने की मांग की।
यह मांग भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा मराठी, बांग्ला, पाली, प्राकृत और असमिया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के फैसले के कुछ दिनों बाद आई है।
जद (यू) के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार झा ने कहा कि वह इस मांग को लेकर दबाव बनाने के लिए जल्द केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मिलेंगे।
सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में झा ने लिखा, ‘‘मैथिली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिलाने के लिए मैं जल्द केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात करूंगा। मैथिली भाषा का संरक्षण एवं संवर्धन शुरू से मेरी शीर्ष प्राथमिकता रही है। इसे शास्त्रीय भाषा की श्रेणी में शामिल करने का आधार मैंने वर्ष 2018 में ही तैयार करवा दिया था।’’
जद (यू) नेता ने दावा किया कि उनके प्रयासों से केंद्र सरकार द्वारा गठित मैथिली के विद्वानों की विशेषज्ञ समिति ने 31 अगस्त 2018 को पूर्ण की गई अपनी रिपोर्ट में 11 सिफारिशें की थीं।
उन्होंने कहा, ‘‘उनमें पहली सिफारिश थी- ‘मैथिली भाषा लगभग 1300 वर्ष पुरानी है और इसके साहित्य का विकास स्वतंत्र रूप से अनवरत होता रहा है। अत: इसे शास्त्रीय भाषा की श्रेणी में रखा जाये। पिछले छह वर्षों में समिति की कुछ सिफारिशों पर काम हुआ है, लेकिन इसे (मैथिली को) शास्त्रीय भाषा का दर्जा नहीं मिल पाया है।’’
मराठी, बांग्ला, पाली, प्राकृत और असमिया के अलावा छह भाषाओं – तमिल, संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और उड़िया को पहले ही शास्त्रीय भाषाओं की सूची में शामिल किया जा चुका है।
झा ने यह भी लिखा, ‘‘मुझे विश्वास है, केंद्र की राजग सरकार विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के अनुरूप मैथिली को भी शास्त्रीय भाषा का दर्जा देगी।’’
उन्होंने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि मैथिली भाषा के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए अब तक जितने भी काम हुए हैं, राज्य और केंद्र में राजग नीत सरकारों द्वारा ही किये गये हैं।
झा ने कहा, ‘‘माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी की पहल पर पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने हम मिथिलावासियों की दशकों से लंबित मांग को पूरा करते हुए मैथिली भाषा को संविधान की अष्टम अनुसूची में शामिल किया था।’’
झा ने कहा, ‘‘बिहार में वर्ष 2005 में जब नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में सरकार बनी, तब उन्होंने मैथिली को पुन: बीपीएससी (बिहार लोक सेवा आयोग) के पाठ्यक्रम में शामिल किया, जिसे पूर्व की कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) गठबंधन की सरकार ने पाठ्यक्रम से हटा दिया था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे बहुत से स्नेहीजनों को स्मरण होगा कि मैंने 19 मार्च 2018 को दिल्ली में तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर जी से उनके दफ्तर में मुलाकात कर एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमें मैथिली लिपि के संरक्षण, संवर्धन और विकास के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन करने तथा उसके लिए स्थायी तौर पर कोष आवंटित करने का अनुरोध किया था।’’
झा ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर लिखा, ‘‘सौम्य स्वभाव के धनी श्री जावड़ेकर जी ने मेरे ज्ञापन को सहर्ष स्वीकार करते हुए मैथिली लिपि के संरक्षण, संवर्धन और विकास के लिए मैथिल विद्वानों को आमंत्रित कर विशेषज्ञ समिति गठित करने के निर्देश जारी कर दिये थे और इसके लिए नाम सुझाने का जिम्मा मुझे ही सौंप दिया था।’’
उन्होंने कहा कि गहन विचार-विमर्श के बाद समिति ने अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया और मंत्री को सौंप दिया।
भाषा सुरभि नरेश
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