बिहार: चिराग पासवान ने बीपीएससी परीक्षा रद्द करने की मांग की

बिहार: चिराग पासवान ने बीपीएससी परीक्षा रद्द करने की मांग की

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  • Publish Date - January 29, 2025 / 09:27 PM IST,
    Updated On - January 29, 2025 / 09:27 PM IST

पटना, 29 जनवरी (भाषा) केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने पिछले महीने हुई बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की परीक्षा को रद्द करने की अभ्यर्थियों की मांग को बुधवार को समर्थन किया।

चिराग ने कहा कि उन्हें परीक्षा में ‘बड़े पैमाने पर अनियमितताओं’ के बारे में अपने करीबी रिश्तेदारों से पता चला, जो परीक्षा में शामिल चार लाख अभ्यर्थियों में शामिल हैं।

चिराग की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार का हिस्सा है।

हाजीपुर से सांसद चिराग से जब 13 दिसंबर को आयोजित संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा पर उनके रुख के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “मेरे परिवार के कई सदस्यों, मेरी भतीजी और एक भतीजे ने भी परीक्षा दी थी। मैंने उनसे चौंकाने वाली चूक के बारे में जाना है।”

पासवान ने कहा कि उन्हें बताया गया कि ‘कई केंद्रों पर, प्रश्नपत्र पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं थे। इसलिए, इन्हें आधिकारिक तौर पर परीक्षा शुरू होने के बाद छापा गया। कुछ ही समय बाद, ये प्रश्नपत्र व्हाट्सएप और‘एक्स’ जैसे सोशल मीडिया मंचों पर सभी के लिए उपलब्ध हो गए।

केंद्रीय मंत्री ने इन शिकायतों पर ध्यान नहीं दिए जाने के लिए बीपीएससी अधिकारियों की आलोचना की और पूछा कि अगर आयोग को इतना यकीन था कि सब कुछ ठीक है, तो उसने एक केंद्र के लिए फिर से परीक्षा का आदेश क्यों दिया?

पिछले महीने राज्य के 911 परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा आयोजित की गयी थी, जिसमें बापू परीक्षा केंद्र भी शामिल है, जहां 12,000 अभ्यर्थियों को फिर से परीक्षा देने का आदेश दिया गया था।

पासवान इस बात से हैरान थे कि इस महीने की शुरुआत में ‘22 केंद्रों पर’ दोबारा परीक्षा आयोजित की गई थी।

उन्होंने जोर देकर कहा कि वे अन्य अभ्यर्थियों की इस दलील का ‘पूरी तरह से समर्थन’ करते हैं कि उन्हें समान अवसर नहीं दिया जा रहा है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, “मेरा मानना ​​है कि सिर्फ एक या दो केंद्रों के लिए नहीं बल्कि पूरी परीक्षा रद्द कर दी जानी चाहिए और नए सिरे से आयोजित की जानी चाहिए। बीपीएससी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मानक संचालन प्रक्रिया का पालन किया जाए। मैंने पहले भी यह राय व्यक्त की है और जब तक युवाओं की आवाज नहीं सुनी जाती, मैं ऐसा करना जारी रखूंगा।”

भाषा अनवर जितेंद्र

जितेंद्र