बिहार सरकार कैमूर वन्यजीव अभयारण्य को बाघ अभयारण्य के रूप में विकसित करेगी, केंद्र की मंजूरी मिली

बिहार सरकार कैमूर वन्यजीव अभयारण्य को बाघ अभयारण्य के रूप में विकसित करेगी, केंद्र की मंजूरी मिली

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  • Publish Date - October 7, 2024 / 10:02 PM IST,
    Updated On - October 7, 2024 / 10:02 PM IST

पटना, सात अक्टूबर (भाषा) बिहार के पर्यावरण एवं वन मंत्री प्रेम कुमार ने सोमवार को कहा नीतीश कुमार-नीत सरकार कैमूर वन्यजीव अभयारण्य (केडब्ल्यूएलएस) को राज्य के दूसरे बाघ अभयारण्य के रूप में विकसित करेगी।

कुमार ने कहा कि ‘वाल्मीकि टाइगर रिजर्व’ (वीटीआर) राज्य का एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान है, जिसकी क्षमता अब लगभग समाप्त हो चुकी है और अब राज्य सरकार बड़े बाघों को केडब्ल्यूएलएस में स्थानांतरित करने के तौर-तरीकों को अंतिम रूप दे रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र ने केडब्ल्यूएलएस को एक और बाघ अभयारण्य के रूप में विकसित करने के लिए अपनी सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। राज्य सरकार अब इसके विकास और बाघों को स्थानांतरित करने के तौर-तरीकों को अंतिम रूप दे रही है।’’

कैमूर वन्यजीव अभयारण्य 1,504.96 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।

पर्यावरण एवं वन सचिव बंदना प्रेयशी ने कहा, ‘‘हां, पिछले कुछ वर्षों में वीटीआर में बाघों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। वीटीआर में बाघों की संख्या अब 54 है। यह बिहार के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।’

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने अपनी 12वीं तकनीकी समिति की बैठक में केडब्ल्यूएलएस को एक और बाघ अभयारण्य के रूप में विकसित करने की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है।

वीटीआर पश्चिमी चंपारण जिले में स्थित वाल्मीकि अभयारण्य के 909.86 वर्ग किलोमीटर के मुख्य क्षेत्र में फैला हुआ है। इसे 1990 में 18वें बाघ अभयारण्य के रूप में विकसित किया गया था और बाघों की आबादी के घनत्व में यह चौथे स्थान पर था।

अधिकारियों ने बताया कि इस अभयारण्य में तेंदुआ, भालू, चीतल, सांभर, जंगली सुअर, नीलगाय और चौसिंघा के अलावा पक्षियों की लगभग 70 प्रजातियां पाई जाती हैं।

भाषा सुरेश माधव

माधव