Snake Fair: सांपों को खुलेआम किया KISS.. किसी ने दांत में दबोचा तो किसी ने गर्दन में लपेटा, फटी रह गई देखने वालों की आंखें

सांपों को खुलेआम किया KISS.. किसी ने दांत में दबोचा तो किसी ने गर्दन में लपेटा! Bhagats Kissed Snake in Bihar, Video Viral on Social Media

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  • Publish Date - July 26, 2024 / 04:27 PM IST,
    Updated On - July 26, 2024 / 04:30 PM IST

समस्तीपुरः Bhagats Kissed Snake in Bihar आप अपने गांव-बस्ती में सांपों का खेल तो बहुत देखें होंगे। लेकिन क्या आपको मामूम है कि भारत में एक जगह ऐसी है, जहां सांपों का मेला लगता है। दावा है कि इस मेले में पकड़े गए सांपों को लेकर जो भी व्यक्ति अपनी मन्नत मंदिर में मांगता है उसकी हर मुराद पूरी हो जाती है। आप ये पढ़कर चौंक गए होंगे लेकिन ये पूरी तरह सच है। चलिए जानते है कि मेला कहां होता है?

Bhagats Kissed Snake in Bihar दरअसल, समस्तीपुर के सिंधिया में नागपंचमी के दिन हर साल सांपों का यह अद्भुत मेला लगता है। इस साल भी इस मेले का आयोजन किया गया। बीतें तीन सौ सालों से परंपरागत तरीके से सांपों के इस मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले को देखने के लिए दूसरे राज्यों से काफी संख्या में लोग वहां पहुंचते है। ऐसी मान्यता है कि इस मेले में मांगी गई मुरादें पूरी होती है।

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महीनों पहले से पकड़े जाते हैं सांप

विभूतिपुर थाना क्षेत्र के सिंघिया घाट में नागपंचमी पर लगने वाले मेले में सांपों को देखकर जहां अच्छे-अच्छों के होश उड़ जाते हैं, वहीं इस मेले में भगत के साथ-साथ बच्चे और युवा से लेकर बूढ़े तक गले में सांप लपेट कर खेलते करते नजर आते हैं। इसके लिए महीनों पहले से ही सांपों के पकड़ने का सिलसिला शुरू होता है जो नागपंचमी के दिन तक चलता है।

सांपों के साथ करतब करते हैं लोग

नागपंचमी के दिन भगत राम सिंह सहित अन्य लोग माता विषहरी का नाम लेकर विषैले सांपों को मुंह में पकड़कर घंटों विषहरी माता का नाम लेते हुए करतब करते हैं। सैकड़ों की संख्या में लोग हाथ में सांप लिए बूढ़ी गंडक नदी के सिंघियाघाट पुल घाट पहुंचते हैं। यहां नदी में प्रवेश करने के बाद माता का नाम लेते हुए दर्जनों सांप निकालते है। इस दौरान नदी के घाट पर मौजूद भक्त नागराज और विषधर माता के नाम के जयकारे लगाते हैं। पूजा के बाद सांपों को जंगल में छोड़ दिया जाता है।

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सैकड़ों साल से चली आ रही है परम्परा

बता दें कि इस मेले को मिथिला का प्रसिद्ध मेला माना जाता है। यहां नाग देवता की पूजा की परम्परा सैकड़ों साल से चली आ रही है। मूलत: यहां गहवरों में बिषहरा की पूजा होती है। महिलाएं अपने वंश वृद्धि की कामना को लेकर नागदेवता की विशेष पूजा करती हैं। मन्नत पूरी होने पर नागपंचमी के दिन गहवर में झाप और प्रसाद चढ़ाती हैं।

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